पीतल ने बदली चाल, महंगे 'राधा-गोपालः 30 फीसद कम मिले मूर्ति निर्यात के ऑर्डरaligarh news
पीतल के भाव बढ़ने से मूर्तियां महंगी हो गई हैं। विदेशों से भी इस बार आर्डर कम मिले हैं। इससे कारोबारी निराश हैं।
मनोज जादौन, अलीगढ़। पीतल की मूर्ति निर्माण के लिए देश विदेश में पहचान बना चुके अलीगढ़ को झटका लगा है। पीतल के रेट, टैक्स, मजदूरी बढऩे से मूर्तियां महंगी हो गई हैं। इसका असर विदेशों से मिलने वाले ऑर्डर पर पड़ा है। जन्माष्टमी से पहले विदेशों से मिलने वाले भगवान श्रीकृष्ण व राधा की मूर्तियों के ऑर्डर में 30 फीसद की गिरावट आई है। पीतल मूर्ति निर्माण से शहर के 50 हजार कारोबारी जुड़े हैं। 500 करोड़ रुपये सालाना का कारोबार है। 200 करोड़ रुपये सालाना का निर्यात होता है। इग्लैंड, अमेरिका, जापान आदि देशों में यहां से पीतल की लक्ष्मी-गणेश, राधा-कृष्ण की मूर्तियां, सजावट का सामान व यूरोपियन फिगर की सप्लाई होती है। इनके सबसे अधिक ऑर्डर जन्माष्टमी व दीपावली पर मिलते हैं। इस बार भी ऑर्डर तो मिले हैं, पर बीते सालों की तुलना में 30 फीसद कम है। कारोबारियों के अनुसार इस बार 150 करोड़ का ही निर्यात हो सकेगा।
देसी बाजार में सौ रुपये का उछाल
पिछले एक साल के दौरान पीतल के रेट में 20 रुपये प्रतिकिलो की वृद्धि हुई है, मजदूरी में 30 फीसद की वृद्धि हो गई है। कारोबार को जीएसटी ने भी प्रभावित किया है। कच्चे माल पर 18 फीसद जीएसटी है, जबकि मूर्ति पर 12 फीसद है। इस अंतर को उत्पादन लागत में शामिल करने से मूर्ति की कीमत में करीब 150 रुपये प्रति किलो का अंतर आ गया। पिछले साल 600-700 रुपये प्रति किलो मूर्ति के रेट थे, इस बार 700-800 रुपये हैं।
डॉलर से रुपया कमजोर, कारोबार प्रभावित
कारोबारियों का कहना है कि विदेशों में सप्लाई करने में घाटा है। एक साल पहले तक एक डॉलर की कीमत 61 रुपये थी। इस समय यह 71 रुपये है। विदेशों से मिलने वाली ड्यूटी ड्रॉबैक की सुविधा, शिपिंग के बढ़ते किराये से भी कीमत बढ़ी है। पिछले साल जो मूर्तियां 2200 रुपये प्रति किलो के हिसाब निर्यात की गई थीं, उसके रेट इस बार 2600 रुपये प्रति किलो हैं।
संकट का दौर
कारोबारी कपिल कुमार का कहना है कि पीतल मूर्ति कारोबार संकट के दौर से गुजर रहा है। पहले निर्यात माल पर 14 फीसद ड्यूटी ड्रॉ बैक मिलता था। इसे समाप्त कर दिया गया। लागत बढ़ गई। एचआर गांधी का कहना है कि आर्टवेयर यानी पीतल मूर्ति व अन्य उत्पादन को विकसित करने की जरूरत है। विदेशी बाजार में तमाम चुनौतियां हैं, जिसके चलते निर्यात घट रहा है।
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