Chhatrapati Shivaji Museum: पांच करोड़ मिलने के बाद भी शुरू नहीं हो सका काम, जानिए कहां अटका है आगरा के इस म्यूजियम का काम
Chhatrapati Shivaji Museum 18 माह से बंद चल रहा है आगरा में म्यूजियम का काम। सितंबर में उप्र सरकार ने बदला था म्यूजियम का नाम। सपा सरकार में वर्ष 2016 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का नाम पहले मुगल म्यूजियम था।
आगरा, जागरण संवाददाता। उप्र सरकार ने आगरा में निर्माणाधीन म्यूजियम का नाम बदलने के छह माह बाद रुका काम शुरू करने को पांच करोड़ रुपये जरूर जारी किए, लेकिन इसके बाद भी काम दोबारा शुरू नहीं हो सका। यहां 18 माह से काम ठप है। सरकार ने जितने पैसे जारी किए थे, उससे अधिक तो निर्माण एजेंसी का बकाया था। इसके चलते एक बार फिर शासन को पत्र भेजकर बजट जारी करने की मांग की गई है।
ताजनगरी में शिल्पग्राम के नजदीक म्यूजियम निर्माणाधीन है। म्यूजियम का काम बजट के अभाव में जनवरी, 2020 से बंद पड़ा हुआ है। सपा सरकार में वर्ष 2016 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का नाम पहले मुगल म्यूजियम था। सितंबर, 2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका नामकरण छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम करने के निर्देश आगरा मंडल की समीक्षा बैठक में दिए थे। इसके बाद उप्र पर्यटन ने इसके लिए शासनादेश जारी किया था। इसके छह माह बाद मार्च के अंत में पांच करोड़ रुपये का फंड म्यूजियम के लिए जारी किया गया। पांच करोड़ रुपये तो मिले, लेकिन म्यूजियम का काम रत्ती भर आगे नहीं बढ़ सका है। दरअसल, म्यूजियम का निर्माण कर रही टाटा प्रोजेक्ट्स के पांच करोड़ रुपये से अधिक की लेनदारी सरकार पर थी। इससे यहां काम आगे नहीं बढ़ सका है। प्रोजेक्ट्स से जुड़े हुए लोगों की मानें तो 15 से 20 करोड़ रुपये मिलने के बाद ही म्यूजियम का रुका काम एक बार फिर दोबारा शुरू हो सकता है।
राजकीय निर्माण निगम के परियोजना प्रबंधक दिलीप सिंह ने बताया कि शासन को पैसा जारी करने के लिए पत्र भेजा गया है, जिससे कि म्यूजियम का काम पुन: शुरू किया जा सके।
म्यूजियम के यह काम नहीं हो सके
मार्बल फ्लोरिंग, वाल क्लेडिंग, साइट डवलपमेंट, विद्युतीकरण, फायर फाइटिंग सिस्टम व लिफ्ट का काम नहीं हो सका है। यहां बेसमेंट, ग्राउंउ फ्लोर व फर्स्ट फ्लोर बनकर तैयार हैं।
यह है प्रोजेक्ट की स्थिति
-पांच जनवरी, 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था शिलान्यास।
-5.9 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है म्यूजियम।
-राजकीय निर्माण निगम ने टाटा प्रोजेक्ट्स को दिया है निर्माण का जिम्मा।
-उप्र का प्री-कास्ट टेक्नीक से बन रहा पहला सरकारी भवन है।
-31 मई, 2017 तक काम किया जाना था पूरा।
-म्यूजियम की लागत 141.89 करोड़ रुपये आंकी गई थी। जीएसटी लागू होने व काम में विलंब से लागत बढ़कर 172 करोड़ रुपये तक पहुंची। कास्ट रिवाइज्ड नहीं हो सकी है।
-अब तक 99 करोड रुपये हो चुके हैं खर्च।