अब परिवार नियोजन की 'नसबंदी'
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में नसबंदी के दौरान हुई कई मौतों के बाद यहां के चिक
जागरण संवाददाता, अलीगढ़ :
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में नसबंदी के दौरान हुई कई मौतों के बाद यहां के चिकित्सक कुछ ज्यादा ही सतर्कता बरत रहे हैं, तभी तो शिविर में आने वाले इच्छुक महिला-पुरुषों को अयोग्य बताकर लौटाया जा रहा है। मतलब साफ है कि इस मामले में चिकित्सक जोखिम नहीं लेना चाहते हैं? सीएमओ खुद भी नसबंदी बंद होने से चिंतित हैं।
जनसंख्या वृद्धि रोकने के लिए सरकार परिवार नियोजन कार्यक्रम चला रही है। इसके तहत पुरुष व महिलाओं की नसबंदी का प्रावधान है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से नसबंदी के लिए समय-समय पर पीएचसी, सीएचसी, संयुक्त चिकित्सालय, जिला अस्पताल में नसबंदी शिविर लगाए जाते हैं, मगर एक माह से यह कार्यक्रम चिकित्सकों की अति सतर्कता से बंदी की कगार पर पहुंच गया है।
अयोग्य बताकर लौटाए
पुरुष व नसबंदी ऑपरेशन के लिए गुरुवार को जवां और शुक्रवार को लोधा ब्लॉक में शिविर लगाए गए थे। पूरी तैयारी के साथ टीम शिविर में पहुंची मगर, चिकित्सकों ने एक-एक कर सभी महिला व पुरुषों को नसबंदी के अयोग्य बताकर बैरंग लौटा दिया। दोनों ही दिन टीम बिना किसी ऑपरेशन के वापस लौट आई।
निश्चेतकों ने बढ़ाई समस्या
नसबंदी कार्यक्रम को विफल करने में निश्चेतक (बेहोश करने वाले चिकित्सक) अहम भूमिका निभा रहे हैं। वह कुछ न कुछ कमी बताकर लोगों को बेहोश करने या ऑपरेशन में शामिल होने से कन्नी काट रहे हैं।
नसबंदी शिविरों में पहले एक-एक सर्जन 100 से अधिक तक ऑपरेशन कर रहे थे। बिलासपुर प्रकरण के बाद 30 से अधिक ऑपरेशन पर रोक लगा दी गई, अब इतने भी नहीं हो रहे।
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यह सही है कि छत्तीसगढ़ की घटना के बाद चिकित्सक डरे हुए हैं। हमने निश्चेतक को टीम के साथ भेजना शुरू किया, मगर निश्चेतक ऑपरेशन में शामिल नहीं हो रहे। नतीजतन, जवां व लोधा में ऑपरेशन नहीं हो सके।
- डॉ.अरूप कुमार रॉय, सीएमओ।