राहत के नाम पर मिलता है दर्द
संवाददाता, गभाना : यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) का हाल बेहाल है। स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है। मरीज को यहां राहत की बजाय आफत ही झेलनी पड़ती है।
मानक के अनुरूप स्टाफ नहीं
तहसील स्तरीय अस्पताल में मानक के अनुरूप डाक्टर व स्टाफ ही नहीं है। जो तैनात हैं, वे कायदे से अपनी ड्यूटी को अंजाम नहीं देते। एक महिला डाक्टर सहित चार चिकित्सकों की तैनाती के बावजूद मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है। सोमवार को अस्पताल के बाहर बैठे मरीजों का कहना था कि उन्हें पहले कर्मचारियों के आने का इंतजार करना पड़ता है, फिर डाक्टरों का। रात के समय तो यदा-कदा ही डाक्टर मिलते हैं।
सुविधाएं नदारद
अस्पताल को सीएचसी का दर्जा मिले सात साल से ज्यादा समय हो गया, लेकिन जिन सुविधाओं की दरकार थी वह आज भी जस की तस है। ब्लड व यूरिन जांच की आज भी कोई व्यवस्था नहीं है। एक्सरे व अल्ट्रासाउंड के लिए मरीज को आज भी प्राइवेट सेंटरों पर जाना पड़ता है। इससे मरीज और उसके तीमारदारों की सिरदर्दी बढ़ जाती है। पहले परीक्षण कराकर आएं, फिर वहां से रिपोर्ट लेकर यहां डाक्टर को दिखाने आएं।
सफाई व्यवस्था लचर
अस्पताल मे सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है।अन्दर व बाहर तमाम जगह गंदगी के ढे़र लगे देखे जा सकते हैं।
ये हों सुविधाएं
अस्पताल में मानक के अनुसार लेबल-एक के तहत फर्स्ट रैफरल यूनिट ( एफआरयू), एक्सरा व डेन्टल यूनिट की स्थापना के अलावा जीटी रोड पर आए दिन होने वाले सड़क हादसों को देखते हुए प्रस्तावित ट्रामा सेंटर जरुरी है। इसके साथ ही यहां एम्बुलैंस की जरुरत है।
डिलेवरी रुम संसाधन विहीन
अस्पताल में प्रसव कराने वाली महिलाओं व उनके तीमारदारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां न तो आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था है और न ही अन्य संसाधनों की। ऐसे में स्टाफ को सुरक्षित डिलेवरी कराने में भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
इनका कहना है..
अस्पताल में पर्याप्त सुविधाओं के साथ स्टाफ की तैनाती की जाएगी, ताकि ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके।
-डा. अर्जुनलाल सीएमओ
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