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नौकरी को अलविदा कर मिट्टी से जुड़ी और हासिल कर लिया अलीगढ़ रत्न, जानिए कौन है वह Aligarh news

नौकरी को अलविदा कहकर खेती का रास्ता चुनने वाली गांव नगला अहिवासी की ऊषा शर्मा को अलीगढ़ रत्न से सम्मानित किया गया। सम्मान पाने वाली वह क्षेत्र की इकलौती महिला कृषक हैं। नगला अहिवासी निवासी देवीराम शर्मा की बेटी ऊषा शर्मा ने आगरा विश्वविद्यालय से एमएससी बायोटेक से किया था।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 01:18 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 01:18 PM (IST)
नौकरी को अलविदा कर मिट्टी से जुड़ी और हासिल कर लिया अलीगढ़ रत्न, जानिए कौन है वह Aligarh news
गांव नगला अहिवासी की ऊषा शर्मा को अलीगढ़ रत्न से सम्मानित किया गया है।

अलीगढ़, जेएनएन : नौकरी को अलविदा कहकर खेती का रास्ता चुनने वाली गांव नगला अहिवासी की ऊषा शर्मा को अलीगढ़ रत्न से सम्मानित किया गया है। सम्मान पाने वाली वह क्षेत्र की इकलौती महिला कृषक हैं। 

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प्‍लांट में आया खेती का आइडिया

नगला अहिवासी निवासी देवीराम शर्मा की बेटी ऊषा शर्मा ने आगरा विश्वविद्यालय से एमएससी बायोटेक से किया था। इसके बाद मसरुम के एक प्लांट में जॉब की। प्लांट में काम करते हुए जैविक खेती के गुर सीखे। नौकरी छोड़कर उसने एक सफल किसान बनकर खेती को ही अपना व्यवसाय बना लिया है। पारंपरिक खेती को छोड़कर मल्टी क्रॉपिंग खेती को अपनाया है। गांव में ही अपनी प्रयोगशाला भी तैयार की है। क्षेत्र के किसानों को प्राकृतिक व वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने के प्रति जागरु क कर रही है। कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने पर ऊषा शर्मा को रविवार को प्रदेश स्थापना दिवस के मौके पर डीएम चंद्रभूषण सिंह ने अलीगढ़ रत्न से सम्मानित किया है। इस मौके पर सीडीओ अनुनय झा, सांसद सतीश गौतम आदि मौजूद रहे।

शुरु की मल्टी क्रॉपिंग खेती

ऊषा शर्मा गांव में पिता के साथ खेती कर रही हैं। पहले उनके पिता आलू, गेहूं, बाजरा की खेती करते थे। उन्होंने अब मल्टी क्रॉपिंग खेती को अपनाया है। इससे एक साथ कई फसलों को तैयार किया जा सकता है। उन्होंने एक एकड़ खेत में पपीता व एक एकड़ खेत में केले, स्ट्राबेरी, मसरु म की खेती की है। खेत में पानी की बचत के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम भी लगवाया है। इनसे प्रभावित होकर गांव के दो अन्य किसानों ने भी केले की खेती अपनाई है। मल्टी क्रॉपिंग खेती से छोटे किसानों को सबसे ज्यादा फायदा है। इससे फसल चक्र बदल जाता है और आमदनी भी ज्यादा होती है। वहीं वह स्वयं ही आर्गेनिक कंपोस्ट खाद भी तैयार कर रही हैं। उनका कहना है कि प्राकृतिक खेती का कंपोस्ट खाद महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे मिट्टी की भौतिक विशेषताओं में सुधार होता है, खेत में जैव अपशिष्ट कम होते हैं। मृदा की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। वह खाद तैयार कर दूसरे किसानों को बेच भी रही हैं।


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