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दीपावली आई .. खूब बिकेंगी मिलावटी मिठाई

नकली खोवा व सिथेटिक दूध की बढ़ी बिक्री रोक लगाने को रणनीति नहीं बना सका एफडीए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 02:36 AM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 02:36 AM (IST)
दीपावली आई .. खूब बिकेंगी मिलावटी मिठाई

नकली खोवा व सिथेटिक दूध की बढ़ी बिक्री, रोक लगाने को रणनीति नहीं बना सका एफडीए

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विनोद भारती, अलीगढ़ : दीपावली पर मिठाइयों को देख मुंह में पानी आना लाजिमी है। यही वजह है कि मिठाई की बिक्री सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना बढ़ जाती है। चिता की बात ये है कि मिलावटखोर आपकी सेहत से खिलवाड़ कर सकते हैं। ज्यादा मुनाफे के फेर में कई जगह मिलावटी सामान की बिक्री की आशंका है। दीपावली पर मिठाई खाएं तो जरा संभलकर। बीमार होने से अच्छा है कि पहले मिठाई की गुणवत्ता जांच लें और ऐसी दुकान से मिठाई और अन्य खाद्य पदार्थ खरीदे जो भरोसे की हो। मिठाइयां सावधानी बरतते हुए ही खरीदें। ऐसा न हो कि सेहत ही खराब हो जाए। जन जागरूकता के लिए दैनिक जागरण अभियान चला रहा है, पेश है दूसरी किस्त..

धधक रहीं खोवा की भट्ठियां

इन दिनों देहात में खोवा बनाने वाली भट्ठियां खूब धधक रही हैं। सूत्रों की मानें तो तमाम जगह सिथेटिक मावा तैयार होने लगा है। इससे अचानक दूध की नदियां बहने लगी हैं। यहां तैयार खोवा जिले में ही नहीं खपेगा, बल्कि आसपास भी भेजा जाएगा। बीते सालों में हजारों कुंतल नकली खोवा व मावा पकड़ा गया है, मगर ज्यादातर मामलों में मिलावटखोरों पर बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती। हालांकि, इस बार शासन ने दीपावली पर ऐसी ही निर्माण इकाइयों पर एफडीए को छापेमारी करने के निर्देश दिए हैं, जहां मिलावट की सबसे ज्यादा आशंका हो। लेकिन, अभी तक एफडीए के अधिकारी कार्रवाई के लिए ठोस रणनीति तैयार नहीं कर पाए हैं।

ऐसी-ऐसी मिलावट

दूध-यूरिया, शैंपू , डिटर्जेंट व रिफाइंड से सिथेटिक दूध तैयार किया जाता है। ऐसा 10 किलो दूध 150-200 रुपये में तैयार हो जाता है। असली दूध 54 से 60 रुपये लीटर है।

मावा : नकली मावा सिथेटिक दूध, सूजी, तेल, रंग, आलू, शकरकंद की मिलावट की जाती है। एक किलो नकली मावा बनाने पर 60 से 70 रुपये खर्चा आता है। असली बताकर इसे 250-300 रुपये किलो तक बेचा जाता है।

मिल्क केक : सिथेटिक दूध, सूजी, गीला ग्लूकोज (वजन बढ़ाने के लिए ) से नकली मिल्क केक तैयार होता है। थोक में इसकी बिक्री 150 रुपये प्रति किलो तक होती है। फुटकर दुकानदार दोगुना कीमत पर बेचते हैं।

रसगुल्ला : सिथेटिक दूध व स्टार्च (अरारोट) का उपयोग करके रसगुल्ला तैयार किया जाता है। होलसेल में यह 80 रुपये किलो बिकता है। रिटेल में 200 रुपये से अधिक तक बिक्री होती है।

त्योहार से पहले भी हो छापेमारी

शहर के प्रसिद्ध जलाली स्वीट्स के मालिक राजीव जलाली ने कहा कि मिलावटी मिठाइयों की बिक्री गांव-देहात, बस स्टैंड व सार्वजनिक स्थानों पर अधिक होती है। दीपावली ही नहीं, सामान्य दिनों में भी मिलावटी मिठाइयां बिकती हैं। एफडीए केवल दीपावली व अन्य त्योहारों पर ही छापेमारी करता हैं। शहर की दुकानों से ऐसी शिकायतें कम मिलती हैं। यहां क्वालिटी को लेकर आपस में ही स्पर्धा रहती है। ऐसे परखें मिठाई

- मिठाई का रंग अगर ज्यादा ही डार्क है तो उसे खरीदने से बचें।

- मिठाई बासी है तो उस पर सूखापन नजर आता है, यह भी देखें।

- छुड़ाने से अगर मिठाई से वर्क निकल जाता है, तो वह नकली है, चांदी की वर्क हाथ से घुल जाती है, यह हाथ से देख सकते हैं।

- सूंघने पर मिठाई की खुशबू भी उसकी गुणवत्ता बताती है।

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मिलावटी मिठाई खाने से फूड प्वॉइजनिग, जी-मिचलाना, बेचैनी, चक्कर आना, उल्टी-दस्त हो सकते हैं। केमिकल व अन्य अखाद्य वस्तुओं के लंबे समय तक सेवन से किडनी फेल्योर, ब्रेन स्ट्रोक, आंतों में संक्रमण व कैंसर तक की आशंका रहती है।

डॉ. अमित वाष्र्णेय, फिजीशियन वृंदा हॉस्पिटल

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दीपावली के मद्देनजर जल्द ही मावा या मिठाई बनाने वाली फैक्ट्रियों पर छापेमारी शुरू होगी। जनता की सेहत से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। मिलावट मिलने पर दोषी के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी।

सर्वेश मिश्रा, अभिहित अधिकारी, एफडीए


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