उर्दू को धर्म से नहीं, वतन से जोड़ें
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : केंद्र की 'उर्दू भाषा और रोजगार' के लिए गठित कमेटी की ओर से उर्दू के विकास
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : केंद्र की 'उर्दू भाषा और रोजगार' के लिए गठित कमेटी की ओर से उर्दू के विकास पर एएमयू के प्रशासनिक भवन में गोष्ठी हुई।
सह कुलपति एस अहमद अली ने कहा, उर्दू देश के हर क्षेत्र में बोली और समझी जाती है। उर्दू को धर्म से नहीं बल्कि वतन से जोड़ें। उर्दू के प्रति लोगों में दिलचस्पी पैदा करें। रोजगार हासिल करने के लिए उर्दू के साथ ¨हदी व अंग्रेजी की शिक्षा पर भी ज्यादा ध्यान दें, जबकि क्षेत्रीय भाषाओं में भी महारत हासिल करें। डॉ. शबिस्ता गफ्फर ने कहा, जम्मू-कश्मीर में एक प्रोजेक्ट पर काम किया है। पहली बार उर्दू को कंप्यूटर से जोड़कर बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए। दक्षिण भारत में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। अध्यक्षता करते हुए प्रो. रजा उल्लाह खान ने कहा, सबसे पहले हमें अपने बच्चों को उर्दू भाषा सिखानी चाहिए, बाद में उसका रिश्ता रोटी-रोजी से जोड़ना चाहिए। समारोह संयोजक जसीम मुहम्मद ने कहा, स्वाधीनता आंदोलन में उर्दू ने सबसे अहम भूमिका निभाई थी, पर आज उर्दू की स्थिति संतोषजनक नहीं है।
जामिया उर्दू के ओएसडी फरहत अली खान ने कहा, सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में उर्दू के विकास के लिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तैयार किए जाएं। इस मौके पर सह कुलपति एस अहमद अली ने देश के पहले शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की उर्दू पुस्तक 'गुबार-ए-खातिर' का विमोचन किया। संचालन किदवई ने किया।