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Aligarh Panchayat Chunav Results 2021: पंचायत चुनाव के आधे से ज्यादा दावेदार नहीं बचा पाए जमानत

त्रिस्तीय पंचायत चुनाव में आधे से ज्यादा दावेदार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएं हैं। जिले में आठ हजार से अधिक दावेदारों की जमानत जब्त हो गई है। वहीं कुछ दावेदार जमानत बचाने के लायक ही वोट ले सके हैं।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 09:46 AM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 09:46 AM (IST)
त्रिस्तीय पंचायत चुनाव में आधे से ज्यादा दावेदार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएं हैं।

अलीगढ़, जेएनएन। त्रिस्तीय पंचायत चुनाव में आधे से ज्यादा दावेदार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएं हैं। जिले में आठ हजार से अधिक दावेदारों की जमानत जब्त हो गई है। वहीं, कुछ दावेदार जमानत बचाने के लायक ही वोट ले सके हैं। कुल पड़े वैध वोटों के  पांचवे हिस्से का वोट लेना जरूरी होता है। इससे कम मत मिलने पर जमानत राशि जब्त हो जाती है। 

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पांचवें हिस्से के वोट लेना जरूरी

जिले में कुल 867 ग्राम पंचायत, 47 जिला पंचायत सदस्य व 1156 क्षेत्र पंचायत सदस्य के पद हैं। इन पदों के लिए जिले में इस बार कुल 15857 लोगों ने नामांकन किए। इनमें प्रधान के 6001, जिला पंचायत सदस्य के 474, बीडीसी के 5188 व ग्राम पंचायत सदस्य के 4195 उम्मीदवार शामिल थे। इन सभी उम्मीदवारों ने निर्वाचन विभाग के नियमों के तहत जमानत राशि जमा की। नियमों के तहत जमानत राशि बचाने के लिए कुल पड़े वोटों के पांचवें हिस्से के वोट लेना जरूरी होता है। सोमवार को जिले के सभी पदों के परिणाम जारी हो गए। इसमें सामने आया कि जिले में आधे से ज्यादा उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएं है। इनकी धनरािश निर्वाचन विभाग ने जब्त कर ली है। 

इस तरह तय है जमानत राशि 

ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए जमानत राशि जहां 500 रुपये है। वहीं प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए दो हजार रुपये जमानत राशि तय हुई है। जिला पंचायत सदस्य के लिए चार हजार की जमानत राशि जमा हुई है। वहीं, ब्लाक प्रमुख के लिए पांच हजार और जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए 10 हजार रुपये की जमानत राशि तय हुई है। आरक्षित वर्ग के लिए जमानत राशि 50 फीसद होगी। उल्लेखनीय है कि चुनाव में कुल पड़े वैध मतों का पांचवें हिस्से से कम मत मिलने पर संबंधित प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त करने की व्यवस्था है।

सम्मान हाेती है जमानत राशि

भले ही जमानत राशि की धनराशि कम होती हो, लेकिन गांव देहात के लोग इसे दावेदार के सम्मान से जोड़ कर देखते हैं। कई बार जब प्रत्याशी चुनाव हार जाते हैं तो विपक्षी तायने मारने से भी पीछे नहीं हटते हैं।


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