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अचूक रणनीति..बेहतर प्रबंधन

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : दूर की सोच, पास के संबंध। अचूक रणनीति और बेहतर चुनाव प्रबंधन। शायद यही वो

By Edited By: Updated: Sat, 09 Jan 2016 01:00 AM (IST)
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जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : दूर की सोच, पास के संबंध। अचूक रणनीति और बेहतर चुनाव प्रबंधन। शायद यही वो मूलमंत्र है, जिनके बूते बसपा के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री ठा. जयवीर सिंह ने सत्ता के बूते पर घेराबंदी कर रही सपा को पटखनी देकर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया। इस जीत से न केवल सत्ताधीश सपा सकपका गई है, बल्कि बसपा से लेकर सियासी गलियारों तक ठा. जयवीर सिंह का कद बढ़ा है।

पूर्व मंत्री की अचूक रणनीति व लाजवाब चुनाव प्रबंधन का ही परिणाम रहा कि बसपा कुल 52 सदस्यों में से 42 सदस्य का समर्थन जीतने में सफल रही। बसपा ही नहीं, सपा, भाजपा व निर्दलीय सदस्य भी उनके साथ खड़े नजर आए और वोट भी दिया। इसके लिए उन्होंने जीत की इबारत उसी दिन लिखनी शुरू कर दी थी, जिस दिन चुनाव में पार्टी के 10 सदस्य जीतकर आए। उन्होंने मैदान में अपने भतीजे उपेंद्र सिंह नीटू को उतारकर ऐसे व्यूह की रचना की, जिसके सामने सपा की किलेबंदी ध्वस्त हो गई और भाजपा प्रत्याशी घोषित करने व नामांकन पत्र खरीदने के बाद उसे दाखिल करने तक की हिम्मत न जुटा पाई। इसमें शक नहीं कि पूर्व मंत्री ठा. जयवीर सिंह सियासी मैदान के मझे हुए खिलाड़ी है। इससे पहले 2011 में बसपा प्रत्याशी सुधीर सिंह को अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज कराया। 2006 में बसपा ने रामसखी कठेरिया को देकर जिताया। बाद में रामसखी भाजपा में चली गईं। बहरहाल, बसपा को तीसरी बार जीत दिलाकर वह सियासी दबदबा कायम करने में सफल रहे हैं। उनके सामने सपा की कोई भी रणनीति कामयाब नहीं हुई।

कायम रहा दबदबा

ठा. जयवीर सिंह के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो उन्होंने 2002 में बरौली विधानसभा सीट पर बसपा से पहली बार चुनाव लड़ा और जीते। बसपा सुप्रीमो मायावती ने जीतने के बाद उन्हें कैबिनेट में वन मंत्री का दर्जा दिया। 2007 में पुन: बरौली सीट से जीते और बसपा सरकार में माध्यमिक शिक्षा, आरईएस, कृषि व विदेश व्यापार मंत्री का ओहदा मिला। 2009 में पत्नी राजकुमारी चौहान को अलीगढ़ संसदीय सीट से चुनाव जिताया। 2011 में भतीजे उपेंद्र सिंह नीटू को बरौली ब्लॉक प्रमुख पद पर चुनाव लड़ाया और जीत हासिल की। 2012 में तीसरे बार बरौली विधानसभा सीट से वह चुनाव हार गए, मगर मायावती ने उन्हें एक माह बाद ही एमएलसी बना दिया। 2014 में अपने पुत्र अरविंद को ससंदीय सीट पर चुनाव लड़ाया, मगर मोदी लहर में हार झेलनी पड़ी।

पहले ही किया ऐलान

ठा.जयवीर सिंह ने जीत के पूर्व ही सार्वजनिक रूप से भविष्यवाणी की थी कि सपा प्रत्याशी को पांच-छह सीट ही मिलेंगी, और यह सच साबित हुई।

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