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World Migratory Birds Day: विदेशी पक्षियों का फेवरेट स्पॉट भी है आगरा, गिद्ध की मिल चुकी है यहां तीन प्रजातियां भी

World Migratory Birds Day विश्व प्रवासी पक्षी दिवस आज। प्रवासी पक्षियों के लिए बचाने होंगे वेटलैंड और जंगल। साल 2021 में 11 व 2022 में 9 हिमालय ग्रिफन वल्चर आगरा और भरतपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में देखे गए। 2022 में एक सिनेरियस वल्चर भी रिकार्ड किया गया।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 14 May 2022 03:24 PM (IST)Updated: Sat, 14 May 2022 03:24 PM (IST)
World Migratory Birds Day: विदेशी पक्षियों का फेवरेट स्पॉट भी है आगरा, गिद्ध की मिल चुकी है यहां तीन प्रजातियां भी
World Migratory Birds Day: कीठम में पानी में कलरव करते प्रवासी पक्षी।

आगरा, जागरण संवाददाता। आज विश्व प्रवासी पक्षी दिवस है। ये दिन आगरा के लिए इसलिये खास है क्योंकि प्रवासी पक्षियों के लिए आगरा की धरती सर्दियों में सबसे फेवरेट होती है। यहां अक्टूबर माह से प्रवासी मेहमानों का आना शुरू हो जाता है। प्रवासी मेहमान यानी पक्षी हजारों किमी का सफर तय करके दूर देश से आगरा की सरजमीं पर आते हैं। यहां के कीठम, जाेधपुर झाल समेत अन्य हेविटाट पर आशियाने बनाते हैं। प्रजनन करते हैं और फिर मार्च की शुरूआत से पलायन करना शुरू कर देते हैं। वर्षाें से ये आवागमन का सिलसिला यहां जारी है। इस दौरान पक्षी प्रेमियों को आगरा में ताजमहल के अलावा भगवान के डाकियों के विविध रूप रंग और प्रजाति देखने को मिलती है और साथ ही मिलता है इन पर आधारित अध्ययन को बहुत कुछ। 

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बुलाने हैं विदेशी मेहमान तो बचाने होंगे हेविटाट  

प्रवासी पक्षियों के सामने अपना अस्तित्व बचाने का संकट खड़ा हो रहा है। इसके प्रमुख कारणों में

वैश्विक स्तर पर इनके हेविटाट में लगातार कमी आ रही है। पक्षियों के हेविटाट जिनमें जल निकाय, वेटलैंड्स, प्राकृतिक घास के मैदान और जंगल शामिल हैं। मौसम परिवर्तनशीलता में वृद्धि, और जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप प्रवासी पक्षियों के लिए जैव विविधता का नुकसान हुआ है। प्रवासी पक्षियों को बचाने के लिए वेटलैंड्स , स्थलीय आवासों और पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना होगा । वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) पर 40 प्रतिशत से अधिक पक्षीवर्ग की प्रजातियां पूर्ण रूप से निर्भर रहती हैं।

इस साल आगरा में दिखी गिद्ध की तीन प्रजातियां

बीआरडीएस के पक्षी गाइड गजेन्द्र सिंह व महेन्द्र सिंह के अनुसार इजिप्सियन वल्चर के अतिरिक्त आगरा में दो साल से लगातार हिमालय ग्रिफन वल्चर भी रिकार्ड किया जा रहा है। साल 2021 में 11 व 2022 में 9 हिमालय ग्रिफन वल्चर आगरा और भरतपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में देखे गए। 2022 में एक सिनेरियस वल्चर भी रिकार्ड किया गया। यह वल्चर भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क के प्रवास पर आते और जाते हुए आगरा में कुछ दिन ठहरते हैं।

सर्दियों के बाद भी आगरा आते हैं स्थानीय प्रवासी पक्षी

पक्षियों पर शोध कर रहीं आगरा विश्वविद्यालय की पीएचडी छात्रा निधि यादव व हिमांशी सागर ने बताया कि अप्रैल से मई के बीच आगरा का मौसम गर्म होने लगता है वैसे ही सर्दियों के प्रवास पर आए प्रवासी पक्षी वापस लौटने लगते हैं। लेकिन गर्मी के मई-जून व पूर्व मानसून काल मे स्थानीय प्रवासी पक्षी भी आगरा में रिकार्ड किये जाते है।

इनमें कम दूरी तय करके आने वाले स्थानीय प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां शामिल हैं जिनमें पैराडाइज फ्लाईकैचर, इंडियन पिट्टा , गोल्डन ओरिओल, पेन्टेड स्टार्क, यूरेशियन स्पून-बिल आदि प्रजातियां शामिल हैं।

रोजी स्टर्लिंग, जैकोबिन कूको और वैगटेल है सबसे पहले प्रवास पर आने वाले पक्षी

जोधपुर झाल के पक्षियों पर शोध कर रहे आगरा विश्वविद्यालय के शोधार्थी समी सईद ने बताया कि मौसम चक्र के अनुसार अप्रैल माह मे आगरा में रोजी स्टर्लिंग का आगमन हो जाता है। इन्ही दिनों में चंबल क्षेत्र में इंडियन स्कीमर प्रजनन करता है। इसके पश्चात मानसून पूर्व जून-जुलाई में जैकोबिन कूको दिखाई देने लग जाता है। पूर्व मानसून काल में फिजेन्ट टेल्ड जेकाना जोधपुर झाल और यूरेशियन स्पून-बिल प्रजनक प्रवास पर सूर सरोवर बर्ड सेन्चुरी पहुंचता है। जुलाई-अगस्त में बारिश के मौसम में व्हाइट वेगटेल व व्हाइट ब्राउडेड वेगटेल आगरा पहुंच जाती हैं।

प्रवासी पक्षियों के फ्लाई-वे की करनी होगी रक्षा

बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ डाॅ केपी सिंह के अनुसार फ्लाई-वे एक भौगोलिक क्षेत्र होता है जिसके अंतर्गत प्रवासी प्रजातियों के समूह अपने वार्षिक चक्र प्रजनन, मॉलिंग, स्टेजिंग और गैर-प्रजनन काल को पूरा करते हैं। पक्षीवर्ग की प्रजातियां बहुत अधिक दूरी तय करती हैं तो कुछ कम दूरी की यात्रा कर प्रवास पर पहुंचती हैं। इन प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए विभिन्न देशों की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के बीच पूरे फ्लाईवे के साथ सहयोग की जरूरत होती है। फ्लाईवे की सीमाओं के अंतर्गत शिकारियों से पक्षियों की सुरक्षा, वेटलैंड्स का संरक्षण व रीस्टोरेशन करना, स्थलीय आवासों व जंगलो को बचाने की आवश्यकता है।

पानी के रिसाव से तैयार छोटे छोटे वेटलैंड्स पर आश्रित हैं प्रवासी पक्षी

पक्षियों पर अध्ययन करने वाली संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के सदस्यों द्वारा आगरा , मथुरा व भरतपुर में पानी की पाइपलाइन और पानी की टंकियो से पानी रिसने के कारण बने एक दर्जन से अधिक छोटे वेटलैंड्स चिन्हित किए हैं । इन वेटलैंड्स पर वेडर व शोर बर्ड की प्रजातियां ठहरती हैं।

आगरा के प्रवासी पक्षियों में पेलिकन सबसे बड़ा और लिटिल स्टिंट सबसे छोटा

आगरा में 100 से अधिक प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां रिकार्ड की गई हैं। सर्दियों के प्रवास पर आगरा में सबसे अधिक वेटलैंड्स पर निर्भर डक, वेडर व शोर बर्ड की प्रजातियों का माइग्रेशन होता है। गर्मी व मानसून पूर्व स्थलीय प्रजातियां रिकार्ड की जाती हैं। साल भर के माइग्रेशन के दौरान सबसे बड़े प्रवासी पक्षी के रूप में ग्रेट व्हाइट पेलिकन, डालमेशन पेलिकन और फ्लेमिंगो रिकार्ड किया जाता है। वहीं आगरा में सबसे छोटे प्रवासी पक्षियों में लिटिल स्टिंट, सेन्डपाइपर और वेगटेल रिकार्ड की जाती हैं। 


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