अलीगढ़ में बायोमीट्रिक भी हो रहे फेल, हर यूनिट में हो रहा 'खेल'
राशन की दुकानों पर बायोमीट्रिक पहरे के बाद भी भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा है। डीलरों ने कालाबाजारी का नया तोड़ निकाल लिया है।
केस-1: जमालपुर क्षेत्र में बेगम साहिबा के परिवार में आठ सदस्य हैं। उन्हें सरकार से हर महीने में 40 किलो राशन मिलता है। पिछले माह डीलर ने 35 किलो ही राशन दिया।
केस-2 : खैर निवासी प्रेमलता सरकारी राशन से परिवार का पेट भरती हैं। छह सदस्यों के लिए हर महीने 30 किलो राशन सरकार से मिलता है। डीलर उन्हें हर माह कम राशन देता है।
केस-3 : महेंद्र नगर क्षेत्र के गिरीश के परिवार में पांच लोग हैं। वे पिछले दिनों राशन लेने गए तो गेहूं में रेत व कंकड़ थे। चावल में चूरा मिला था। इसकी इन्होंने शिकायत भी की, लेकिन डीलर ने फटकार का भगा दिया।
अलीगढ़ (जेएनएन): राशन की दुकानों पर बायोमीट्रिक पहरे के बाद भी भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा है। डीलरों ने कालाबाजारी का नया तोड़ निकाल लिया है। अधिकांश दुकानों पर कार्डधारकों को हर यूनिट पर आधा किलो राशन कम दिया जा रहा है। कंकड़, रेत व चूरा की मिलावट भी कर रहे है। जिले में साढ़े लाख कार्डधारक हैं। इनमें 24 हजार अंत्योदय व बाकी पात्र गृहस्थी के हैं। पात्र गृहस्थी कार्ड धारक को हर माह प्रति यूनिट तीन किलो गेहूं व दो किलो चावल मिलते हैैं। अंत्योदय कार्ड धारक को 35 किलो राशन दिया जाता है।
बदलाव : पिछले साल तक कुछ कोटेदार पूरे राशन की कालाबाजारी कर देते थे। इस पर रोक के लिए बायोमीट्रिक की व्यवस्था की गई। डीलरों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। वे हर यूनिट पर कार्डधारक को आधा किलो राशन कम देते हैैं। किसी डीलर के पास दो हजार यूनिट हैं तो दस कुंतल राशन बच जाता है।
कार्रवाई नहीं : पहले तो आधा किलो राशन जैसे छोटे मामलों की कोई शिकायत नहीं करता है। अगर कर भी दें तो अफसर कार्रवाई नहीं करते।
दिल्ली तक चावल की सप्लाई
अलीगढ़ को राशन की कालाबाजारी का हब माना जाता है। यहां की धनीपुर मंडी इसके लिए चर्चित हैं। हर महीने यहां से कई ट्रक राशन का चावल दिल्ली, नोएडा समेत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भेजा है। छह महीने पहले इसी क्षेत्र में दर्जनों स्थानों पर चावल पकड़ा गया था, लेकिन अब आपूर्ति विभाग का चाबुक सुस्त हो गया है। माफिया के हौसले बुलंद हैं। यहां के गेहूं की सप्लाई आटा मिलों में होती है।
जिला पूर्ति अधिकारी चमन शर्मा, ने कहा है कि राशन वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए विभाग गंभीर हैं। कहीं से राशन कम मिलने की शिकायत आती है तो कार्रवाई होगी।