मनोज जादौन, अलीगढ़ । UP Assembly Elections 2022 नामांकन प्रक्रिया के बाद सियासी महारथी प्रत्याशी जिताने के लिए पुख्ता रणनीति तैयार कर रहे हैं। 40 साल बाद जाट लैंड की सियासत में बदलाव आया है। इगलास विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस से तीन बार विधायक व एक बार सांसद रहे चौधरी बिजेंद्र सिंह के बिना कांग्रेस चुनावी समर में है। पिछले साल पूर्व सांसद सिंह सपा में शामिल हो गए थे। इस बार वे सपा -रालोद गठबंधन प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
छात्र जीवन से ही कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे चौ बिजेंद्र सिंह
चौ. बिजेंद्र सिंह छात्र जीवन से ही कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे थे। वे वर्ष 1989 में इगलास विधानसभा क्षेत्र से पहली बार कांग्रेस से विधायक निर्वाचित हुए। तब उन्होंने जनता दल के चौ. राजेंद्र सिंह को पराजित किया था। वर्ष 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में बिजेंद्र सिंह ने राम लहर में भाजपा के विक्रम सिंह हिंडोल को हराया था। इसके बाद वर्ष 1996 में बिजेंद्र सिंह को भाजपा के चौ. मलखान सिंह ने शिकस्त दी। 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से ही बिजेंद्र सिंह ने बसपा के नरेंद्र कुमार दीक्षित को परास्त किया। उस समय बसपा की लहर मानी जा रही थी। वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव में बिजेंद्र सिंह ने भाजपा की लगातार चार बार सांसद रहीं शीला गौतम को हरा दिया था। वे कांग्र्रेस से चुनाव लड़े थे। सांसद बनने के बाद इगलास से उन्होंने पत्नी राकेश चौधरी को चुनाव में उतारा। मगर वह चुनाव हार गईं।
...और नहीं थमा हार का सिलसिला
चौ. बिजेंद्र सिंह का वर्ष 2005 में हुए इगलास में हुए उप विधानसभा चुनाव से हार का सिलसिला शुरू हुआ है। इनकी पत्नी राकेश चौधरी को बसपा के मुकुल उपाध्याय ने उप विधानसभा चुनाव शिकस्त दी थी। वर्ष 2007 में राकेश चौधरी कांग्रेस की दुबारा प्रत्याशी बनीं। इस बार इन्हें रालोद की विमलेश चौधरी ने परास्त किया। वर्ष 2009 में बिजेंद्र सिंह लोकसभा का चुनाव हार गए। इसके बाद इन्होंने अतरौली विधानसभा से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भी इन्हें शिकस्त मिली। वर्ष 2014 व 2019 में भी कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव हार गए थे।
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