Corona Lockdown 2 स्याही के सुर: सच के सवाल हैं, झूठ की ढाल है Aligarh News
सच सवाल करता है तो भाले की तरह भेदता हैै। झूठ की ढाल बचा नहीं सकती। मेडिकल कॉलेज भी आज सच के सवालों के घेरे में झूठ की ढाल लेकर खड़ा है।
अवधेश माहेश्वरी, अलीगढ़ : सच सवाल करता है, तो भाले की तरह भेदता हैै। झूठ की ढाल बचा नहीं सकती। मेडिकल कॉलेज भी आज सच के सवालों के घेरे में झूठ की ढाल लेकर खड़ा है। अलीगढ़ में सोमवार को कोविड-19 के दो मरीज सामने आने के बाद यह साफ हो गया कि कॉलेज प्रशासन ने बड़ी गड़बड़ी की है। वह शहर की हर जिंदगी से खेला है। प्रशासन की मेहनत की नाव को वहां लाकर डुबोया है, जहां किनारा पास और पानी कम था। वजह कुछ भी हो लेकिन जो किया, वह माफ करने योग्य तो नहीं। आखिर उच्च स्तरीय इलाज की व्यवस्था वाले मेडिकल कॉलेज में खांसी-कफ के गंभीर लक्षण वाला मरीज सारे सुरक्षा घेरे तोड़कर कैसे सीधे भर्ती हो गया। क्यों वहां चिकित्सकोंं, नर्स, स्टाफ और अन्य मरीजों की जान को खतरे में डाल दिया गया। मेडिकल कॉलेज कह रहा है कि वह किसी गंभीर मरीज को कैसे इन्कार कर सकते हैैं, बात सौ फीसद सही है। मेडिकल प्रबंधन का तर्क यह भी है कि मरीज कई बार बाहरी सुरक्षा चक्र पर सही जानकारी छिपा लेते हैैं, यदि इसे सच मान लिया जाए तो इस प्रश्न का क्या जवाब है कि पोजिटिव मिले मरीज की केस हिस्ट्री तो लिखी ही गई होगी। यदि उसमें कोविड-19 के प्राथमिक लक्षण थे, तो जिला प्रशासन को सूचना क्यों नहीं दी गई। यदि लक्षण नहीं थे, तो उसे सीधे आइसोलेशन वार्ड क्यों भेजा गया।
क्या जेएन मेडिकल प्रबंधन सरकार के नियमों के ऊपर है?
मेडिकल प्रबंधन कह रहा है कि वह हर सूचना जिला प्रशासन को नहीं दे सकता। आखिर क्यों? क्या वह सरकार के नियमों से ऊपर है। क्या राष्ट्रीय आपदा कानून उसके ऊपर लागू नहीं होता। मेडिकल प्रबंधन दरअसल झूठ-दर-झूठ बोलकर एक सच को छिपाने की कोशिश कर रहा है। उसने अपने एक प्रोफेसर के दबाव और बचाव के लिए मरीज को सीधे भर्ती किया। यही वजह है कि प्रोफेसर को भी क्वारंटाइन करना पड़ा है।
मेडिकल में सब ठीक नहीं है...
मेडिकल कॉलेज में यह गलती अचानक नहीं हुई। दो दिन पूर्व एक परिचित ने कहा था कि जरा ठीक से पता कराइए। मेडिकल कॉलेज में सब ठीक नहीं है। वहां कोविड-19 के केस की जानकारी छिपाई जा रही हैं, मेरी बात को बहुत गंभीरता से लीजिए। इतना सुनने के बाद मेरी उन परिचित से बात तो बहुत देर हुई लेकिन मैैं बस हां-ना करता रहा। वार्तालाप जैसे ही खत्म हुआ, इसके कोशिश यह थी कि आखिर इसका कोई सबूत मिले कि कुछ छिपाया जा रहा है।
जिंदगी से ऐसे खिलवाड़ की इजाजत नहीं
रविवार को जिले के एक अहम अधिकारी ने कहा कि जिले के हालात बिगड़े, तो वहीं से बिगड़ेंगे। इससे यह संकेत और मिल गए कि कुछ गड़बड़ बड़ी है। आखिरकार सोमवार को बहुत कुछ साफ हो गया कि गलती संयोग से नहीं जानबूझकर की गई हैैं। परंतु ऐसा कर इस शहर का बहुत बड़ा नुकसान किया गया है। शक की सुई तो एक निगेटिव टेस्ट वाली महिला को लेकर भी उठ रही है, परंतु यह जांच का विषय है। प्रशासन सजगता से कार्य कर रहा है, ऐसे में निश्चित रूप से इसे जांच और कार्रवाई से अलग नहीं रहने देगा। यह होना भी चाहिए आखिर कोई कितना भी महत्वपूर्ण क्यों न हो, जिंदगी से ऐसे खिलवाड़ की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती।