Aligarh news: शादी अनुदान में बड़ा घोटाला, 345 आवेदन मिले फर्जी
marriage grant गरीब बेटियों की शादी के लिए संचालित प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी शादी अनुदान योजना में बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। जिले में समाज कल्याण पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक के 345 आवेदन फर्जी पाए गए हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। गरीब बेटियों की शादी के लिए संचालित प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी शादी अनुदान योजना में बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। जिले में समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक के 345 आवेदन फर्जी पाए गए हैं। इन सभी का 20 हजार रुपये प्रति आवेदन के हिसाब से 69 लाख रुपये का भुगतान हो चुका है।
यह है मामला
उप निदेशक समाज कल्याण संदीप कुमार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 व 2021-22 के आवेदनों की जांच में इसकी पुष्टि की है। मंडलायुक्त गौरव दयाल ने 96 पेज की जांच रिपोर्ट शासन को भेजी है। शासन के निर्देश पर की गई इस जांच की रिपोर्ट के मुताबिक जांच में सामान्य वर्ग में 51, पिछड़ा वर्ग में कुल 157, अल्पसंख्यक वर्ग में कुल 107 व अनुसूचित जाति में 30 लाभार्थियों के आवेदनपत्र फर्जी मिले। इन्हें गलत तरीके से ब्लाक स्तर पर भेजा गया। जिला स्तर से भी बिना जांच के भुगतान किया गया। जिले के कुल 18 गांव व छर्रा नगर पंचायत के लाभार्थियों की विभागीय टीम के साथ आनलाइन लिस्ट में दर्शाए लाभार्थियों की जांच की गई है। मंडलायुक्त गौरव दयाल ने बताया कि कार्रवाई के लिए डीएम पत्र लिखा है। इसमें योजना से जुड़े तीनों विभागों में तैनात रहे अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है। दलालों की भूमिका भी सामने आई है। इनके खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। अपात्रों से वसूली के लिए कहा गया है।
विजिलेंस जांच की मांग
जांच अधिकारी ने पिछले पांच साल के लाभार्थियों व आवेदनों की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि जांच में कुछ मामले ऐसे भी मिले जो एक वित्तीय वर्ष में निरस्त हुए, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष में फिर आवेदन किए गए। ऐसे में 2016-17 से अब तक लाभान्वित किए गए लाभार्थियों की जांच विजिलेंस टीम द्वारा कराई जानी चाहिए।
बिचौलिया करते थे पांच से 10 हजार की वसूली
शादी अनुदान योजना में एक लाभार्थी को 20 हजार रुपये की सहायता राशि मिलती है। इस फर्जीवाड़े में बिचौलियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इनके द्वारा गलत तरीके से आवेदनपत्र भरवाए गए और भुगतान होने के बाद पांच से 10 हजार तक की वसूली प्रत्येक लाभार्थी से की गई। इस धनराशि का बंदरबांट होता था।