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मानवाधिकार की रक्षा के लिए इमाम हुसैन ने जान दी

धार्मिक आयोजन - चेहल्लुम पर एएमयू बेतुस सलात से निकाला जुलूस - मातमदारों ने सीनाजनी कर इमाम हुसै

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Nov 2017 01:58 AM (IST)Updated: Sat, 11 Nov 2017 01:58 AM (IST)
मानवाधिकार की रक्षा के लिए इमाम हुसैन ने जान दी
मानवाधिकार की रक्षा के लिए इमाम हुसैन ने जान दी

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : चेहल्लुम के मौके पर शहर में एएमयू स्थित इमामबाड़ा बेतुस सलात से जुलूस निकाला गया। इसमें मातमदारों ने सीनाजनी कर इमाम हुसैन को याद किया। इसमें शहर की कई अंजुमनों ने भाग लिया।

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यह मुहर्रम के ताजिया दफनाए जाने के चालीसवें दिन मनाया जाता है। वास्तव में चेहल्लुम हज़रत इमाम हुसैन की शहादत का 40वा होता है। हजरत इमाम हुसैन पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे हैं। शुक्रवार सुबह एएमयू स्थित इमामबाड़ा बैतुस सलात पर मौलाना सैयद मोहम्मद असगर ने इमाम हुसैन की कुर्बानी और मानवाधिकार की रक्षा में योगदान को विस्तार से बताया। पैगाम दिया कि इमाम हुसैन के बताए रास्ते पर चलते हुए आपसी भाईचारा और मोहब्बत रखनी चाहिए। इसके बाद जुलूस यहां से शुरू होकर एसएस नॉर्थ व साउथ होता हुए स्टाफ क्लब, वीसी लॉज होते हुए ज्योग्राफी डिपार्टमेंट से होते हुए वापस प्रारंभ स्थल पर पहुंचा। जुलूस के दौरान हाथ में अलम और इमाम हुसैन के बारे विभिन्न महापुरुषों की ओर से लिखे गए संदेश की पंिट्टकाएं थीं। इसमें वृद्ध महिला, पुरुष व बच्चे भी शामिल रहे। जुमे का दिन होने के कारण जुलूस का एक बजे ही समापन हो गया। वैसे यह जुलूस चार बजे समाप्त होता है। सेक्रेटरी सैयद नादिर अब्बा ने बताया कि जुलूस में अंजुमन तंजीम उल अजा, अंजुमन अब्बासिया मेडिकल कॉलोनी, लश्कर हुसैनी अमीर निशा, सोगवार करबला भमौला, सोगवार सकीना फूल चौक, यादगार हुसैनी सैयद वरहा, अकबरी अमीर निशा, असगरी जौहरा बाग ने मातम किया। जामिया उर्दू में भी मजलिस भी हुई।

महिलाओं ने भी की मजलिस

अमीर निशा हसन मंजिल में कुलसुम के आवास पर मजलिस हुई और ताबूत निकला। फातिमा मंजिल अनवरुल हुदा कंपाउंड लाइल डिग्गी में मजलिस हुई।

इस दौरान बैतुस सलात के पास इमामिया मेडिक्स इंटरनेशनल ट्रस्ट की ओर से रक्तदान शिविर लगाया गया। यह शिविर 2007 से लगातार लगाया जा रहा है। इसमें महिला, पुरुष और युवाओं ने 70 यूनिट ब्लड दिया। इसमें डॉ. कासिम आगा, डॉ. वसी जाफरी, डॉ. हैदर हुसैन, डॉ. जफर आब्दी, डॉ. हसन आमिर, शुएब रजा और असरार रजा का सहयोग रहा।


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