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Aligarh Panchayat Chunav Result 2021: MNREGA worker के सिर बंधा प्रधानी का ताज, टूटी चप्पल पहन कर किया प्रचार

MNREGA worker त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कुछ उम्मीदवार जहां लाखों रुपये खर्च करके भी प्रधान नहीं बन पाए हैं वहीं शहर से सटे लोधा ब्लाक की देवसैनी पंचायत के मतदाताओं ने एक अनोखी मिसाल पेश की है। यहां पर मनरेगा मजदूर दिनेश खटीक को ग्राम प्रधान बना दिया है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 08:59 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 08:59 AM (IST)
Aligarh Panchayat Chunav Result 2021: MNREGA worker के सिर बंधा प्रधानी का ताज, टूटी चप्पल पहन कर किया प्रचार
यहां पर मनरेगा मजदूर दिनेश खटीक को ग्राम प्रधान बना दिया है।

अलीगढ़, जेएनएन।  MNREGA worker प्रचारत्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कुछ उम्मीदवार जहां लाखों रुपये खर्च करके भी प्रधान नहीं बन पाए हैं, वहीं शहर से सटे लोधा ब्लाक की देवसैनी पंचायत के मतदाताओं ने एक अनोखी मिसाल पेश की है। यहां पर मनरेगा मजदूर दिनेश खटीक को ग्राम प्रधान बना दिया है। आर्थिक तंगी के चलते दिनेश ने टूटी चप्पल व फटे कपड़ों से ही पूरा प्रचार किया। गांव वालों ने ही चंदा करके पोस्टर-बैनर छपवाए। दिनेश के तो पूरे चुनाव में महज छह हजार रुपये की खर्च हुए, लेकिन फिर भी परिणाम उन्हीं के पक्ष में आया है। अब दिनेश ने भी मतदाताओं की उम्मीदों को पूरा करने की ठान ली है। उनका दावा है कि वह आगामी पांच साल में वह सभी विकास कार्य कराएंगे, जो पिछले 70 साल में नहीं हुए। ईमानदारी की छवि से ग्राम पंचायत की पूरे जिले में एक अलग छवि बनाएंगे।

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 नवनिर्वाचित प्रधान दिनेश खटीक ने ऐसे जीता चुनाव

लोधा ब्लाक की देवसैनी रामघाट रोड पर शहर से सटी ग्राम पंचायत है। यहां की आबादी 10 हजार के करीब है। मतदाताओं की संख्या चार हजार है। इस बार इस ग्राम पंचायत का आरक्षण अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था। ऐसे में गांव से छह लोगों ने नामांकन किए। इसमें कुछ ग्रामीणेां ने सर्वसम्मिति से एक मनरेगा मजदूर निरक्षर दिनेश कुमार को भी चुनावी मैदान में उतार दिए। नामांकन के बाद प्रचार शुरू हुआ। अन्य पांच दावेदारों ने तो प्रचार शुरू कर दिया, लेकिन दिनेश खटीक घर पर बैठे हुए थे। इनके पास पोस्टर व बैनर तक के लिए धनराशि नहीं थी। ऐसे में कुछ लोग फिर एकजुट होकर इनके घर पहुंचे। दस हजार रुपये की धनराशि बैनर पोस्टर के लिए दी। इसके बाद दिनेश खटीक ने प्रचार शुरू किया। पहले तो कुछ लोग ही दिनेश के साथ थे, लेकिन प्रचार में समर्थन मिलता देख अन्य लोग भी साथ में आने वाले। दिनेश खटीक की आर्थिक तंगी के चलते इन पर न तो प्रचार के लिए बाइक थी और न कार। मतदाताओं को शराब व दावत देना तो दूर । यह खुद भी खाना दूसरों के घर पर ही खाते थे। मतदान के दिन भी भी इन्हें जीत की उम्मीद थी, लेकिन फिर भी बिना मन के यह चुनाव में लगे थे। इन्हें अंदाजा था कि अन्य प्रत्याशी लाखों रुपये खर्च कर हैं। शराब बांट रहे हैं। ऐसे में भला उनके सामने इन्हें वोट कहां मिल पााएंगे, लेकिन रविवार को जब चुनावी परिणाम आए तो हर कोई देखकर हैरान रह गए।दिनेश ने अपने प्रतिद्वंद्वी धर्मेंद्र दिवाकर व प्रेमपाल सिंह जीत दर्ज की। भले ही यह15 वोट के मामूली अंतर से जीते हों, लेकिन यह जीत पूरे गांव की जीत थे। दिनेश की जीत के बाद अब हर कोई खुद ही प्रधान मान रहा है।

 मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए बिल्कुल भी धनराशि नहीं थी, लेकिन गांव वालों में सहयोग किया। बैनर पोस्टर के लिए चंदा भी दिया। इसी सहयोग के चलते मै प्रधान बना हूं। यह पूरे गांव की जीत है। अब मेरा मकसद गांव की छवि बदलने का है।

दिनेश खटीक, नवनिर्वाचित प्रधान देवसैनी


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