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छोटे-छोटे प्रयास कर खुद पर्यावरण संरक्षण में बनेंगे भागीदारAligarh News

छात्र-छात्राओं को बताया कि किस तरह खुद के प्रयासों से प्रकृति को हराभरा बना सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत करने के लिए बड़ी जनजागरूकता रैली या अभियान से ज्यादा जरूरी है खुद को इस कार्य के प्रति जिम्मेदार बनाना।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 10:59 AM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 10:59 AM (IST)
छोटे-छोटे प्रयास कर खुद पर्यावरण संरक्षण में बनेंगे भागीदारAligarh News
छात्र-छात्राओं को बताया कि किस तरह खुद के प्रयासों से प्रकृति को हराभरा बना सकते हैं।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। छोटे-छोटे प्रयासों के जरिए खुद पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनने का संकल्प सेंट निकोलस इंटर कालेज सुमेरपुर कलवा अलीगढ़ के छात्र-छात्राओं ने गुरुवार को लिया। कालेज के हिंदी प्रवक्ता दुष्यंत कुमार शर्मा ने दैनिक जागरण संस्कारशाला में पर्यावरण संरक्षण विषय पर प्रकाशित लेख विद्यार्थियों को पढ़कर सुनाया। छात्र-छात्राओं को बताया कि किस तरह खुद के प्रयासों से प्रकृति को हराभरा बना सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत करने के लिए बड़ी जनजागरूकता रैली या अभियान से ज्यादा जरूरी है खुद को इस कार्य के प्रति जिम्मेदार बनाना।

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छात्रों को सुनाई कहानी

दुष्यंत कुमार ने दैनिक जागरण में ‘बहुत बड़ा काम’ शीर्षक से प्रकाशित कहानी को विद्यार्थियों को पढ़कर सुनाया। उन्होंने बताया कि कहानी में किस तरह कुसुम मैडम ने विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया। पहले कुसुम मैडम ने देखा कि विद्यालय के पौधे सूख रहे हैं। प्रधानाचार्य से कहा तो कालेज का सबमर्सिबल खराब होने की बात सामने आई। ऐसे में बिना पानी के पौधों को बचाने की चुनौती कुसुम मैडम के सामने थी। ऐसे में अगर वो हार मान जातीं तो प्रकृति भी हार जाती। मगर शिक्षिका ने उन बच्चों को प्रेरित किया। कहा कि तुम लोगों की पानी की बोतल में से थोड़ा-थोड़ा पानी लेकर पौधों को सींचने का काम करेंगे। इस तरह विद्यालय के पौधों को खराब होने से बचा लिया गया।

छात्रों ने पूछे सवाल

विद्यार्थियों को बताया कि जिन कामों को छोटा समझकर उनसे किनारा कर लेते हैं वो काम काफी महत्वपूर्ण साबित होते हैं। छोटे कामों को करके अगर प्रकृति की सुरक्षा कर लें तो इससे लोगों के बीच सम्मान भी बढ़ता है और खुद का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। इस कहानी ने सिखाया कि पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ एक-एक बूंद पानी के महत्व को भी बखूबी समझाया गया है। बच्चों ने संस्कारशाला में प्रकाशित लेख से संबंधित तमाम सवाल भी शिक्षक से पूछे, जिनके जवाब शिक्षक ने विद्यार्थियों को दिए।


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