सर्वाइकल कैंसर ने जकड़ी 'आधी आबादी', हर सातवीं महिला संक्रमण की चपेट में
कैंसर के मरीजों की संख्या थमने का नाम नहीं ले रही है। जेएन मेडिकल कॉलेज, दीनदयाल अस्पताल स्थित संपूर्णा क्लीनिक व निजी अस्पतालों में नए मरीजों की संख्या बढ़ ही रही है।
अलीगढ़ (जेएनएन)। कैंसर के मरीजों की संख्या थमने का नाम नहीं ले रही है। जेएन मेडिकल कॉलेज, दीनदयाल अस्पताल स्थित संपूर्णा क्लीनिक व निजी अस्पतालों में नए मरीजों की संख्या बढ़ ही रही है। जेएन मेडिकल कॉलेज में हर रोज कैंसर के 25-30 से अधिक संभावित मरीज पहुंचते हैं। इनमें 90 फीसद मरीज तंबाकू, गुटखा के सेवन से प्रभावित होते हैं। 30 साल की उम्र के युवा भी शामिल हैं। दीनदयाल अस्पताल के संपूर्णा क्लीनिक में वर्ष 2018 में यहां 1805 महिलाओं की स्क्रीनिंग हुईं, जिनमें 235 सर्वाइकल कैंसर से संक्रमित पाई गई हैं। 21 महिलाएं पॉजिटिव मिलने पर मेडिकल कॉलेज रेफर की गईं।
युवाओं को जानकारी भी नहीं
डेंटल कॉलेज के ओरल एंड मैग्जिलोफेशियल विभाग की ओर से पिछले साल सर्वे कराया गया था। डॉ. जीएस हाशमी के अनुसार 1106 लोगों से ओरल कैंसर कैसे होता, इलाज संभव है क्या ऐसे कई सवाल पूछे। 65 प्रतिशत लोग ये नहीं बता सके कि ओरल कैंसर क्या है। 30 प्रतिशत लोगों का कहना था कि ओरल कैंसर धुआं व धूल से फैलता है। 24 प्रतिशत ने बताया कि इस कैंसर का इलाज संभव है अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए। सर्वे में शामिल हुए लोगों में 60 प्रतिशत स्नातक स्तर के थे।
बच्चों का घुटता है दम
जिन घरों में धूमपान आम होता है, उन घरों के बच्चे जन्म से ही धूमपान की ज्यादतियों के शिकार हो जाते हैं। कोई वयस्क एक मिनट में लगभग 16 बार सांस लेता है, जबकि बच्चों में इसकी गति अधिक होती है। पांच साल का एक सामान्य बच्चा एक मिनट में 20 बार सांस लेता है।
मरीजों की संख्या बढ़ी
डिपार्टमेंट ऑफ रोडियोथेरेपी के चेयरमैन प्रो.शाहिद सिद्दीकी का कहना है कि कैंसर के मरीजों की संख्या में इजाफा ही हो रहा है। लोग अब भी धूमपान के प्रति सचेत नहीं हैं। लोगों को इसके खतरे को समझ लेना चाहिए।
समय पर उपचार जरूरी
पन्नालाल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.संगीता सिन्हा का कहना है कि पेपस्मियर टेस्ट से पता चलता है कि सर्वाइकल कैंसर किस स्टेज पर है। समय पर जांच व उपचार शुरू हो जाए तो सर्वाइकल कैंसर से बचा जा सकता है।