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भूजल बचाने की मुहिम में पिछड़े भवन, नहीं चेत रहे शहरी Aligarh news

जल ही जीवन है ये नारा लिए सरकारी तंत्र हर साल मुहिम चलाता है। मानसून में वर्षाजल के संचय की नसीहतें दी जाती हैं। ज्ञापन विज्ञापन भी इन्हीं प्रेरणाओं से रंगे होते हैं। लेकिन जिम्मेदार महकमे इन नसीहतों को खुद आत्मसात नहीं कर पा रहे।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 06:07 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 08:18 AM (IST)
अत्याधिक जल दोहन से जनपद के 206 गांवों डार्क जाेन की सीमा में आ चुके हैं।

अलीगढ़, जेएनएन ।  ''जल ही जीवन है'' ये नारा लिए सरकारी तंत्र हर साल मुहिम चलाता है। मानसून में वर्षाजल के संचय की नसीहतें दी जाती हैं। ज्ञापन, विज्ञापन भी इन्हीं प्रेरणाओं से रंगे होते हैं। लेकिन, जिम्मेदार महकमे इन नसीहतों को खुद आत्मसात नहीं कर पा रहे। ऐसा होता तो जल संचय के बनाए नियमों का पालन भी कराया जाता। कंक्रीट का जंगल बने इस शहर में बिना रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के इमारतें खड़ी हो रही हैं। छह माह में जल संचय के इंतजाम का भरोसा दिलाकर नक्शे पास करा लिए जाते हैं। लेकिन, व्यवस्था की नहीं जाती। ये हालत तब है, जब हर साल भूगर्भ जलस्तर गिर रहा है।

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206 गांव आए डार्क जोन में

अत्याधिक जल दोहन से जनपद के 206 गांवों डार्क जाेन की सीमा में आ चुके हैं। शहरी क्षेत्र के लगभग हर वार्ड में भूगर्भ जलस्तर 50 से 80 फुट नीचे गिर चुका है। वहीं, सरकारी मशीनरी केवल कागजी कार्रवाई में लगी हुई है। बारिश के पानी को संरक्षित करने का खाका अभी धरातल पर नहीं उतरा जा सका। उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 के तहत 300 वर्गमीटर से अधिक भूखंड पर बने भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाना अनिवार्य है। मगर लापरवाह तंत्र के आगे ये अनिवार्यता बेमानी साबित हो रही है। मकान, दुकान, कांप्लेक्स, हास्पिटल, औद्योगिक संस्थान और ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा। जबकि, ये बेहद जरूरी है। 10 साल पहले तक शहर के जिन इलाकों में 100 से 120 फुट पर पानी मिल जाता था, वहां अब 200 से 250 फुट तक बोरिंग करानी पड़ रही है। ये हालात सुधर सकते हैं, अगर जल संचय के प्रति गंभीरता बरती जाए।

इमारतों में लगे हैं समबर्सिबल

हाउसिंग सोसायटी, बहुमंजिला इमारतों में जलापूर्ति समबर्सिबल पर निर्भर है। प्रतिदिन लाखों लीटर पानी भूगर्भ से खींचा जाता है, उतना भूगर्भ में रिचार्ज नहीं किया जाता। यहां से निकला वर्षाजल नालों में जाकर बर्बाद हो जाता है। नियम तो ये भी हैं कि हाउसिंग सोसायटी में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट हों। मगर ऐसा कहीं नहीं है। सीवर नालों में बहा दिया जाता है।

62 भवनों को दिए गए नोटिस

एडीए में ऐसे 62 भवनों को नोटिस दिए हैं, जहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं हैं। विभागीय अफसरों के मुताबिक नक्शा पास करने से पहले 50 हजार से एक लाख रुपये बतौर सिक्योरिटी जमाकर ये शर्त रखी जाती है कि इमारत में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा। लेकिन, इसे कोई गंभीरता से नहीं लेता।

इनका कहना है

हर बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होना अनिवार्य है। हमारी जितनी भी बिल्डिंग हैं, सभी में यह लगा हुआ है। मेरी अन्य बिल्डरों से अपील है कि अपने यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूर लगवाएं।

योगेश गुप्ता कावेरी, कावेरी ग्रुप

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रेन वाटरहार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना बहुत जरूरी होता है। इससे वर्षाजल का संचय किया जाता है। पानी के बिना कुछ भी संभव नहीं। मानव जीवन के लिए पानी की बहुत जरूरत है। हमारी सोसायटी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगे हुए हैं।

- प्रवीण मंगला, सीएमडी ओजोन सिटी

वर्षाजल संचय के लिए विभाग बेहद गंभीर है। सर्वे कराकर ऐसे भवन चिह्नित किए थे, जहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगे। इन सभी को नोटिस जारी किए गए हैं।

प्रेम रंजन सिंह, नगर आयुक्त


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