अलीगढ़ में 424 एड्स रोगियों की थम गईं 'सांस'
जिले में एड्स रोगियों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में 264 एचआइवी पॉजिटिव मरीज पंजीकृत हुए वहीं बीते वर्षों में 464 एड्स रोगियों की मौत हो गई।
अलीगढ़ (जेएनएन)। जिले में एड्स रोगियों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है, उतनी तेजी से उनके जीवन की डोर भी टूट रही है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में 264 एचआइवी पॉजिटिव मरीज पंजीकृत हुए, वहीं बीते वर्षों में 464 एड्स रोगियों की मौत हो गई। चिंता की बात ये है कि शहर के हाईरिस्क क्षेत्रों में सालों से कोई जागरूकता कार्यक्रम नहीं चल रहा।
2497 हुई मरीजों की संख्या
आंकड़े बताते हैं कि जनपद में मेडिकल कॉलेज समेत अन्य केंद्रों पर विगत वर्षों में कुल 2497 एचआइवी मरीज पंजीकृत किए गए। इनमें 1998 मरीजों का मेडिकल कॉलेज स्थित एआरटी सेंटर पर उपचार चल रहा है। 126 मरीजों को दूसरे जनपदों में ट्रांसफर किया गया।
जांच हुई अनिवार्य
एड्स की रोकथाम के लिए सरकार केवल जांच पर जोर दे रही है। टीबी के मरीज, गर्भवती महिला की जांच, प्रसव, सभी प्रकार के ऑपरेशन से पूर्व एचआइवी जांच अनिवार्य कर दी गई है। बिना एचआइवी रिपोर्ट के गर्भवती का अल्ट्रासाउंड तक नहीं होगा, इसी तरह टीबी के मरीजों का भी तभी इलाज शुरू होगा, जब उनकी एचआइवी रिपोर्ट सामने आ जाएगी। इस व्यवस्था से ही नए मामले सामने आ रहे हैं।
बदनाम गली भूले अफसर
शहर में देह व्यापार के लिए मदार गेट की एक बदनाम गली को भी अफसर भूल गए हैं। यहां करीब 40 महिलाएं इस धंधे से जुड़ी हैं। यहां भी काफी सालों से कोई कार्यक्रम संचालित नहीं।
नए मरीज आए सामने
स्वैच्छिक व एकीकृत जांच केंद्र के सीनियर काउंसलर जावित्री देवी का कहना है कि टीबी, गर्भावस्था व ऑपरेशन में एआइवी टेस्ट की अनिवार्यता के चलते नए मरीज सामने आ रहे हैं। मरीजों में ज्यादातर रिक्शा चालक, ड्राइवर व अन्य मजदूरों की संख्या सर्वाधिक होती है। ये मरीज दूसरे लोगों को संक्रमण न दें, इसके लिए काउंसलिंग भी का जाती है।
जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे
उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसाइटी के डॉ. अनुपम भास्कर का कहना है कि हाईरिस्क एरिया में जल्द ही जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे। इनमें मौके पर ही एचआइवी टेस्ट किया जाएगा। कार्य योजना बनाई जा रही है।