जिन्ना की तीसरी 'बेगम' से अलीगढ़ के इतिहासकार भी हैरान
जिन्ना की बीवी के नाम से मिले पत्र पर इतिहासकार भी हैरान हैं।
अलीगढ़ : गांधी आई हॉस्पिटल में जिन्ना की बीवी के नाम से मिले पत्र पर इतिहासकार भी हैरान हैं। उनका मानना है कि जिन्ना की पत्िनयों में पहली पत्नी इमीबाई जिन्ना का 1893 व दूसरी पत्नी रत्तनबाई (मरियम) जिन्ना का 1929 में इंतकाल 1944 से पहले ही हो गया था। प्रख्यात इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब का कहना है कि जिन्ना की बहन तो अलीगढ़ आई थीं, पत्नी कभी नहीं आई। इतिहासकार पत्र से छेड़छाड़ भी मान रहे हैं।
गाधी आई अस्पताल ट्रस्ट के अध्यक्ष व डीएम चंद्रभूषण सिंह शनिवार को अस्पताल पहुंचे तो सचिव ने प्रतिष्ठित आगंतुकों की फाइल दिखाई। इसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, गोविंद बल्लभ पंत, पृथ्वी राजकपूर जैसी कई हस्तियों के साथ मुहम्मद अली जिन्ना की पत्नी का पत्र भी था। फाइल में लगे लेटर को डीएम को भी दिखाया गया। पत्र उर्दू में है। लिखा है..आज मुझे डॉ. मोहनलाल साहब के आंख का अस्पताल देख बड़ी प्रसन्नता हुई। इंसान के लिए आंख की रोशनी सबसे बड़ा उपहार है। जो लोग डॉ. मोहन लाल की तरह आंख के इलाज में मशगूल हैं, वे देश के लिए तारीफ के काबिल हैं। मुझे उम्मीद है कि इस हॉस्पिटल के निर्माण का कार्य मुकम्मल होगा। हस्ताक्षर की जगह 'बेगम मोहम्मद अली वाइफ ऑफ मोहम्मद अली जिन्ना' लिखा है। 17.12.1944 तारीख डाली गई है। इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब का कहना है कि जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना तो अलीगढ़ आई थीं। वह राजनेता थीं और मुस्लिम लीग में रहीं। बंटवारा होने के बाद पाकिस्तान चली गई। उनकी पत्नी यहां नहीं आई।
गांधी आई हॉस्पिटल में चिकित्सा अधीक्षक मधुप लहरी का कहना है कि विजिटर रजिस्टर पर पेज नंबर पड़े हैं। हर पेज नंबर के अनुसार ही टिप्पणी लिखी है। जिन्ना का प्रकरण तो अब शुरू हुआ है, हमारे यहां तो 1993-94 में गोल्डन जुबली सोवियर में यह पत्र छपा था। ये इतिहास है, इससे हम क्यों छेड़छाड़ करेंगे?
पत्र से छेड़छाड़ भी संभव : प्रो. रिजवी
एएमयू के इतिहास विभाग में चेयरमैन प्रो. सैयद अली नदीम रिजवी का कहना है कि पत्र उर्दू में लिखा हुआ है। लिखने वाले ने उर्दू में अपना नाम बेगम मोहम्मद अली लिखा है। अंग्रेजी में बेगम मोहम्मद अली वाइफ ऑफ मोहम्मद अली जिन्ना लिखा है। ये नाम मोहम्मद अली जौहर भी हो सकता है। ये भी हो सकता है कि किसी ने अंग्रेजी में साइन बाद में किए हों। अंग्रेजी का लेखन भी 1944 के दौर का नहीं लग रहा।
एएमयू में जिन्ना को लेकर हुआ था बवाल : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर को लेकर हुए बवाल के दौरान छात्रों पर हुए लाठीचार्ज का विरोध किया गया था। छात्रों ने पंद्रह दिन तक बॉबे सैयद गेट पर धरना दिया था और छात्र-छात्राओं ने पांच दिन तक भूख हड़ताल रखी थी। जेएनयू से गायब चल रहे छात्र नजीब की मा ने भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों को जूस पिलाया। इसके बाद रमजान को देखते हुए धरना खत्म करने की घोषणा की गई थी।
सांसद का पत्र बना था विवाद की जड़ : विवाद भाजपा सासद सतीश गौतम के पत्र के बाद हुआ था। 30 अप्रैल को सासद ने कुलपति को पत्र लिखकर पूछा था कि एएमयू में जिन्ना की तस्वीर है या नहीं। अगर है तो क्यों? इसके दूसरे दिन दो मई को कुछ हिंदूवादी बॉबे सैयद पर पहुंच गए और एएमयू के खिलाफ नारेबाजी की। दोपहर बाद एएमयू के सैकड़ों छात्र रिपोर्ट दर्ज कराने जा रहे थे, रास्ते में पुलिस से उनका टकराव हुआ। पुलिस की लाठीचार्ज में कई छात्र घायल हो गए थे। लाठीचार्ज के विरोध व अन्य मागों को लेकर छात्र दो मई की रात को ही धरने पर बैठ गए थे। छात्र संघ अध्यक्ष मशकूर अहमद उस्मानी व सचिव मो. फहद की इतर उपाध्यक्ष सज्जाद सुभान राथर 12 मई को भूख हड़ताल पर बैठ गए थे।