बाबा गोरखनाथ व आल्हा-ऊदल को पढ़ेंगे नौनिहाल
बेसिक शिक्षा विभाग नए सत्र से कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को बाबा गोरखनाथ भी पढ़ने को मिलेंगे।
गौरव दुबे, अलीगढ़ : बेसिक शिक्षा विभाग नए सत्र से कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को ¨हदुत्व के प्रतीक संत बाबा गोरखनाथ व जनसंघ संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी व वीर योद्धा आल्हा-ऊदल के बारे में पढ़ाएगा। गोरखपुर के गोरक्षनाथ मंदिर के बारे में भी बच्चों को पढ़ाया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मंदिर के वर्तमान महंत हैं। अपने गुरु बाबा गोरखनाथ व गोरक्षपीठ के बारे में बच्चों को जानकारी कराने के लिए नए अध्याय जोड़े गए हैं। आने वाली पीढ़ी को बचपन से ही इन हस्तियों के बारे में जानकारी कराने के उद्देश्य से इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इस नए बदलाव से भगवा मुहिम को नई धार मिलने के भी आसार हैं।
गोरक्षनाथ मंदिर के बारे में : गोरखनाथ मंदिर उत्तरप्रदेश के गोरखपुर नगर में स्थित है। बाबा गोरखनाथ के नाम पर इस जिले का नाम गोरखपुर पड़ा। गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान महंत बाबा योगी आदित्यनाथ हैं, जो इस समय सूबे के मुख्यमंत्री भी हैं। गोरखनाथ या गोरक्षनाथ जी महाराज 11वीं से 12वीं शताब्दी के नाथ योगी थे। उनके नाम से ही नेपाल के गोरखाओं ने नाम पाया। नेपाल में गोरखा जिला का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया।
आल्हा-ऊदल का जानेंगे पराक्रम: कक्षा छह के बच्चों को आल्हा-ऊदल के पराक्रम के बारे में पढ़ाया जाएगा। आल्हा और ऊदल दो भाई थे। ये बुंदेलखंड महोबा के वीर योद्धा थे। इनकी वीरता की कहानी 'आल्हा-ऊदल बड़े लड़इया इनकी भाज रही तलवार' आज भी उत्तर-भारत के गांवों में गाई जाती है। पंडित ललिता प्रसाद मिश्र ने अपने ग्रन्थ आल्हखंड की भूमिका में आल्हा को युधिष्ठिर व ऊदल को भीम का अवतार बताया है। दोनों की वीरता ऐसी थी कि यूरोपीय महायुद्ध में ब्रिटिश गवर्नमेंट को भी दुश्मनों को चित करने के लिए आल्हखंड का सहारा लेना पड़ा था। कहते हैं इसको सुनकर कायर व्यक्ति भी बड़े-बड़े साहसिक कार्य कर डालता था। मान्यता है कि आल्हा को मां शारदे का अमरत्व का वरदान था, लोग उन्हें अब भी जिंदा मानते हैं।
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पाठ्यक्रम व अध्याय बदलने की घोषणा सरकार ने की थी। नए अध्यायों को जोड़ने से पाठ्यक्रम बदलेगा। मगर, नई किताबों में क्या मैटर बढ़ा है, इसकी जानकारी नहीं है। किताब आने पर ही सही जानकारी होगी।
धीरेंद्र कुमार, बीएसए