गजब का गोलमाल है
संतोष शर्मा, अलीगढ़
यह ऐसा गोलमाल है, जिसे सुनकर हर कोई माथा पीट लेगा। सरकार ने जिन बच्चों को मिड-डे मील खिलाने की व्यवस्था की है, उन्हें तो मिला नहीं। जो हकदार नहीं थे, वो दोपहर का खाना खा गए। बात यहीं खत्म नहीं हुई। अपात्र बच्चों को स्कूली ड्रेस तक बांट दी गई। बात खुली तो अफसरों के पांव तले जमीन खिसक गई। पूरे मामले पर जांच बैठा दी गई है।
मेहरबानी या भूल
यह गड़बड़झाला हुआ, खैर तहसील क्षेत्र के गांव बामौती स्थित किरण देवी राजकीय इंटर कॉलेज में। यहां कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई वित्तविहीन श्रेणी की है। यानी, इन कक्षाओं के बच्चों को सरकार से कोई मदद नहीं मिलती। न फीस में छूट है, न ही स्कूली ड्रेस या मिड-डे मील का ही प्रावधान। शिक्षा विभाग के अफसरों ने तमाम नियम-कानून ताक पर रखते हुए आठवीं तक के 200 बच्चों को जुलाई से अभी तक मिड-डे मील बांट दिया। बच्चों को ड्रेस भी बांट दी।
लाखों का खेल
अफसरों ने वित्तविहीन स्कूलों के बच्चों पर लाखों लुटा दिए। खर्च की बात करें तो यह रकम लाखों में है। दरअसल, हर बच्चे पर मिड-डे मील योजना के तहत सरकार रोजाना 5.60 रुपये खर्च कर रही है। इस तरह 200 बच्चों पर एक दिन का खर्च 1120 रुपये बैठता है। जुलाई से अभी तक खाने का ही खर्च 56 हजार के आसपास बैठता है। ड्रेस पर सरकार 200 रुपये प्रति बच्चा खर्च कर रही है। यानी, 200 बच्चों पर 40 हजार रुपये एक साल में खर्च कर दिए गए।
पिछले साल भी
यह खेल इसी सत्र में नहीं हुआ। पिछले साल भी यही गड़बड़झाला हुआ था। बीते साल हर बच्चे पर मिड-डे मील के तहत 4.63 रुपये खर्च किए गए थे। यानी, पिछले साल भी सरकार के लाखों रुपये मुफ्त में फूंक दिए गए थे।
इनका कहना है
शासनादेश के मुताबिक वित्तविहीन स्कूलों में मिड-डे मील और ड्रेस नहीं बांटी जा सकती। यह मामला बेहद गंभीर है। तहसील दिवस शिकायत आने के बाद इसकी जांच एडीआइओएस सर्वेश कुमार को सौंप दी है। वे तीन दिन में रिपोर्ट सौंपेंगे। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
- राजू राणा, जिला विद्यालय निरीक्षक।