अमेरिका में 40 देशों के 800 छात्रों में छाया अलीगढ़ के मोटर मैकेनिक का बेटा aligarh news
अमेरिका में पढऩे के लिए 20 लाख रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी। 200 घंटे की समाज सेवा व बेहतर काम के लिए शादाब को 40 देशों के 800 छात्रों में स्टूडेंट ऑफ द मंथ चुना गया था।
संतोष शर्मा, अलीगढ़। प्रतिभा किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती। समर्पण और लगन से किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही धमाल जमालपुर निवासी मोटर मैकेनिक के बेटा मोहम्मद शादाब ने किया है। शादाब ने अमेरिका से हाईस्कूल टॉप किया है। इसे अमेरिका में पढऩे के लिए 20 लाख रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी। 200 घंटे की समाज सेवा व बेहतर काम के लिए शादाब को 40 देशों के 800 छात्रों में स्टूडेंट ऑफ द मंथ चुना गया था। शादाब ने हाईस्कूल में सर्वाधिक 97.6 प्रतिशत अंक हासिल कर स्कूल टॉप किया। उनका सपना संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। फिलहाल वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 11वीं के दाखिले की तैयारी में जुटे हैं। शादाब से स्कॉलरशिप के लिए चयन और अमेरिका में पढ़ाई से लेकर कई बिंदुओं पर बात की। आप भी पढि़ए-
स्कॉलरिशप के लिए चयन कैसे हुए?
जवाब : पिछले साल चयन हुआ था। इसके लिए पांच स्टेज से गुजरना पड़ा। समूह चर्चा, अंग्रेजी, गणित, निबंध, विज्ञान आदि को परखा गया। अमेरिकी विशेषज्ञों ने पैनल इंटरव्यू लिया। आखिर मेंं होम इंटरव्यू हुआ, जिसमें अमेरिका से एक टीम घर पर आई थी। पारिवारिक स्थिति का आंकलन भी किया गया।
आप उर्दू मीडिया से थे। अंग्रेजी भाषा को लेकर कोई दिक्कत हुई?
जवाब : एएमयू के मिंटो सर्किल से उर्दू मीडिया से नौवीं कक्षा पास की थी। स्कूल में अंग्रेजी भी पढ़ाई जाती है। इसलिए अंग्रेजी को लेकर दिक्कत नहीं हुई। अमेरिका जाने से पहले इंग्लिश इंटरनेशनल ओलंपियाड टेस्ट हुआ था, जिसे पास किया।
अमेरिका में स्टूडेंट ऑफ द मंथ कैसे चुने गए?
जवाब : स्कॉलरशिप से भारत के 40 छात्रों समेत 40 देशों के 800 छात्रों का चयन हुआ था। इनमें से सात छात्रों का चयन यूएस अंबेसी में हुई सिविल एजूकेशन वर्कशॉप के लिए हुआ। भारत से सिर्फ मैं शामिल हुआ। वहां मैंने 200 घंटे की समाज सेवा की। अन्य बेहतर कार्यों के लिए मुझे स्टूडेंट ऑफ मंथ चुना गया।
भविष्य का सपना क्या है?
जवाब : संयुक्त राष्ट्र में हृयूमन राइट ऑफिसर के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। इसके लिए आइएएस बनना होगा। संयुक्त राष्ट्र में जाने के लिए समाज सेवा का दस साल का अनुभव जरूर होता है। इसके लिए अमेरिकन फील्ड सर्विस के साथ वॉलियंटर के रूप में रजिस्ट्रेशन करा रहा हूं।
पढ़ाई के साथ अमेरिका में नया क्या सीखा?
जवाब : दुनिया के बारे में सोचने का समय मिला। पहले अपने शहर व देश के बारे में ही सोचता था। दुनिया बहुत बड़ी है। सभी देशों को मिल जुलकर रहना चाहिए। पाकिस्तान की एक छात्रा भी हमारे साथ थी। कभी लगा ही नहीं कि दोनों देशों के बीच कोई विवाद भी है। कभी कोचिंग नहीं गया। मोबाइल का इस्तेमाल ऑनलाइन पढ़ाई के लिए करता हूं। रोज सात से आठ घंटे पढ़ाई करता हूं। सोशल मीडिया पर बहुत कम समय देता हूं।
पिता को है गर्व?
मोहम्मद सादाब के पिता अरशद नूर की सारसौल चौराहे पर मोटर मैकेनिक की दुकान है। बेटा की सफलता पर उन्हें गर्व है। कहते हैं बेटा ने मुझे बड़ी पहचान दी है।