पर्यावरण बचाएं होलिका में उपले जलाएं, अलीगढ़ में अपील
होली पर हर वर्ष लाखों टन लकड़ियां जला दी जाती हैं। कुछ जगहों पर तो चोरी-छिपे हरे पेड़ों की भी बलि दे दी जाती है। इसे रोकने के लिए समाजसेवी और पर्यावरण प्रेमी आगे आने लगे हैं।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : होली पर हर वर्ष लाखों टन लकड़ियां जला दी जाती हैं। कुछ जगहों पर तो चोरी-छिपे हरे पेड़ों की भी बलि दे दी जाती है। इसे रोकने के लिए समाजसेवी और पर्यावरण प्रेमी आगे आने लगे हैं। समाजसेवी और गोभक्त कृष्णा गुप्ता ने सभी से होलिका दहन में उपले रखने की अपील की है।
कृष्णा गुप्ता ने कहा हमारा जीवन प्रकृति पर आधारित है। यदि हम प्रकृति से छेड़छाड़ करेंगे तो इसका खामियाजा निश्चित ही हम सब को भुगतना पड़ेगा। इसलिए हमें होली पर पेड़-पौधों को बचाने की जरूरत है। शहर में सैकड़ों स्थानों पर होलिका रखी जाती है। इसमें बड़ी मात्रा में लकड़ी रखते हैं। हम सभी को उपले रखने चाहिए। इससे पेड़ों की कटान नहीं होगी। उन्होंने कहा कि नगला मसानी स्थित पंचायती गोशाला में बड़ी मात्रा में गोबर है, उसे लोग उपले बनाने के लिए ले जा सकते हैं। कहा, गोबर के उपले जलाने से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा, साथ ही कीटाणु भी खत्म हो जाएंगे। उपले की राख का प्रयोग खेत व अन्य स्थानों पर किया जा सकता है।
गोकाष्ठ का करें प्रयोग
पर्यावरण प्रेमी डा. ज्ञानेंद्र मिश्रा ने भी सभी से अपील की है कि होलिका में गोकाष्ठ का प्रयोग करें। गोबर से बना यह गोकाष्ठ एकदम लकड़ी की तरह होता है। इसकी आंच भी खूब होती है। डा. मिश्रा ने कहा कि आज भी गांवों में बड़ी मात्रा में गोबर के उपले रखे जाते हैं। इसमें कोई दोष नहीं है। इन्हें जलाने से हरे पेड़ कटने से बच जाते हैं, पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता है।