World Migratory Birds Day 2020: ताजनगरी में इन नये ठिकानों पर भी डेरा डालते हैं अब 'विदेशी मेहमान'
World Migratory Birds Day 2020 बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ केपी सिंह के अनुसार प्रवासी पक्षियों ने शहर में बना लिये हैं नये ठिकाने।
आगरा, जागरण संवाददाता। जीवन के विविध रूपों में पक्षी अपने रंग रूप आवाज के कारण सबसे अधिक आकर्षक करने वाला रूप है। पक्षियों में प्रवास एक अद्भुत प्राकृतिक प्रक्रिया है। विभिन्न प्रवासी पक्षी प्रवास के लिए सैकड़ों मील की दूरी तक यात्रा करते हैं और जलस्रोत के किनारे दो से तीन महीने के लिए अपना डेरा डालने के बाद लौट जाते हैं। मौसम परिवर्तन में आगरा भी हमेशाा से प्रवासी पक्षियों को पसंदीदा ठिकाना रहा है। प्रवासी पक्षियों की पसंद में अब कुछ समय से बदलाव हुआ है। ताजनगरी में अपने परम्परागत ठिकानों से अलग कुछ नई जगहों प्रवासी पक्षी अब अपना ठिकाना बनाने लग गए हैं।
कौन हैं प्रवासी पक्षी और क्यों करते हैं माइग्रेशन
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ केपी सिंह के अनुसार अधिकतर पक्षी उत्तर से दक्षिण और कुछ पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर प्रवास करने चले जाते हैं।
कभी कभी ये पक्षी एक देश से दूसरे देशों में भी पहुंंच जाते हैं। इन्हीं पक्षियों को प्रवासी पक्षी कहते हैं। पक्षियों का यह माइग्रेशन मुख्यतः भोजन की तलाश में अथवा प्रजनन स्थल के लिए होता है और यह प्रतिवर्ष होने वाली स्वाभाविक प्रक्रिया है। सर्दियों के मौसम में आगरा में बहुत प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है।
कई देशों की दर्जनों प्रजातियां डालती हैं ताजनगरी में डेरा
आगरा परिक्षेत्र में हिमालय, साइबेरिया, रूस, चीन, मंगोलिया, तिब्बत, बांग्लादेश, म्यामार आदि देशों के प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। जिनमें बार हेडेड गूज, ग्रेटर फ्लेमिंगो, रोजी पेलिकन, नार्दन शोवलर, स्कीमर, काम्ब डक, लेशर विशलिंग डक, ब्लूथ्रोट, पाइड एवोसेट, पिनटेल, ग्रे लैग गूज, स्पून विल्ड डक, रेडी शैल्ड डक, स्पाट विल्ड डक, चाइनीज कूट, ब्लैक विंग स्टिल्ट, बुड सेन्डपाइपर, वेगटेल आदि प्रमुख हैं।
ये नये ठिकाने बने पसंदीदा
पक्षियों पर अध्ययन करने वाली संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के सदस्यों द्वारा आगरा परिक्षेत्र में प्रवासी पक्षियों के नये ठिकानों की खोज की गई हैं, जिनमें जोधपुर झाल व ग्वालियर रोड सेवला स्थित वाटर बाडी, यमुना पुल, रैपुरा जाट, खारी नदी, किरावली आदि प्रमुख हैं। यहां पर हेडेड गूज, पिनटेल, लेशर विशलिंग डक, काम्ब डक, पेन्टेड स्टार्क, कोर्मोरेन्ट, नार्दन शोवलर, ब्लूथ्रोट, ब्लैक विंग स्टिल्ट, पाइड एवोसेट जैसे प्रवासी पक्षी बहुत बडी संख्या में आते हैं। इसके अलावा सूर सरोवर पक्षी विहार कीठम, चंबल क्षेत्र बाह, ताज नेचर वाक एवं यमुना नदी के किनारे , पटना पक्षी विहार जलेसर आदि क्षेत्र परम्परागत रूप से प्रवासी पक्षियों के ठिकाने हैं। जैसे जैसे आगरा का मौसम गर्म होने लगता है वैसे ही प्रवासी पक्षी वापस लौटने लगते हैं। कुछ प्रवासी पक्षी आगरा में प्रजनन पूर्ण कर अपने बच्चों के साथ वापस लौटते हैं। और अगली सर्दियों की शुरुआत में इनका आगमन पुनः होने लगता है।
सबसे अधिक ऊंंचाई पर उड़ने वाला पक्षी भी आता है आगरा
डॉ केपी सिंह के अनुसार बार हेडेड गूज हजारों की संख्या में हिमालय से सर्दियों में उत्तरी व दक्षिणी भारत तक प्रवास करने आता है। यह विश्व का सबसे ऊंंचाई पर उड़ने वाला पक्षी है जो लगभग 8400 मीटर की ऊंंचाई पर भी उड़ सकता है। उड़़ने की गति 300 किमी प्रति घंटा तक होती है। इसके खून के हीमोग्लोबिन में एक विशेष एमीनो एसिड होता है। यह एसिड इनके काफी ठंडे स्थानों पर रहने में सहायक होता है। आठ घंटे बगैर रुके यह तिब्बत से उड़कर हिमालय की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों को पारकर भारत में आते हैं। यह पक्षी मार्च के बाद हिमालय की लगभग 8000 मीटर की ऊंचाई को पार करके पुन: अपने देश चले जाते है।