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नई सोच से मुश्किल समय में नहीं थमने दिया व्यापार

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते 22 मार्च 2020 को लॉकडाउन के बाद होटल का व्यवसाय बंद हो गया था। उस समय सजल को सबसे अधिक चिंता व्यवसाय को चलाने के साथ कर्मचारियों के परिवार की थी। उन्होंने घर रहते व्यापार को आगे बढ़ाने के नए तरीके खोजने शुरू किए।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:18 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:18 AM (IST)
बदले नियमों में कारोबार को गति दी गई।

 हाथरस, जेएनएन।  सकारात्मक सोच से संकट की घड़ी में भी निश्चित तौर पर सफलता मिलती है। कोरोना संकट के दौरान इसी नई सोच के साथ व्यापारियों ने अपने व्यापार की तरक्की बनाए रखी। इन्हीं में एक हैैं हाथरस के होटल कारोबारी सजल बूटिया। उन्होंने सकारात्मक सोच से व्यवसाय की प्रगति के साथ अपने कर्मचारियों के घर में भी आर्थिक तंगी नहीं आने दी।

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झेलनी पड़ीं चुनौतियां

 वैश्विक महामारी कोरोना के चलते 22 मार्च 2020 को लॉकडाउन के बाद होटल का व्यवसाय बंद हो गया था। उस समय सजल को सबसे अधिक चिंता व्यवसाय को चलाने के साथ कर्मचारियों के परिवार की थी। उन्होंने घर रहते व्यापार को आगे बढ़ाने के नए तरीके खोजने शुरू किए।

ऑनलाइन आर्डर से कामयाबी  

कोरोना संक्रमण के चलते होटल पर ग्राहकों का आना बंद हो गया था। ऐसे में सजल ने ग्राहकों से वीडियो कॉल, मैसेज के माध्यम से संपर्क कर वाट््सएप पर आर्डर लिए। डिलिवरी ब्वाय के जरिये कोविड नियमों का पालन करते हुए होम डिलिवरी करना शुरू कर दिया। इसमें पैकेट बंद खाद्य पदार्थ भेजने की अनुमति ले रखी थी।

सहयोगी बने कर्मचारी

लॉकडाउन के दौरान तीन माह तक होटल पूरी तरह से बंद रहा। इसमें तीस कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट न हो, इसके लिए उन्हें राशन पानी के लिए धनराशि देते रहे। उनका हालचाल भी फोन पर पूछते रहे। बेहतर सेवा ही ग्राहकों का विश्वास जीतने में सहायक बना।

बिना मास्क प्रवेश नहीं

लॉकडाउन समाप्त होने के बाद अनुमति मिलने पर होटल को सैनिटाइज किया गया। कोविड-19 के नियमों को ग्राहकों के ध्यानार्थ जगह-जगह चस्पा किया गया। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए होटल में बैठने की व्यवस्था की गई। बिना सैनिटाइज व मास्क के होटल में प्रवेश की अनुमति किसी को नहीं है। रामोजी रिपोर्ट के संचालक सजल बूटिया का कहना है कि  कोरोना काल किसी आपातकाल से कम नहीं रहा। ऐसे में व्यवसाय की प्रगति बनाए रखने के लिए कुछ अलग करना जरूरी था। इससे अपने साथ उन कर्मचारियों के परिवार का हित भी देखना था। इसमें सकारात्मक सोच व ऑनलाइन व्यवस्था ही काम आई।


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