अलीगढ़ में बनेगी फौज की वर्दी की एसेसरीज, छह कारोबारियों ने किया करार aligarh news
रक्षा हथियारों में उपयोग किए जाने वाले 350 कलपुर्जे यहां पहले से बनाए जा रहे हैं। इस कारोबार में 15 कारोबारी हैं।
मनोज जादौन, अलीगढ़। रक्षा उपकरणों के निर्माण में अलग पहचान बना रहे अलीगढ़ में अब जल्द ही फौजियों की वर्दी की आधुनिक एसेसरीज भी बनने लगेगी। इसके लिए शहर के छह कारोबारियों ने सरकार के साथ करार किया है। इस साल के अंत तक यहां निर्मित एसेसरीज का वर्दी पर उपयोग शुरू होने की संभावना है। इससे पांच सौ लोगों को रोजगार मिलेगा। रक्षा हथियारों में उपयोग किए जाने वाले 350 कलपुर्जे यहां पहले से बनाए जा रहे हैं। इस कारोबार में 15 कारोबारी हैं, जिनका दो सौ करोड़ रुपये सालाना का टर्न ओवर है। 1974 से अलीगढ़ में कलपुर्जे बनाना शुरू किया गया था।
एेसे हुई थी शुरूआत
प्रारंभ में हैंड ग्र्रेनेड में प्रयोग किए जाने वाले मैटल के कण व हाउसिंग पिन बनाए गए थे। इसके बाद कलपुर्जों की संख्या बढऩे लगी और कारोबार का विस्तार होने लगा। आसपास के शायद ही किसी जिले में रक्षा हथियारों में प्रयोग किए जाने वाले इतने कलपुर्जे बनाए जा रहे हों। अब यह कारोबार और विकसित होने जा रहा है। सरकार के साथ छह कारोबारियों की ओर से किए गए करार के तहत लेजर इंग्रेविंग मशीन से फौजियों की वर्दी की एसेसरीज तैयार की जानी है। ऐसा होने पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। कारोबारियों की मानें तो इस करार से करीब 100 करोड़ रुपये सालाना का टर्नओवर बढ़ जाएगा। इस तरह दो सौ की जगह तीन सौ करोड़ रुपये सालाना कारोबार हो जाएगा।
यह एसेसरीज होगी तैयार
फौजियों की वर्दी पर उपयोग किए जाने वाले मैटल व सिल्वर के स्टार, बैल्ट के वक्कल, कैप का मोनोग्र्राम, नेम प्लेट, आइकार्ड जंजीर यहां बनाए जाने हैं। इसके अलावा ट्रॉफी व स्मृति चिह्न भी यहां बनाने पर सहमति हुई है।
पुलिस महकमा में पहले से होती है सप्लाई
महानगर के चार उद्यमी बड़े स्तर पर महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश पुलिस की वर्दी पर उपयोग होने वाली एसेसरीज यहां से सप्लाई कर रहे हैं। इनमें बैज, बैल्ट वक्कल, कैप मोनो ग्राम, मैटल व सिल्वर के स्टार आदि हैं। सप्लायह सुनील कुमार ने बताया कि रक्षा हथियार व गोला बारूद में प्रयोग होने वाले कलपुर्जे पहले से तैयार कर रहे हैं। अब फौजियों की वर्दी में प्रयोग होने वाली एसेसरीज बनाने की तैयारी कर रहे हैं। विकास ब्रज कौशल्य ने बताया कि सेना में बहुत से उत्पादनों की सप्लाई कर रहे हैं। जापान, यूएसए व जर्मनी की आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर बड़े स्तर पर उत्पादन की इच्छा है।
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