अलीगढ़, जेएनएन। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सबसे अधिक चर्चा में वार्ड नंबर 47 रहा। यहां से सदस्य को लेकर भाजपा के दिग्गजों प्रतिष्ठा दांव पर थी। हालांकि, सीट हाथ से जाते-जाते बची है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र व एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया की समधन व भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष ठा. श्यौराज सिंह की पत्नी विजय देवी को 232 वोटों से जीत हासिल हुई थी। इसकी घोषणा होने से भाजपा के दिग्गजों को भी राहत मिली है। इस वार्ड के चुनाव में पूरे जिले के दिग्गज नेता जुटे थे। अन्य जिलों के भी विधायक व वरिष्ठ नेताओं को बुलाया गया था। ऐसा लग रहा था कि मानों विधानसभा का चुनाव हो। एक -एक वोट को लेकर रातों की नींद उड़ी हुई थी। इस सबके बाद भी जीत का अंतर बहुत अधिक नहीं रहा।
टिकट के बंटवारे से ही जिले की सियासत गरमाई
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का अब भी अलीगढ़ की राजनीति में दबदबा है। अतरौली विधानसभा क्षेत्र से तो उनके नाती संदीप सिंह विधायक हैं और सूबे में वित्त राज्यमंत्री भी हैं। हालांकि, बाबूजी की अब सक्रियता उतनी नहीं रहती है पर उनके पुत्र और एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया सक्रिय हैं। इसलिए इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के टिकट के बंटवारे से ही जिले की सियासत गरमाई रही। सामान्य सीट होने पर राजू भैया के दामाद प्रवीण राज सिंह के मैदान में उतरने की चर्चा थी, मगर सीट महिला सामान्य हो गई। फिर राजनीति ने एकाएक करवट ली। जिले में तेजी से चर्चा शुरू हो गई कि एटा सांसद अपनी बेटी पूर्णिमा सिंह को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। मगर, भाजपा ने साफ निर्देश दे दिया कि किसी भी जनप्रतिनिधि के परिवार से प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा। हालांकि, अंत में राजू भैया की समधन और ठा. श्यौराज सिंह की पत्नी विजय सिंह को मैदान में उतारे जाने की सहमति बनी। इन्हें अब जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
आसान न थी राह
विजय सिंह के लिए राह आसान न थी। उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी डा. सीवी सिंह ने कड़ी टक्कर दी। डा. सीवी सिंह की हवा देखते हुए भाजपा ने प्रचार पूरी ताकत झोंक दी थी। राजवीर सिंह राजू भैया उनके पुत्र व सूबे के वित्त राज्यमंत्री संदीप सिंह, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष ठा. श्यौराज सिंह ने विजय सिंह के समर्थन में गांव-गांव धूल छाननी शुरू कर दी। लगातार सभाएं कीं। कई जिलों से प्रचार में विधायक भी बुलाए गए थे। राजू भैया की बेटी पूर्णिमा सिंह अपनी सासु मां के लिए स्वयं प्रचार में उतरीं। सभी यहां से लोधी वोटरों के समर्थन के लिए गांव-गांव भ्रमण करते रहे। निर्दलीय प्रत्याशी डा. सीवी सिंह बिना संसाधन और ताकत के अकेले मैदान में डटे रहे। दो मई को मतगणना जब शुरू हुई तो उन्होंने दिग्गजों के चेहरों की हवाइयां उड़ा दीं। वे लगातार आगे चल रहे थे। देररात विजय सिंह ने मामूली बढ़त बना ली थी। तीन मई को उन्होंने मात्र 232 वोटों से जीत हासिल की। विजय सिंह को 8635 वोट मिले, जबकि डा. सीवी सिंह को 8403 वोट मिले। यहां से सपा समर्थित जस्सू शेरवानी और बसपा समर्थित डा. सरिता कुशवाहा भी मैदान में थीं।