नगर निगम की कोरी बातें : न साफ हुआ, न दूधिया रोशनी में नहाया अलीगढ़ शहर
नगर निगम बोर्ड के गठन को एक साल हो गया। तब विकास और समस्याओं के निदान के वायदे किए गए। स्मार्ट सिटी का सपना संजोये शहर के लोगों को एक साल बाद निराशा ही हाथ लगी है।
अलीगढ़ (जेएनएन)। पिछले साल नगर निगम बोर्ड का गठन हुआ था। तब शहर के विकास और समस्याओं के निदान के वायदे किए गए। स्मार्ट सिटी का सपना संजोये शहर के लोगों को एक साल बाद निराशा ही हाथ लगी है। इसका कारण किसी बड़ी समस्या से मुक्ति न मिल पाना है। मेयर और पार्षदों के वायदों अभी अधूरे ही हैं। न शहर साफ हो सका और न दूधिया रोशनी में नहाया। सभी वार्डों में समस्याएं आज भी बिखरी हुई हैं।
बदहाल है सफाई व्यवस्था
चुनाव के समय जन प्रतिनिधियों द्वारा किए गए वायदे यदि पूरे हो जाते तो शहर क्लीन दिखता। लेकिन, तस्वीर उलट है। जगह-जगह कूड़े के ढेर और बदबू के हालात एक साल बाद भी बदले नहीं हैं। इसका बड़ा कारण व्यवस्थाएं ठीक न होना है। नए इलाके के शामिल करने के बाद शहर की आबादी 15 लाख है। पहले 70 वार्ड और 10 वार्ड और बढ़कर 80 हो गए हैं। इतनी आबादी की सफाई का जिम्मा एटूजेड कंपनी के करीब 80 कर्मचारी और निगम के 2259 कर्मचारियों पर हैं।
दस हजार की आबादी पर 28 सफाई कर्मियों का होना जरूरी
हेल्थ मैनुअल के अनुसार 10 हजार की आबादी पर 28 सफाई कर्मचारियों की तैनाती होनी चाहिए। इस हिसाब से 4200 कर्मचारी होने चाहिए। हाल यह है कि हर रोज पूरे शहर की एक साथ सफाई नहीं हो पाती। कूड़ा उठाने के उपकरण कूड़ेदान में डालने के लिए उपयुक्त नहीं रहे। गीला और सूखा कूड़ा अलग करने की व्यवस्था भी नहीं हो सकी। नालों और कूड़े की सफाई पर हर रोज तीन लाख खर्च करने के बावजूद लोगों को नाक बंद कर निकलना पड़ता है। बदबू कूड़े की ही नहीं, पशुओं के अवैध कटान की भी है। निगम का स्लॉटर हाउस चालू नहीं हो सका है।
गलियां नहीं हुईं रोशन
शहर में 31 हजार 443 प्रकाश बिंदु में से करीब 20 फीसद बंद हैं। शहर को दूधिया रोशनी से नहलाने के लिए सभी प्वाइंटों पर एलइडी लगाने की बात कही गई थी, लेकिन 16500 पर एलइडी लगी हैं। सभी लाइट बदलने के लिए ईईएसएल कंपनी से करार तो हुआ, पर कंपनी ने काम नहीं किया। निगम भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सका।
पुराने इलाकों में दूषित पानी की सप्लाई
पीने के लिए साफ पानी की जरूरत होती है, लेकिन शहर के पुराने इलाकों में दूषित पानी की सप्लाई हो रही है। कनवरी गंज, महावीर गंज, ऊपर कोट, देहली गेट क्षेत्र इसमें शामिल हैं। इसका कारण जर्जर पाइप लाइन हैं, जिसे बदलने के लिए चुनाव के समय वायदा तो हुआ पर काम नहीं हो सका।
जलभराव की समस्या बनी रही
बरसात के समय कटोरे नुमा शहर की सड़कें पानी में डूब जाती हैं। गूलर रोड पर नाव चलानी पड़ी। पानी पोखरों में न जाने से आबादी क्षेत्र में भर गया। इसके निदान के लिए नालों को जोडऩे, सीवर लाइन अलग करने और पोखरों को कब्जा मुक्त कराने के मात्र वायदे ही होते रहे हैं।
अतिक्रमण व जाम से शहर परेशान
शहर को अतिक्रमण और जाम से मुक्त कराने के लिए 31 वेंडिंग जोन बनाने का निर्णय हुआ, पर यह फाइलों तक ही रहा। ई-रिक्शा के छह रूट और रंग तय करने के बावजूद उनका व्यवस्थित संचालन नहीं हो पाया। प्रमुख चौराहे दुबे के पड़ाव, क्वार्सी, सारसौल, मीरीमल की प्याऊ, सब्जी मंडी, देहली गेट, बारहद्वारी पर आज भी जाम लगता है। मानिक चौक, प्रेस कॉलोनी, नगला तिकोना रोड व अन्य बदहाल सड़कें व पुलिया भी लोगों की परेशानी का कारण बनी हुई है।
पब्लिक बोल
नहीं हुई कूड़ा उठाने की व्यवस्था
सराय रहमान के मो.शबाब का कहना है कि चुनाव के समय वायदे तो हुए पर काम नहीं। न तो कूड़े उठाने की व्यवस्था सही हो सकी और न नालों की सफाई हुई। क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट भी नहीं जलती। पाइप लाइन में पानी भी शुद्ध नहीं मिलता है। देवी नगला के लवकुश का कहना है कि क्वार्सी, दुबे का पड़ाव सहित शहर के सभी चौराहों का बुरा हाल है। ट्रैफिक व्यवस्था सही नहीं है। फ्लाई ओवर के बाद भी जाम लगता है। सारे वायदे चुनावी ही रहे। शाहजमाल के शान मोहम्मद बताते हैं कि निगम में बोर्ड बदला, पर हालात नहीं। सफाई, पेयजल और पथ प्रकाश की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। यही वजह है लोग परेशान हैं