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World Earth Day 2020: धरती पर हो रहे इन बदलावों को जान, आप खुद कहेंगे Lockdown अच्‍छा है

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह के अनुसार प्रदूषण की कमी से अंटार्कटिक के वायुमंडल में सुधार के फलस्वरूप ओजोन परत के छेद में कमी होने की संभावना अधिक है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 11:45 AM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2020 09:50 AM (IST)
World Earth Day 2020: धरती पर हो रहे इन बदलावों को जान, आप खुद कहेंगे Lockdown अच्‍छा है
World Earth Day 2020: धरती पर हो रहे इन बदलावों को जान, आप खुद कहेंगे Lockdown अच्‍छा है

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में प्रकृति मुस्‍कुरा रही है। वाहनों के प्रदूषण और बोझ तले घुट रही धरती खिलखिला रही है। हरियाली अपने असली रंग में है और नदियों में जल शुद्ध नीर सा बह रहा है। लॉकडाउन के कारण कारखाने बंद हैं और गाडिय़ां घरों में खड़ी हैं। पेड़ों का कटना थम गया है तो धूल, धुएं पर रोक के साथ नदियों में औद्योगिक कचरा भी गिरना बंद हो गया है। यही कारण है कि हवा, पानी, धरती के साथ ओजोन परत की भी स्थिति सुधरी है। विकास के नाम पर जंगल खत्म करने एवं जनसंख्या और वाहनों में बेतहाशा वृद्धि का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा था, मगर लॉकडाउन ने नया जीवन दिया है। जल व वायु की गुणवत्ता में निरंतर सुधार हो रहा है। इससे सीख मिली है कि यदि हमारी जीवन शैली प्रकृति के अनुरूप रहे तो धरती स्वस्थ व आबो-हवा स्वच्छ रहेगी। उम्मीद जगी है कि अगर कुछ वर्षों के अंतराल में लॉकडाउन होता रहे तो प्रकृति मानव द्वारा की गई गलतियों को भी सुधार लेगी। पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह भारत में लाॅकडाउन लागू होने के बाद आगरा और दिल्ली के वायुमंडल में एयर क्वालिटी इंडेेक्स में सुधार दर्ज हो रहा है। पार्टिकल्स पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा कमी के साथ दर्ज हो रही है। साथ ही मुंबई, कोलकाता व बेंगलूरू की वायु में भी उत्साहित करने वाला सुधार हो रहा है। भारत के विभिन्न शहरों में नाइट्रोजन डाई आक्साइड की मात्रा में 40 से 50 प्रतिशत तक की कमी आई है। इसका सीधा असर धरती के तापमान पर पड़ेगा।

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वायु प्रदूषण में कमी से ओजोन परत में होगा सुधार

पृथ्वी से जनित रासायनिक गैस ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती हैं। वर्ष 2000 से 2018 तक ओजोन परत का 40 लाख वर्ग किमी क्षेत्रफल का छेद सिकुड़ गया था। वर्तमान में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए विश्व के अधिकतर देशों ने लाॅकडाउन घोषित कर रखा है। परिणाम स्वरूप विश्व के करोड़ों छोटे बडे उद्योग, करोड़ों वाहन, लाखों विमानों के बंद हो जाने के कारण वायु प्रदूषण में बहुत बडी कमी आई है। प्रदूषण की कमी से अंटार्कटिक के वायुमंडल में सुधार के फलस्वरूप ओजोन परत के छेद में कमी होने की संभावना अधिक है।

पृथ्वी के बढते तापमान पर लग सकती है रोक

उद्योग और वाहनों के कारण चीन व इटली के वायुमंडल में उत्पन्न नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनो आक्साइड की मात्रा में पचास प्रतिशत तक की कमी आई है। इन गैसों के उत्सर्जन से पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है।

भारत में वायु प्रदूषण का क्या है प्रभाव

भारत में लगभग 12 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण प्रति वर्ष होती है। वायु प्रदूषण के प्रभाव से श्वास संबंधी रोग, फेफडों का संक्रमण, काला मोतियाबिंद, ह्रदय संबंधी रोग, बच्चों के मस्तिष्क संरचना में परिवर्तन जैसे गंभीर रोग होते हैं। प्रदूषण में सुधार से इन रोगों में कमी आने की पूर्ण संभावना है।

नदियों के दूषित जल में भी हो रहा है सुधार

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ के पी सिंह ने बताया कि अकेले भारत में ही जल प्रदूषण से जनित रोगों से होने वाली वाली मौतें तीन लाख प्रतिवर्ष हैं। उद्योग कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट नदियों व नहरों में ही प्रवाहित होता है। परिणाम स्वरूप मनुष्य के पीने का पानी दूषित होता है। साथ ही जलीय जीवों के लिए भी अत्यंत हानिकारक होता है। उद्योग और कारखानों के बंद हो जाने के कारण जल प्रदूषण मे भी कमी आई है। विलुप्त हो गई डॉल्फिन व बतखे बर्षों बाद दिखाई दे रही है क्योंकि जल प्रदूषण मे कमी आई है। गंगा औरयमुना नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। दोनों नदियों के जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा में बढोतरी हुई है। आगरा की चंबल नदी में घड़ियाल व मगरमच्छ प्रदूषण मुक्त जल में प्रजनन कर रहे हैं।

प्रदूषण मे सुधार से बदल रही है जीव जन्तुओं की दिनचर्या

बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के सदस्यों द्वारा पक्षियों के व्यवहार पर किये जा रहे अध्ययन में यह बात सामने आई है कि प्रदूषण मे सुधार से जंगली जीव जन्तुओं के भोजन और प्रजनन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। डाॅ के पी सिंह के अनुसार पक्षियों के भोजन करने के समय में परिवर्तन दर्ज किया जा रहा है। सामान्यतः पक्षी अपना भोजन सुबह अधिकतम 9 से 10 बजे तक समाप्त कर लेते थे। परन्तु अब यह समय बढकर सायं काल तक हो गया है क्योंकि लाॅकडाउन से मनुष्य की गतिविधियों पर अंकुश के साथ प्रकृति में हस्तक्षेप रूक गया है। मनुष्य जनित गतिविधियों ने पक्षियों के आहार व प्रजनन की प्रक्रिया को बुरी तरह प्रभावित कर दिया था। वर्तमान में पक्षियों के प्रजनन संबंधी तैयारियाँ और गतिविधियां बढती हुई नजर आ रही हैं। ओडिशा के वन विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 8 लाख से अधिक ओलिव रिडलेज़ कछुओं ने गहिरमाथा व रुशिकुल्या बीच पर प्रजनन कर अंडे दिये हैं। लाॅकडाउन होने के कारण इन्हें मानव जनित परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

पृथ्वी के कम्पन्न में कमी और मौसम चक्र में होगा परिवर्तन

डाॅ केपी सिंह बताते हैं कि लाॅकडाउन के कारण मशीनों, वाहनों व अन्य उपकरण जो कम्पन पैदा करते हैं वो इस समय बंद हैं। फलस्वरूप पृथ्वी के हिलने में कमी आएगी। वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण मे सुधार से अव्यवस्थित मौसम चक्र भी अपनी सही स्थिति में लौटने लगेगा।

लाॅकडाउन को कानूनी रूप से अनिवार्य करने का सुझाव

डॉ के पी सिंह ने कहा कि भले ही कोरोना वायरस के संक्रमण से खतरा समाप्त हो जाए लेकिन विभिन्न देशों को महीने में कम से कम दो बार संपूर्ण लाॅकडाउन के लिए कानून बनाकर पर्यावरण सुधार के लिए प्रयास जारी रखने चाहिए। 


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