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Conflict in Congress : जिलाध्यक्ष और जिला कोआर्डिनेटर ने किया एक दूसरे का निलंबन, ये हैै मामला Aligarh news

पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह के सपा में जाने के बाद कांग्रेस में घमासान शुरू हो गया। चौ. बिजेंद्र सिंह के समर्थन में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले जिला कोआर्डिनेटर राजीव गुप्ता लीडर को जिला कमेटी व पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 09:36 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 02:16 PM (IST)
Conflict in Congress : जिलाध्यक्ष और जिला कोआर्डिनेटर ने किया एक दूसरे का निलंबन, ये हैै मामला Aligarh news
जिला कोआर्डिनेटर राजीव गुप्ता लीडर को जिला कमेटी व पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया।

अलीगढ़, जेएनएन : पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह के सपा में जाने के बाद कांग्रेस में घमासान शुरू हो गया। पार्टी नेता अब एक-दूसरे पर जुबानी बाण चला रहे हैं। चौ. बिजेंद्र सिंह के समर्थन में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले जिला कोआर्डिनेटर राजीव गुप्ता लीडर को जिला कमेटी व पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। जिला कोआर्डिनेटर भी कहां मानने वाले थे उन्होंने जिलाध्‍‍‍‍‍यक्ष को ही पार्टी से निष्कासित करने की चिट्टी जारी कर दी। पार्टी के दूसरे नेता उन्हें मनाने में जुट गए हैं, लेकिन हालात को देखकर लग नहीं रहा कि दोनों नेता चुप बैठ पाएंगे। 

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चयन प्रक्रिया पर सुरेंद्र सिंह ने उठाए सवाल

जिलाध्यक्ष चौ. सुरेंद्र सिंह का कहना है कि राजीव लीडर की आस्था कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में नहीं बची है। इसी कारण वे अधिकारियों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। उनका यह कृत्य पार्टी विरोधी है। इसलिए उन्हें जिला कमेटी व कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित किया गया। राजीव लीडर को जब इसकी भनक लगी ते उनका पारा चढ़ गया। कुछ देर बाद ही उन्होंने ने जिला कोआर्डिनेटर की हैसियत से जिलाध्यक्ष को पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा कर दी। प्रतिलिपि प्रदेशाध्यक्ष व प्रियंका गांधी को भी भेज दी। लीडर ने कहा कि जिलाध्यक्ष ने बयान दिया था कि चौ. बिजेंद्र सिंह कांग्रेस में हैं और रहेंगे, लेकिन कुछ घंटे बाद ही वे सपा में चले गए। उन्होंने पार्टी को भ्रमित किया और हाईकमान को गुमराह। वे चौ. बिजेंद्र सिंह के करीबी रिश्तेदार हैं। इससे उनकी भूमिका संदिग्ध हो गई है। दोनों नेताओं ने गेंद पार्टी नेतृत्व के पाले में फेंक दी है। अब देखना यह है कि पार्टी क्या निर्णय  लेती है? पार्टी छोड़कर सपा में शामिल हुए पूर्व सांसद दूर से इस तमासे को देख रहे हैं7 उनकी इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।


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