कोरोना से बचाव के लिए अलीगढ़ के डॉक्टरों ने सावधानी के साथ आगे कदम बढ़ाने की दी सलाह
डॉक्टर समाजसेवी कारोबारी और युवा हर किसी ने कहा कि फिलहाल कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है। हमें बचाव करते हुए कार्यालय व काम आदि पर जाना होगा।
अलीगढ़ (जेएनएन)। चलना ही जिंदगी है, इसलिए कदम बढ़ाने ही होंगे। तमाम मुश्किलें होंगी, जान जोखिम में भी रहेगी, मगर रुक भी तो नहीं सकते। चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढऩा ही होगा। बस सावधानी बरतने की जरूरत है। बुधवार को दैनिक जागरण के ई-पाठक पैनल में प्रबुद्धजनों के कुछ ऐसे ही विचार थे। डॉक्टर, समाजसेवी, कारोबारी और युवा हर किसी ने कहा कि फिलहाल कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है। हमें बचाव करते हुए कार्यालय व काम आदि पर जाना होगा। कोई स्थायी समाधान नहीं मिल जाता, तब तक कोरोना वायरस के साथ ही जीना होगा।
कोरोना के साथ जीने की आदत डालें
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. मुकुल वाष्र्णेय ने कहा कि अब तो हमें कोरोना वायरस के साथ जीने की आदत डालनी होगी, क्योंकि इसकी वैक्सीन बन भी जाती है तो अपने देश में सभी तक पहुंचने में कई साल लग जाएंगे। तब तक घरों में कैद नहीं रह सकते। सुरक्षा के साथ घरों से निकलना होगा। घर से निकलते समय पैसे फुटकर लेकर निकलें, ताकि ज्यादा लेने-देन न करना पड़े। धार्मिक, सामाजिक बैठकें बंद रहने दें। संभव हो तो साइकिल से घर से निकलें। इससे व्यायाम के साथ शारीरिक दूरी के नियम का पालन भी होगा। घर पहुंचते ही कपड़े बदलें और स्नान करें। फल-सब्जी को गरम पानी में उबालकर प्रयोग करें। बाहर से लाई सूखी चीजों को तीन दिन बाद प्रयोग करें।
बिना मास्क वालों का हो चालान
डॉ. अभिषेक कुमार सिंह ने कहा कि पहले कहा जाता था कि कोरोना वायरस से बचें कैसे? मगर अब यह कहा जाने लगा है कि इसके साथ जिएं कैसे? अब जीवन सामान्य होने लगा है। इसलिए बहुत अधिक सावधानी की जरूरत है। यह नियम होना चाहिए कि बिना मास्क पहने जो भी निकले, उसका तुरंत चालान हो। दुकानों पर बिना मास्क के सामान न दिया जाए। जागरूकता अभियान चलाया जाए।
न करें मेल-मिलाप वाले कार्यक्रम
उड़ान सोसायटी के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र मिश्रा ने कहा कि बड़े प्रतिष्ठान तो मॉस्क, सैनिटाइजेशन की व्यवस्था कर लेंगे, मगर रेहड़, सब्जी बेचने वाले कैसे करेंगे, यह चुनौती है? इन्हें सबसे अधिक जागरूक करने की जरूरत है। ये ही काफी लोगों के संपर्क में आते हैं। शादी-ब्याह और अन्य कार्यक्रम आगे बढ़ाए जा सकें तो फिलहाल टाल दें। मेल-मिलाप के कार्यक्रम बंद कर दें। कोरोना से जंग जीत लेते हैैं तो ऐसे आयोजन के लिए आगे बहुत अवसर मिलेंगे।
मास्क एंट्री कार्ड की तरह लागू हो
केनरा बैंक नानऊ शाखा के प्रबंधक अतुल सिंह ने कहा कि बैंककर्मियों के लिए सबसे अधिक चुनौती है। तमाम सरकारी योजनाएं हैं, जो बैंकों से ही संचालित हैं। हम स्वयं सावधानी बरत रहे हैं। अतुल सिंह ने भी सख्त नियम बनाए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि पूरे देश में मास्क एंट्री कार्ड की तरह लागू कर देनी चाहिए, जो भी मास्क पहनकर न आए, उसे कार्यालय में प्रवेश न दिया जाए।
आगे स्कूल-कालेज भी खुलेंगे
छात्र राहुल सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में स्कूल-कॉलेज भी खुलेंगे, उसके लिए बहुत एहतियात की जरूरत है। अभी से मास्क, सैनिटाजर की आदत डाल लें। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ललित उपाध्याय ने कहा कि स्कूल खुलने पर बच्चे कैसे जाएंगे, यह हमारे लिए बड़ी चुनौती है। डॉ. मुकुल वाष्र्णेय ने कहा कि इसके लिए आने वाले दिनों मे गाइड लाइन बनेगी। सम- विषम के आधार पर बच्चों को स्कूल बुलाया जा सकता है।
सावधानी ही बचाव
डॉ. मुकुल वाष्र्णेय व डॉ. अभिषेक सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस सांस के रास्ते गले तक पहुंचता है। दो-तीन दिन बाद वह फेफड़े तक पहुंच जाता है।इसके बाद शरीर को प्रभावित करने लगता है। नियमित गुनगुना पानी पिएं। गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारा करें और भांप लें। प्राणायाम करें। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता जितनी अच्छी होगी, उतने ही आप सुरक्षित होंगे।
ये भी हुए शामिल : डॉ. रेहान अख्तर, विशाल देशभक्त, क्रियांश गांधी, पंकज आर्य भी पाठक पैनल में शामिल रहें।
हम करेंगे जागरूक
दैनिक जागरण के संपादकीय प्रभारी अवधेश माहेश्वरी ने कहा कि हम सामाजिक संस्थाओं के साथ लोगों को जागरूक करेंगे। उन्होंने सवाल भी किया कि क्या तापमान बढऩे से कोरोना वायरस का संक्रमण खत्म हो सकता है। डॉ. मुकुल ने कहा कि वायरस की क्षमता कम हो सकती है, मगर खत्म नहीं होगा। संपादकीय प्रभारी ने पैनल में शामिल अतिथियों का आभार जताया।