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संक्रमण के दौर में अहम टास्‍क, कैसा होना चाहिए मास्‍क? 10 से 250 रुपये तक बिक रहे बाजार में

प्लास्टिक मास्क लगाने वाले लोग सांस लेने में तकलीफ की शिकायत कर रहे हैं। घबराहट बेचैनी व चक्कर आना जैसे परेशानी भी हो रही है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 01:53 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 09:08 PM (IST)
संक्रमण के दौर में अहम टास्‍क, कैसा होना चाहिए मास्‍क? 10 से 250 रुपये तक बिक रहे बाजार में

अलीगढ़ [विनोद भारती]: कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मास्क अहम हथियार बन गए हैं। बाजार तरह-तरह के मास्क से पटा हुआ है। ऐसे में प्लास्टिक मास्क भी खूब बिक रहे हैं। ये मास्क वायरस से बचाव भले ही करें, मगर अब दम भी घोंटने लगे हैं। प्लास्टिक मास्क लगाने वाले लोग सांस लेने में तकलीफ की शिकायत कर रहे हैं। घबराहट, बेचैनी व चक्कर आना जैसे परेशानी भी हो रही है। ऐसे में विशेषज्ञ आम लोगों को साधारण सूती कपड़े से बने मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं।

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कीमत 10 से 250 रुपये तक

 बाजार में इन दिनों 10 रुपये से लेकर 250 तक के मास्क बिक रहे हैं। इनमें एन-95, केएन-95, कवच, डिस्पोजल नॉन बोवन (सर्जिकल) आदि मास्क शामिल हैं। अभी तक टू लेयर व थ्री लेयर सर्जिकल मास्क की बात होती थी। अब तो बाजार में सिक्स लेयर मास्क भी बिकने लगा है। हालांकि, प्रचलन में एन-95 व थ्री लेयर सर्जिकल मास्क ही है। चिंता की बात ये है कि कंपनियां लोकल कपड़े का इस्तेमाल करने लगी है। यह देखने के लिए कोई सिस्टम नहीं। वहीं, ऐसे मास्क लगाने वाले लोग सांस की तकलीफ भी बताने लगे हैं।

घट गई ऑक्सीजन, बढ़ गई परेशानी

आगरा रोड स्थित राठी हॉस्पिटल की चेस्ट फिजीशियन डॉ. रूबीना राठी ने बताया कि एक बात समझ लें कि एन-95 या थ्री, फाइव या सिक्स लेयर मास्क सामान्य व्यक्तियों के लिए नहीं हैं। दरअसल, मास्क होने पर व्यक्ति सांस के जरिए इतनी ऑक्सीजन नहीं लेता, जितनी अपने द्वारा ही छोड़ी गई कार्बन डाई ऑक्साइड को पुन: अंदर ले जाता है। इससे कई बार घबराहट व बेचैनी महसूस होने लगती है। चक्कर तक आ सकते हैं। कुछ लोगों की इम्युनिटी की समस्या होती है, ऐसे लोग घर से कम ही बाहर निकलें, ताकि मास्क का ज्यादा प्रयोग ही न करना पड़े।

घर के बने मास्क ही करें इस्तेमाल

सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. नागेश वार्षेय न बताया कि सामान्य व्यक्ति एन-95 या सर्जिकल मास्क का प्रयोग न करें। ये केवल कोविड मरीजों के संपर्क में आने वाले डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी या फिर अस्पतालों में आने-जाने वाले लोगों के लिए हैं। सामान्य व्यक्ति होम मेड या सूती कपड़े के बने मास्क ही पहनें। रूमाल व गमछे को भी मास्क के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

बाजार में बिक रहे घटिया मास्क

केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह टिल्लू का कहना है कि बाजार में घटिया कंपनी व सामग्र्री से बनाए गए मास्क भी बिक रहे हैं। फुटपाथ, कास्मेटिक शॉप व परचून की दुकानों तक पर मास्क बिक रहे हैं। हैवी कपड़े से बने होने के कारण ये मास्क सांस लेने में परेशानी करते हैं।


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