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Board Review Meeting : कृषि निर्यात नीति का लाभ उठाएं निर्यातक, प्रियदर्शी

जनपद हाथरस में आलू के क्लस्टर पशु उत्पाद के क्लस्टर और बासमती चावल के प्रसंस्करण इकाइयों को लगाने की अपार संभावनाएं मण्डल में हैं। सहकारी समितियों को भी किसान उत्पादक संगठन से जोड़ते हुए नीति का लाभ प्रदान करने के निर्देश दिए।

By Sandeep kumar SaxenaEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 11:17 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 11:17 AM (IST)
Board Review Meeting : कृषि निर्यात नीति का लाभ उठाएं निर्यातक, प्रियदर्शी
कमिश्नरी सभागार में कृषि निर्यात निगरानी समिति बैठक का आयोजन किया गया।

अलीगढ़, जेएनएन। मंडलायुक्त जीएस प्रियदर्शी की अध्यक्षता में कमिश्नरी सभागार में कृषि निर्यात निगरानी समिति बैठक का आयोजन किया गया। मंडल आयुक्त ने उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति के बारे में बताया कि कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए ढांचे की व्यवस्था करना, कृषि फसलों और उत्पादों के निर्यात की क्षमता का सदुपयोग करना एवं किसानों व अन्य हित धारकों की आय में वृद्धि करना कृषि निर्यात नीति का मुख्य उद्देश्य है। 

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उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति 2019 बनाई

मंडलायुक्त ने कहा कि  राष्ट्रीय कृषि निर्यात में वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश का योगदान मात्र 7.3 प्रतिशत है, जिसको 2024 तक दोगुना करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश कृषि निर्यात नीति 2019 बनाई गई है। कृषि निर्यात नीति के अंतर्गत पर्यावरण सुरक्षित करने वाले कृषि उत्पादों के निर्यात को आसान कर आना और अप्रसंस्कृत उत्पादों के निर्यात को मूल्य वर्धित उत्पादों की ओर ले जाना है । उन्होंने बताया कि जनपद हाथरस में आलू के क्लस्टर, पशु उत्पाद के क्लस्टर और बासमती चावल के प्रसंस्करण इकाइयों को लगाने की अपार संभावनाएं मण्डल में हैं। उन्होंने सहकारी समितियों को भी किसान उत्पादक संगठन से जोड़ते हुए नीति का लाभ प्रदान करने के निर्देश दिए।  कृषि निर्यात नीति में कृषि उत्पादों की वैश्विक जानकारियों को किसानों तक पहुंचाने और कृषि क्षेत्र में निर्यात को बढ़ाने के लिए विभिन्न विभागों के बीच सह क्रियाशील अवसरों पर ध्यान देना है। उन्होंने बताया कि कृषि निर्यात नीति 2019 के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर पर क्लस्टर सुविधा ईकाई, मंडल स्तर पर मंडल स्तरीय कृषि निर्यात निगरानी समिति और राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय कृषि निर्यात निगरानी समिति का गठन शासन द्वारा किया गया है। जिला स्तर पर गठित क्लस्टर सुविधा इकाई के द्वारा निर्यात के लिए कृषि उत्पाद के क्लस्टर का गठन करने और क्रिस्टल के विकास कार्यों की निगरानी का कार्य किया जाएगा।

निर्यात क्लस्टर के लिए  50 हेक्टेयर की कृषि भूमि जरूरी

 सहायक कृषि विपणन अधिकारी दिनेश चंद्र ने मंडल स्तरीय कृषि निर्यात नीति निगरानी समिति द्वारा बताया कि नीति के अंतर्गत निर्यात क्लस्टर के लिए कम से कम 50 हेक्टेयर की कृषि भूमि होनी चाहिए । यह भूमि 20-20 की आपस में निरंतरता में हो सकती है। क्लस्टर के पास खाद्य पदार्थ प्रसंस्करण संबंधी उद्योग भी स्थापित हो सकेंगे । दिनेश चंद्र ने बताया कि प्रदेश स्तर पर निर्यात निगरानी समिति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित की गई है। इसी प्रकार से मंडल स्तर पर मंडलायुक्त की अध्यक्षता एवं जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में क्लस्टर सुविधा इकाई का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि क्लस्टर में उत्पादित कृषि उत्पाद के प्रसंस्करण के लिए स्थापित की गई प्रसंस्करण इकाई, पैकहाउस, शीतगृह,  राइपेनिंग चेंबर को निर्यात की स्थिति में निर्यात प्रोत्साहन प्रदान करेगी। यह प्रोत्साहन निर्यात के टर्नओवर के 10 प्रतिशत अथवा 25 लाख जो भी कम हो, निर्यात प्रारंभ करने की वर्ष से 5 वर्षों तक दिया जाएगा। निजी क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है।  उन्होंने बताया कि निर्यान्मुखी क्लस्टर की सुविधा व गठन और ऐसे क्लस्टर में प्रसंस्करण इकाई स्थापना के अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा ।

क्लस्टर क्षेत्र 50 से 100 हेक्टेयर पर क्लस्टर निर्माण पंजीकरण और निर्यात दायित्व पूर्ण होने पर 10 लाख, क्लस्टर क्षेत्र 100 से 150 हेक्टेयर पर 16 लाख, क्लस्टर क्षेत्र 150 से 200 हेक्टेयर पर 22 लाख, इस प्रकार से 50 हेक्टेयर की वृद्धि पर छह लाख की धनराशि की बढ़ोतरी अनुमन्य होगी। क्लस्टर में कुल उत्पाद का 30 प्रतिशत निर्यात करने पर निर्यात दायित्व सिद्ध माना जाएगा । प्रथम वर्ष में 40 प्रतिशत, उसके बाद 15 प्रतिशत आगामी 4 वर्ष तक निर्यात होने पर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि कृषि उत्पादों व प्रसंस्कृत वस्तुओं के निर्यात के लिए परिवहन अनुदान जैसे उत्तर प्रदेश समुद्री तट से बहुत दूर स्थित है, जिससे निर्यातकों को समुद्री तट वाले राज्यों से प्रतिस्पर्धा में कठिनाई आती है । हवाई मार्ग से निर्यात करने पर बहुत खर्च आता है, जिसको दृष्टिगत रखते हुए निर्यातकों को परिवहन अनुदान दिए जाने की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि हवाई मार्ग से निर्यात करने पर 10 रुपया प्रति किलोग्राम एवं सड़क व जलमार्ग से निर्यात करने पर ₹5 प्रति किलोग्राम कुल परिवहन व्यय का 25 प्रतिशत , जो कम हो, परिवहन सब्सिडी प्रति निर्यात अधिकतम 10 लाख रुपए प्रति वर्ष दिए जाने का प्रावधान है। इसके साथ ही कृषि निर्यात उत्पाद में प्रयुक्त विनिर्दिष्ट कृषि उपज मंडी शुल्क एवं निर्धारित विकास सेस से छूट दिए जाने का भी प्राविधान किया गया है। डा. चंद्र ने बताया कि कृषि निर्यात और पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन एवं प्रौद्योगिकी में डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए उत्तर प्रदेश में स्थित विश्वविद्यालयों, सरकारी संस्थानों में वार्षिक फीस का 50 प्रतिशत या रुपया 50000 प्रति छात्र की अधिकतम सीमा के अंतर्गत प्रदान किए जाने का भी प्राविधान है । उन्होंने बताया कि 15 महीनों से अधिक की अवधि के पाठ्यक्रमों की फीस के लिए  1 लाख रुपये प्रदान किये जाएंगे। इस प्रकार के उच्च शिक्षा कार्यक्रम प्रारंभ करने वाले राजकीय संस्थानों को एकमुश्त 50 लाख का अनुदान दिया जाएगा। 

ये रहे मौजूद 

बैठक में  वीके सचान उप कृषि निदेशक प्रसार,  पंकज गुप्ता डीडीएम नाबार्ड, देवी सरन सहायक आयुक्त उद्योग, डा. सुशील कुमार संयुक्त निदेशक पशुपालन, विजय चंद्र उप निदेशक उद्यान, रामनरेश सहायक आयुक्त खाद्य, रामशंकर प्रधान प्रबंधक चीनी मिल, राजवीर सिंह प्रगतिशील किसान राजेंद्र प्रसाद पचौरी, निर्यातक पुनीत अग्रवाल, बलवीर सिंह, प्रभारी खाद्य प्रसंस्करण एवं संरक्षण विभाग आदि मौजूद


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