अलीगढ़ में स्वाइन व बर्ड फ्लू को लेकर अलर्ट
सर्दी बढऩे के साथ एक तरफ एच-1 व एन-1 इन्फ्लुएंजा (स्वाइन फ्लू) का खतरा बढ़ गया है, वहीं बर्ड फ्लू का खतरा भी मंडरा रहा है।
अलीगढ़ (जेएनएन)। सर्दी बढऩे के साथ एक तरफ एच-1 व एन-1 इन्फ्लुएंजा (स्वाइन फ्लू) का खतरा बढ़ गया है, वहीं बर्ड फ्लू का खतरा भी मंडरा रहा है। इन जानलेवा बीमारियों के प्रभाव के रोकथाम के लिए अलर्ट जारी कर दिया है। इसके लिए विस्तारित कार्ययोजना और उसके क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं।
ये है कार्ययोजना: वायरस से होने वाली इन बीमारियों को रोकने के लिए जिला टास्क फोर्स गठित होगी, जो रोग की आकस्मिक स्थिति पर विमर्श करेगी। एक जिला स्पिांस टीम गठित होगी, जिसमें फिजिशियन, एपीडेमियोलाजिस्ट, पैथोलाजिस्ट, लैब टेक्नीशियन आदि स्टाफ की नियुक्ति होगी। संदिग्ध मरीज की सूचना मिलते ही टीम सक्रिय हो जाएगी। मरीजों को भर्ती करने के लिए 10 वार्ड के आइसुलेशन वार्ड आरक्षित रहेंगे।
सीएमओ ने जारी किए निर्देश
समस्त सीएमएस, चिकित्सा अधीक्षक, प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे संदिग्ध मरीज मिलते इसकी सूचना आइडीएसपी सैल, वेबसाइट व कंट्रोल रूम नंबर 0571-2402142 पर अविलंब उपलब्ध कराएं। सीएमओ डॉ. एमएल अग्रवाल ने बताया कि सर्दी के मौसम में स्वाइन फ्लू व बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में लोगों को सतर्क रहना जरूरी है। संदिग्ध मरीज की तुरंत सूचना दें।
प्राइवेट चिकित्सक व समूहों की मदद
सीएमओ ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व प्राइवेट डॉक्टर एसोसिएशन को भी पत्र लिख दिया है। अफसरों के अनुसार अन्य समाजसेवी संस्थाओं को भी जन जागरूकता के लिए जोड़ा जाएगा।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
- छींके आना व नाक लगातार बहना।
-कफ, कोल्ड और लगातार खांसी।
- मांसपेशियों में दर्द व अकडऩ।
- सिर में तेज दर्द।
- अधिक थकान व नींद न आना।
- दवा खाने पर भी बुखार न टूटना।
- गले में खराश बनी रहना।
बर्ड फ्लू के लक्षण
मनुष्य मेंः बुखार, खांसी, गले में खरास, मांसपेशियों में दर्द, आंखों में संक्रमण, सांस लेने में कठिनाई व निमोनिया आदि।
पक्षियों मेंः पंखों का अधिक मात्रा में गिरना व रफ होना, सिर व मुंह का फूल जाना, सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट की आवाज। नाक व मुंह से पानी निकलना। कलगी का नीला पड़ जाना, टांगों पर खून के धब्बे दिखना, अंडों की संख्या में कमी हो जाना।
क्या करें-क्या न करें
- एस्प्रिन, रेबाविरिन व स्टेरायड न खाएं।
- रोगी से संपर्क के बाद साबुन से हाथ धोएं।
-छींकते-खांसते समय नेपकिन का इस्तेमाल करें।
- नेपकिन को डिब्बा बंद बर्तन में डालें।
- पोल्ट्री फार्मों में काम करने वाले मास्क व दस्ताने पहनें।
- मृत पक्षियों को नंगे हाथों से न छुएं।
- कच्चा चिकन व अंडे न खाएं।
- भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से परहेज करें।