Vijayadashami 2020 : आइए, विजय पर्व पर बुराइयों के अंत का लें संकल्प, समाज में व्याप्त 10 बुराइयों को करेंगे खत्म
विजयादशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। असत्य पर सत्य की विजय का उत्सव।आम जनता को मूलभूत समस्याएं ही निगले जा रही हैं। नवरात्र के दिनों ही देवी स्वरूप नारी पर उत्पीडऩ व अत्याचार की घटनाएं सामने आईं।
अलीगढ़, जेएनएन। विजयादशमी यानी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व। असत्य पर सत्य की विजय का उत्सव। एक बार फिर बुराई के प्रतीक रावण का दहन होगा, मगर, चिता इस बात की है कि जनता की समस्यारूपी बुराइयों का अंत करने राम कब आएंगे? आम जनता को मूलभूत समस्याएं ही निगले जा रही हैं। नवरात्र के दिनों ही देवी स्वरूप नारी पर उत्पीडऩ व अत्याचार की घटनाएं सामने आईं। दशानन की तरह समाज में विद्रूपता के अनेक चेहरे सामने आए। विडबंना ये रही कि हम अपने अंदर के अहंकार व बुराई रूपी रावण को पूरी तरह खत्म नहीं कर पाए। हकीकत में विजयादशमी का संदेश निरर्थक साबित हो रहा है। आखिर कब मरेगा नई-नई सूरत में जन्म ले रहा रावण? आइए, इस पर्व हम हर रूप में जन्मी बुराई का अंत करने का संकल्प लें...
1- अहंकार नहीं होने देंगे व्याप्त
व्यक्ति का अहंकार उसे सर्वनाश की ओर ले जाता है। विजयादशमी पर संकल्प लें कि हम अपने अंदर कभी अहंकार को व्याप्त नहीं होने देंगे। दौलत और शोहरत मिलने के बाद भी सहज और सरल बने रहेंगे। दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहेंगे। यही मानवता की सबसे बड़ी परिभाषा है। अहंकारियों का सिर अंत में हमेशा नीचा होता है, जैसे दशानन रावण का हुआ।
2- नारी का करेंगे सम्मान
नौ देवियों के आह्वान से दशानन का अंत हुआ। हमारे समाज में नारियों को देवी स्वरूप मना गया है। आज भी समाज में दहेज उत्पीडऩ, महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। उन्हें प्रताडि़त किया जाता है। जनपद में आए दिन ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। इसके लिए जिम्मेदार कहीं न कहीं समाज में व्याप्त बुराई और महिलाओं के प्रति संकीर्ण सोच है। संकल्प लें कि नारियों का सम्मान करेंगे, उनकी रक्षा भी अपना धर्म समझेंगे।
3- पर्यावरण का करें संरक्षण
हम सभी को पता है कि पर्यावरण असंतुलन सभी के जीवन के लिए खतरा है, मगर निजी स्वार्थ के चलते पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। पेड़-पौधों को काट रहे हैं। बेतहाशा पानी की बर्बादी करते हैं। यही वजह है कि अरसे बाद भी जिले में वन क्षेत्र सिकुड़ रहा है। हरियाली कराह रही है। यही हाल रहा तो एक दिन हरियाली खत्म हो जाएगी। हर तरफ कंक्रीट के जंगल ही नजर आएंगे। पेड़ की छांव की बात, किस्से-कहानियों में ही सुनने को मिलेगी। इसलिए पर्यावरण संरक्षण का संकल्प जरूर लें।
4- शिक्षित हो हर इंसान
अशिक्षा राष्ट्र को कमजोर करती है। आज भी तमाम बच्चों के हाथ में कलम व किताब नहीं है। आइए, हम सभी मिलकर संकल्प लें अशिक्षा के अंधियारे को मिटाएंगे। कहीं भी कोई बच्चा अशिक्षित है तो उसे शिक्षित करने के लिए भरसक कोशिश करेंगे।
5- कोरोना-19 खत्म नहीं हुआ है
इस बार कोरोना महामारी ने खूब कोहराम मचाया है। जिले में ही करीब 10 हजार लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैैं। 100 से अधिक मरीज काल का ग्रास बन गए। कोरोना को मात देने के लिए संकल्प लें कि घर से बिना मास्क के नहीं निकलेंगे। शारीरिक दूरी का पालन करेंगे।
6- बीमारियों को होगा खात्मा
हर साल बीमारियां भयावह रूप लेकर सुरसा की तरह मुंह फाड़ रही हैं। डेंगू, मलेरिया, डायरिया, पीलिया, खसरा जैसी बीमारियों से निपटने के लिए हम तैयार नहीं हैैं। कैंसर, बीपी, शुगर, किडनी, लीवर समेत तमाम बीमारियां भी गंभीर रूप ले रही हैं। संकल्प लें कि खुद तो बीमारियों के प्रति जागरूक रहेेंगे ही, दूसरों को भी करेंगे।
7-सफाई व्यवस्था को देंगे धार
जहां सफाई नहीं होती, वहां धन की देवी लक्ष्मी भी वास नहीं करती हैैं। घर की तरह शहर को भी साफ सुधरा रखने जिम्मेदारी हम सभी को उठानी होगी। गंदगी को मात दे दी तो बहुत सी बीमारी रूपी समस्याएं खुद ही खत्म हो जाएंगी।
8- भ्रष्टाचार का हो खत्मा
भ्रष्टाचार इन दिनों चरम पर है। सरकारी विभागों में बड़े अफसरों की सख्ती के बाद भी यह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। लोगों की आज भी धारणा बना हुई है कि जब तक पैसे नहीं देंगे, काम नहीं होगा। इस बुराई को भी खत्म करना होगा।
ईमानदारी से करें कर्तव्यों का निर्वहन
हर इंसान का अपना कर्तव्य होता है। उसकी अपनी जिम्मेदारी होती हैं। सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों की जिम्मेदारी तो सरकार ने तय कर दी है, लेकिन जनता को भी अपनी जिम्मेदारियों का सही से निर्वहन करने की जरूरत है।
मदद का बढ़ाएं हाथ
पूरा समाज एक परिवार की तरह है। हर किसी को एक दूसरी की मदद की जरूरत पड़ जाती है। बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिनका कोई नहीं होता है। हमें ऐसे ही लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना होगा।
ईमानदारी से करें कर्तव्यों का निर्वहन
हर इंसान का अपना कर्तव्य होता है। उसकी अपनी जिम्मेदारी होती हैं। सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों की जिम्मेदारी तो सरकार ने तय कर दी है, लेकिन जनता को भी अपनी जिम्मेदारियों का सही से निर्वहन करने की जरूरत है।
मदद का बढ़ाएं हाथ
पूरा समाज एक परिवार की तरह है। हर किसी को एक दूसरी की मदद की जरूरत पड़ जाती है। बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिनका कोई नहीं होता है। हमें ऐसे ही लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना होगा। ईमानदारी से करें कर्तव्यों का निर्वहन
हर इंसान का अपना कर्तव्य होता है। उसकी अपनी जिम्मेदारी होती हैं। सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों की जिम्मेदारी तो सरकार ने तय कर दी है, लेकिन जनता को भी अपनी जिम्मेदारियों का सही से निर्वहन करने की जरूरत है।
मदद का बढ़ाएं हाथ
पूरा समाज एक परिवार की तरह है। हर किसी को एक दूसरी की मदद की जरूरत पड़ जाती है। बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिनका कोई नहीं होता है। हमें ऐसे ही लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना होगा।
ईमानदारी से करें कर्तव्यों का निर्वहन
हर इंसान का अपना कर्तव्य होता है। उसकी अपनी जिम्मेदारी होती हैं। सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों की जिम्मेदारी तो सरकार ने तय कर दी है, लेकिन जनता को भी अपनी जिम्मेदारियों का सही से निर्वहन करने की जरूरत है।
मदद का बढ़ाएं हाथ
पूरा समाज एक परिवार की तरह है। हर किसी को एक दूसरी की मदद की जरूरत पड़ जाती है। बहुत से ऐसे लोग भी हैं, जिनका कोई नहीं होता है। हमें ऐसे ही लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना होगा।