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कोहरे के 40 दिन, नियमों से न तोड़ें 'दोस्ती', इन दिनों में होते हैं ज्यादा हादसे Aligarh News

कोहरे पर भले हमारा वश न हो लेकिन यातायात नियम तो हमारे साथ हैं। यही काफी है। खराब मौसम में किस तरह वाहन चलाना है?

By Sandeep SaxenaEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 01:11 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 12:19 PM (IST)
कोहरे के 40 दिन, नियमों से न तोड़ें 'दोस्ती', इन दिनों में होते हैं ज्यादा हादसे Aligarh News
कोहरे के 40 दिन, नियमों से न तोड़ें 'दोस्ती', इन दिनों में होते हैं ज्यादा हादसे Aligarh News

अलीगढ़ [जेएनएन]। देश में हर साल पांच लाख सड़क हादसों में करीब डेढ़ लाख लोगों की जान जाती है। पांच लाख लोग घायल होते हैं। पूरी दुनिया के सड़क हादसों पर नजर डालें तो रोजाना 6600 मौतें और 3300 लोग घायल होते हैं...। दुर्घटनाओं से दुनिया को सालाना 23000 करोड़ डॉलर की आर्थिक चपत भी लगती है...। ये आंकड़े जितना हमें डराते हैं, उतना ही सतर्क भी कर रहे हैं। कोहरे पर भले हमारा वश न हो, लेकिन यातायात नियम तो हमारे साथ हैं। यही काफी है। खराब मौसम में किस तरह वाहन चलाना है? कहां सावधानी बरतनी है? किन बातों का विशेष ख्याल रखना है? अगर इससे जागरूक हैं तो आप सुरक्षित हैं।

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घना होगा कोहरा

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार कोहरे से रहने वाली धुंध के 40 दिन होते हैं। कुछ दिनों में कोहरा घना हो जाएगा, जिसमें सड़क दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। आधुनिक तकनीक व सावधानी से हम बड़ी जन, धनहानि को बचा सकते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर व जनवरी में हर साल सड़क हादसों की संख्या बढ़ जाती है। सालभर के हादसों में होने वाली मौतों में से आधी इन्हीं दो माह में होती हैं। कोहरे के मौसम में औसतन रोजाना तीन से चार हादसे होते हैं और बेकसूर जिंदगियां कोहरे के अंधेरे में खो जाती हैं। एसपी ट्रैफिक अजीजुल हक कहते हैं कि जागरूकता व सावधानी हमारी दोस्त है। कोहरे में दृश्यता (विजिविलिटी) शून्य हो जाती है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि आपका वाहन दुरुस्त हो। उसमें किसी तरह की खामी न हों। डिपर, इंडिकेटर, रिफ्लेक्टर आदि लगे हों। रफ्तार उतनी ही रखें, जिसे आप नियंत्रित कर सकें। हाईवे पर वाहन चलाते वक्त आगे चल रहे वाहन से आठ मीटर की दूरी बनाए रखें। सड़कों पर लगे साइन बोर्ड का पालन करें।

ये हैं बड़ी लापरवाही

अकाल मौतों की बड़ी वजह नियमों की अनदेखी, जिसमें बेअंदाज ड्राइविंग, ओवरस्पीड शामिल हैं। वाहनों की तेज गति, ओवरस्पीड में चालक का वाहन पर नियंत्रण नहीं रहता। नशे में ड्राइविंग व गलत ओवरटेक हादसे का कारण  बन रहे हैं।

ये अवैध कट व अंधे मोड़ भी जिम्मेदार

हाईवे, जीटी रोड के साथ ही अन्य सड़कों पर बने सैकड़ों अवैध कट, स्पीड ब्रेकर हादसे के बड़े कारणों में उभरे हैं। लेफ्ट से राइट टर्न लेने पर भी खतरा बना रहता है। वाहन चालक पहली लेन में ही चलते हैं और मुडऩे पर ज्यादा स्पेस नहीं होता। दूसरी लेन में आ रहे वाहन से टकराने की आशंका बनी रहती है। बुलंदशहर सीमा पर हाईवे के पहावटी मोड़ पर बना डिवाइडर जानलेवा साबित हो रहा है। दौरऊ मोड़ पर बना कट, एस्सार पेट्रोल पंप के सामने का कट, बरौली चौराहा, ओगर कट, चूहरपुर तिराहा, भरतरी मोड़, महरावल पुल, खेरेश्वर चौराहा, पनैठी चौराहा, अकराबाद, जलाली मोड़, बरौठा नहर पुल, तालानगरी, नगला पटवारी, अनूपशहर रोड़, बरौला पुल, सारसौल चौराहा, मथुरा हाईवे कट लगातार हादसों का कारण बने हुए हैं।

दुरुस्त कर लें आदत

ट्रैफिक रूल्स को तोडऩा हमारी आदत में शामिल हो चुका है। सही लेन में नहीं चलना, हेलमेट व सीट बेल्ट पहनने को हम जरूरी नहीं समझते। भले ही नियमों की अनदेखी के चलते चालान व जुर्माना भरना पड़े, लेकिन यातायात के नियमों का पालन नहीं करेंगे।

रुकिए, देखिए व चलिए

ट्रैफिक का नियम है कि चलने व सड़क पार करते समय पहले रुकिए, देखिए, फिर चलिए। इसका पालन करने से होने वाले हादसों में कमी आएगी। सड़क पर चलते वक्त कट, टर्न, खतरनाक प्वॉइंट पर अतिरिक्त सावधान रहें। संभव हो तो कोहरे के समय सुबह, शाम यात्रा से बचें।

सचेत करना जरूरी

सरकार को हाईवे, जीटी रोड समेत अन्य प्रमुख मार्गों पर पेट्रोलिंग के साथ  खतरनाक मोड़, कटों पर रिफ्लेक्टर लाइटिंग व साइन बोर्ड लगाकर चालकों को सचेत करना चाहिए। यातायात नियमों के पालन को जागरूकता के साथ उन्हें सख्त बनाना होगा।

कब होते हैं हादसे 

- जल्दबाजी में ओवरटेक करना।नशा करके वाहन चलाना।

- तेज गति से वाहन दौड़ाना।चालक का ध्यान भटकना ।

- वाहन का ओवर लोड होना।चालक का सीट बेल्ट न लगाना।

- बिना प्रशिक्षण के गाड़ी चलाना। वाहन की ठीक देखरेख न होना।

- सड़कों पर लगे होर्डिंग व अतिक्रमण। मोबाइल का प्रयोग।

- चालक का धूमपान करना। लंबे समय तक वाहन चलाना।

- वाहन चालक का नींद में होना। चालक का सवारियों से बात करना।

- सड़कों पर दिशा सूचकों का अभाव।

जागरण सुझाव

- संभव हो सके तो कोहरे में ड्राइविंग से बचें। अगर जरूरी हो तो सावधानी बरतें।

- यात्रा से पहले मौसम का जायजा लें। यात्रा के दौरान भी इस पर नजर रखें।

- दुर्घटना से देर भली कहावत को ध्यान में रखते हुए व्यस्त और छोटे रास्ते की जगह खाली लंबे और ज्यादा सुरक्षित रास्ते को चुन सकते हैं।

- जीपीएस के इस्तेमाल से रास्ता भटकने से बच सकते हैं।

- मौसम की खराब दशाओं में वाहन को इस्तेमाल करने से पहले यह देख लें कि उसके उपकरण चालू हैैं। विशेषकर लाइट, ब्रेक, टायर, विंडस्क्रीन वाइपर्स, रेडिएटर और बैटरी। 

- जाम को ध्यान को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में ईंधन (पेट्रोल, डीजल) रखें।

- एक टॉर्च व हाई विजिबिलिटी जैकेट जरूर रखें। इससे न केवल आप देख सकेंगे, बल्कि दूरी से देखे भी जा सकेंगे।

धैर्य के साथ गाड़ी चलाएं

एसपी ट्रैफिक अजीजुल हक का कहना है कि कोहरे के दौरान वाहन चलाते समय लाइट्स को लो बीम पर रखें। फॉग लैंप्स का इस्तेमाल करें और गाड़ी की स्पीड कम रखें। कोहरे के दौरान तेज गति में भी धीरे चलने का भ्रम होता है। धैर्य के साथ गाड़ी चलाएं। वाहनों के बीच एक निश्वित दूरी बनाएं रखें और ओवरटेक करने का प्रयास न कर अपनी लेन में चलें।

जो लौट के घर न आए

21 नवंबर को साइकिल से बहन को दवा दिलाकर लौट रहे गुलशन (14) की ट्रैक्टर की टक्कर से मौत हो गई। बेटे का गम भूलाया नहीं जा रहा।

ब्रजलाल, सिरोली छर्रा

23 अक्टूबर को भाई को छर्रा में छोड़कर आते समय बाइक सांकरा रोड पर मैक्स ने टक्कर मार दी। हादसे में बेटे बंटी की मौत हो गई। बेटे की हर पल याद आती है।

रूपकला देवी, साजाबाद-उदयपुर, छर्रा


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