गजब रिश्ता, ‘चुनमुन’ से दुलार में बंदरों के लिए रोप दिया जामुन का बाग Agra News
गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में 2006 में शुरु किए थे 11 हजार पौधे। योग के आचार्य का अभी 30 हजार और पौधे लगाने का संकल्प।
आगरा, रसिक शर्मा। बंदरिया की मौत के बाद उसकी बच्ची को देख योग के आचार्य का ह्रदय द्रवित हो उठा। बहन की गोद में खेलते-खेलते उस पर लाड़ उमड़ने लगा। नाम रख दिया ‘चुनमुन’। चुनमुन को जामुन को बड़े चाव से खाते देख आचार्य ने जामुन के 11 हजार पौधे रोपने का संकल्प लिया। आज ये पौधे पेड़ का रूप ले चुके हैं। इन पेड़ों के जामुन पर सिर्फ बंदरों का अधिकार रहेगा। फेंसिंग के साथ ही इन पर निगरानी के लिए गार्ड भी मुस्तैद रहता है।
योग क्रिया में महारत हासिल किए सिद्ध सिद्धांत योग अकादमी के संस्थापक शैलेंद्र शर्मा वर्ष 2006 में जब हरियाली की मुहिम में लगे थे, तो उनकी बहन को बंदरिया की एक नवजात बच्ची मिली। बच्ची को जन्म देने के बाद उसकी मां मर चुकी थी। बंदरिया की बच्ची को उन्होंने पाला और नाम दिया चुनमुन। एक दिन चुनमुन बंदरिया बड़े चाव से जामुन खा रही थी, वह बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने राधाकुंड परिक्रमा मार्ग में चुनमुन बंदरिया के नाम पर ही 11 हजार जामनु के पौधे रोप दिए। लेकिन बंदरों की यहां तादाद अधिक थी, ऐसे में ये पेड़ कम दिखे, तो उन्होंने 30 हजार नए पौधे रोपने का संकल्प ले लिया। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। आचार्य शैलेंद्र शर्मा बताते हैं कि पौधों की परवरिश में कोई कोताही नहीं बरती जाती। इनकी सुरक्षा के लिए ट्रीगार्ड के अलावा गार्ड तैनात किए गए हैं। कांटों के तार से घिरा होने के कारण आम आदमी यहां नहीं पहुंच पाता, लेकिन बंदर यहां धमाचौकड़ी मचाते हैं।
ये भी रोपे गए पौधे
25 वर्षों में उन्होंने गिरिराज परिक्रमा मार्ग में कदंब, बिगुनबेरिया, रातरानी, हरसिंगार, गुलमोहर के हजारों पौधे लगाए हैं। तीन दर्जन रुद्राक्ष के पौधे भी लगाए जो अब वृक्ष बन चुके हैं।