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कोरोना काल ने दूसरों के लिए जीने का जगाया भाव Aligarh news

कोविड-19 के दौर में कोरोना वायरस से ग्रसित मरीज काफी तादात में बढ़ रहे हैं। इन सबके बीच जीवनशैली व दिनचर्या बिल्कुल बदल गई है। इस महामारी ने मानसिक रूप से काफी तनाव दिया है। उस पर आनलाइन पढ़ाई ने भी काफी दिक्कतें खड़ी की हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 11:02 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 11:02 AM (IST)
अनन्या वार्ष्णेय, (कक्षा - 8), विजडम पब्लिक स्कूल

अलीगढ़, जेएनएन : आदरणीय मामा जी व मामी जी,सादर प्रणाम। यहां पर सभी कुशलपूर्वक है, आशा करती हूं कि आप सभी कुशलपूर्वक होंगे। मामी जी आपके शहर में हालात कैसे हैं? यहां तो शहर के हालात अभी भी कुछ ठीक नहीं हैं। कोविड-19 के दौर में कोरोना वायरस से ग्रसित मरीज काफी तादात में बढ़ रहे हैं। इन सबके बीच जीवनशैली व दिनचर्या बिल्कुल बदल गई है। इस महामारी ने मानसिक रूप से काफी तनाव दिया है। उस पर आनलाइन पढ़ाई ने भी काफी दिक्कतें खड़ी की हैं। मगर आपको बताना चाहती हूं कि इस महामारी में तमाम दिक्कतों के बीच भी काफी कुछ सीखने का मौका मिला है। सामाजिक व पारिवारिक दोनों ही स्तर पर इस महामारी ने जीवन में काफी बदलाव ला दिया है। समाज की बात करें तो लोगों के प्रति सेवाभाव व मदद करने का दृष्टिकोण बना है। महामारी ने सिखाया है कि अपनी दिक्कतें ही अहम नहीं होतीं। अपने से नीचे स्तर वाले या पीड़ित इंसान को देखकर ईश्वर को धन्यवाद निकलता है कि उन्होंने हमको काफी अच्छे से जीवन जीने का मौका दिया है। खुद से अलग दूसरों के बारे में सोचना भी जीवन है। 

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इस मदद के भाव के चलते ही कोरोना से बचने के लिए मैंने घर पर पुराने कपड़ों के फेस मास्क बनाकर लोगों को बांटे। साथ ही लोगों को इस बीमारी से बचने के लिए शारीरिक दूरी अपनाने, हाथों को सैनिटाइज करने व मास्क लगाने के लिए जागरूक भी किया। वहीं दूसरी ओर परिवार के साथ बहुमूल्य समय बिताने का मौका भी इस महामारी काल में मिला। अपने घर वालों की जिम्मेदारी व दायित्वों को समझ सकी। साथ ही मैंने नृत्य करना, स्वादिष्ट भोजन बनान सीखा। पापा के साथ बागबानी भी की। हस्तकला से मैंने पुराने अखबार व कागजों से तथा आइसक्रीम की पुरानी डंडियों के कई प्रकार के सजावटी सामान बनाए। मामा जी आपको बताना चाहूंगी कि अब मैं बैडमिंटन खेलना भी सीख गई हूं। आनलाइन पढ़ाई के जरिए जो समय स्कूल आने-जाने मे बचना है उसमें मम्मी के साथ एक घंटा बैडमिंटन भी खेलती हूं। अभी कोरोना वायरस का संक्रमण थमा नहीं हैंं इसलिए सुरक्षा उपायों का पालन जरूर करते रहें। बहुत ही जरूरी काम हो तभी बाजार में निकलें। साथ ही शारीरिक दूरी के पालन का नियम भी ध्यान में रखें। इसी के जरिए आप खुद को व परिवार को संक्रमण के खतरे से बचा सकते हैं। 

अनन्या वार्ष्णेय, (कक्षा-8), विजडम पब्लिक स्कूल

 

दूसरों के हित के बारे में सोचना भी है जीवन

समय मुश्किल हो या अच्छा, आमताैर पर इंसान अपनी खुशी व अपने दुख के बारे में सोचता है व समाधान में समय लगाता है। ये उसकी जिम्मेदारी के नजरिए से ठीक भी हो सकता है। मगर अपने सुख व हितों से अलग दूसरों के लिए भी सोचना व उनकी मदद का भाव रखना भी जीवन का हिस्सा होना चाहिए। तभी हम सही मायने में साक्षर व देश के जिम्मेदार नागरिक कहलाने के पात्र होंगे। कोरोना महामारी के इस बुरे वक्त में लोगों में सेवाभाव का जन्म हुआ है। लोगों ने एक-दूसरे की मदद को हाथ भी बढ़ाए। छात्रा अनन्या ने भी बताया कि, उन्होंने खुद से ज्यादा प्रभावित लाेगों को देखा और उनकी पीड़ा को समझा तो ईश्वर के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने लोगों की मदद के लिए घर पर मास्क भी बनाए। यही सेवा व दूसरों के प्रति खुद के समर्पण का भाव है। इन बातों के साथ जब विद्यार्थी व युवा आगे बढ़ते हैं तो वो समाज में आदर्श पेश करते हैं। वरना जीवन व समय तो निरंतर चल रही रहा है। वक्त कैसा भी हो, परिस्थिति कैसी भी हो हर स्थिति में सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पहलू छिपे रहते हैं। जरूरत है खुद का नजरिया सकारात्मक रखते हुए पॉजिटिव चीजों व तथ्यों को अपनाने की। निश्चित तौर पर कोरोना काल ने कई समस्याएं खड़ी कीं, लेकिन इसमें बेहतर करने का भी कुछ अंश छिपा मिला। जब तक इस कोविड-19 वायरस की वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक मास्क, सैनिटाइजर व शारीरिक दूरी के नियम का पालन करना जरूरी है व इनका पालन लोगों से कराना या उसके लिए प्रेरित करना हर व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी है।

- अंबुज जैन, प्रधानाचार्य, बाबूलाल जैन इंटर कॉलेज


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