न कराएं...सीटी स्कैन कराकर बीमारी का इलाज Aligarh News
कोविड-19 वायरस का पता लगाने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में समय लग रहा है इसलिए लोग सीटी स्कैन कराकर फौरन वायरस का पता लगाना चाहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हर शख्स सीटी स्कैन करा रहा है।
By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 10:35 AM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 10:35 AM (IST)
अलीगढ़, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर में जिस तेजी से लोग कोरोना संक्रमित व काल कलवित हो रहे हैं। उससे डर और भय का माहौल है। हल्के-फुल्के लक्षण दिखते ही लोग परेशान हो जाते हैं। क्योंकि, कोविड-19 वायरस का पता लगाने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट आने में समय लग रहा है, इसलिए लोग सीटी स्कैन कराकर फौरन वायरस का पता लगाना चाहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हर शख्स सीटी स्कैन करा रहा है। होम आइसोलेशन वाले मरीज भी सीटी स्कैन कराकर कोविड का पता लगे रहे हैं, जो ठीक नहीं है। कई बीमारी ऐसी हैं, जो कोरोना जैसी लगती है। सीटी स्कैन से फेंफड़ों में इन्फेक्शन का तो पता चल जाता है, मगर इसके रेडिएशन से कैंसर का खतरा है। इसलिए डाक्टर की सलाह से ही सीटी स्कैन कराना चाहिए। कोविड-19 की पुष्टि के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट ही उपयुक्त हैं। फेंफड़े के लक्षण या सांस फूल रहा है तो डाक्टर से पूछकर ही सीटी स्कैन कराना चाहिए।
कमीशन का खेल
इस समय कुछ डाक्टर हल्के-फुल्के लक्षण में मरीज का तुरंत सीटी स्कैन करा रहे हैं। दरअसल, सीटी स्कैन की आड़ में कमीशन का खेल भी शुरू हो गया है। दरअसल, सरकारी अस्पताल में आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट समय से नहीं मिल रही है। ऐसे में डाक्टर तुरंत सीटी स्कैन करा रहे हैं। आरटीपीसीआर टेस्ट तो जैसे डाक्टर भूल ही गए हैं। सीटी स्कैन के तीन से चार हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। जबकि, रिपोर्ट में देरी के लिए स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदार है। कई मरीजों की तो रिपोर्ट का ही पता नहीं चलता। कुछ को सप्ताहभर बाद सूचना दी जाती है कि उनका सैंपल खराब हो गया है, दूसरा सैंपल देना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में मरीज कब तक घर बैठा रहे। इससे सीटी स्कैन कराने वाले मरीजों की संख्या सामान्य से 20-30 गुना बढ़ गई है। जबकि, विशेषज्ञ हर मरीज की सीटी स्कैन के पक्ष में बिल्कुल नहीं।
ये है सीटी स्कैन
सीटी स्कैन यानी कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन, यह एक तरह से 3-डी (थ्री डायमेंशनल) एक्स-रे है। टोमोग्राफी का मतलब किसी भी चीज को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर उसका अध्ययन करना होता है। कोविड-19 का पता लगाने के लिए सीने का एचआर-सीटी ( हाइ रिज्युलेशन कंप्यटराइज्ड टोमोग्राफी) स्कैन कराया जाता है। इसमें विशेषज्ञ थ्री-डी इमेज के जरिए फेंफड़ों को देखते हैं, जिसे संक्रमण का पता चल जाता है। विशेषज्ञ सीटी स्कोर व सीटी वैल्यू के आधार पर कोविड-19 की पुष्टि करते हैं।
ये है सीटी स्कोर व सीटी वैल्यू
विशेषज्ञों के अनुसार सीटी वैल्यू जितनी कम होगी, संक्रमण उतना अधिक होगा और सीटी वैल्यू जितनी अधिक होगी, संक्रमण उतना कम। आइसीएमआर (इंडियन काउंसलिंग मेडिकल रिसर्च) के अनुसार सीटी वैल्यू 35 या इससे कम होने पर कोविड माना जाता है। वहीं, सीटी स्कोर से फेंफड़े को नुकसान का पता लगाया जाता है। इसके नंबरों को सीओ-आरएडीएस कहा जाता है। यदि यह एक है तो मरीज सामान्य है। दो से चार पर हल्का संक्रमण व पांच से छह पर गंभीर संक्रमण और मरीज के पाजिटिव होने की आशंका व्यक्त की जाती है।
कैंसर व अन्य बीमारी का कारण बन सकता रेडिएशन
जो मरीज होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे हैं, उन्हें सीटी स्कैन की जरूरत नहीं हैं। कोई परेशानी होने पर डाक्टर की सलाह पर ही सीटी स्कैन कराना चाहिए। कई मरीज तो कोविड का पता लगाने के लिए इलाज की अवधि में कई बार सीटी स्कैन करा लेते हैं, जो ठीक नहीं। दरअसल सीटी स्कैन कराने पर 300 चेस्ट एक्स-रे के बराबर रेडिएशन व्यक्ति के शरीर में पहुंचता है, जो बाद में कैंसर व अन्य बीमारी का कारण बन सकता है। इसलिए हर किसी को सीटी स्कैन कराने की सलाह नहीं दी जाती है। कई बार लोग डाक्टर की सलाह की अनदेखी कर सीटी स्कैन कराते हैं, जिसमें संक्रमण की पुष्टि तो नहीं होती, मगर रेडिएशन जरूर मरीज के शरीर में पहुंच जाता है।
- डा. सागर वार्ष्णेय, चेस्ट फिजीशियन व आइसीयू विशेषज्ञ, केके हास्पिटल।
दीनदयाल अस्पताल में आरटीपीसीआर टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है। अब पहले से कहीं तेजी के साथ टेस्ट किए जा रहे हैं। रिपोर्ट भी 24 से 72 घंटे में मिल रही है। यदि कोई गंभीर लक्षण नहीं है तो सीटी स्कैन बिल्कुल न कराएं। यह शरीर के लिए घातक है। निजी चिकित्सकों से अपील है कि सीटी स्कैन के नुकसान की अनदेखी न करें। गंभीर मरीजों के ही सीटी स्कैन कराएं।
- डा. बीपीएस कल्याणी, सीेएमओ।
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