दशहरा पर श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी, दशहरा पर बना आनंद योग
गंगा दशहरा पर्व बुधवार को हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। श्रद्धालुओं ने रामघाट राजघाट आदि पर डुबकी लगाई।
अलीगढ़ (जेएनएन)। गंगा दशहरा पर्व बुधवार को हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। श्रद्धालुओं ने रामघाट, राजघाट आदि पर डुबकी लगाई। अलीगढ़ जनपद की सीमा सांकरा से गुजर रही गंगा में श्रद्धालुओं ने आनंद के साथ स्नान किया। श्रद्धालुओं के उत्साह के चलते ट्रेन व बसों में भीड़ रही। खासकर गंगा जाने वाली बरेली पैसेंजर में सवारियां छतों प नजर आईं।
गंगा-दशहरा पर बना आनंद का योग
गंगा दशहरा का पर्व इस बार विशेष महत्व रखेगा। बुधवार को पडऩे वाला यह पर्व गंगा की उत्पत्ति के बाद दूसरी बार पड़ रहा है। भगीरथ की तपस्या के बाद जब जिस योग में गंगा मइया शिव की जटा से होते हुए धरती पर आई थीं उसी प्रकार का संयोग बुधवार को गंगा दशहरा के दिन पड़ रहा है। इसलिए इस बार यह पर्व विशेष फलदायक बताया जा रहा है।
जानिए क्यों मनाया जाता है गंगा-दशहरा पर्व
बुधवार को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। ज्योतिष के जानकार आचार्य अशोक वैदिक ने बताया कि गंगा दशहरा के दिन गंगा मां का अवतरण हुआ था। ब्रह्म पुराण के अनुसार दशहरा दस पापों से मुक्ति दिलाने का काम करता है। उन्होंने कहा कि कई पंचांगों के अध्ययन के बाद यह बात सामने आई है कि गंगा जिस दिन पहली बार धरती पर आई थीं, उस समय जो योग बना था, वही सारे योग बुधवार को हैं। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष दशमी तिथि अर्थात बुधवार को यह पर्व पड़ रहा है। इसमें हस्त नक्षत्र, व्यतीपात योग, गरकरण, कन्या राशि में चंद्रमा, वृष राशि में सूर्य और आनंद योग पड़ रहा है। ऐसा योग पहली बार गंगा के धरती पर अवतरण के दिन पड़ा था। वैदिक ने कहा कि ऐसा योग मनुष्य को जीवन में बहुत कम मिलता है।
फल और घड़ा करें वितरित
गंगा दशहरा के दिन सूर्योदय से पहले जगना चाहिए। आजकल यह प्रवृत्ति कम हो रही है, मगर ऐसे पर्व पर पुण्य लाभ का अवसर नहीं गंवाना चाहिए। वैदिक ने कहा कि यदि शरीर से असमर्थ हैं तो घर में रखे गंगा जल से स्नान करें। दस दीपों से गंगा मइया का पूजन करें। फल, पंखा, घड़ा, शरबत, शिकंजी, तरबूज आदि फल वितरित करने चाहिए।
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