Stop Begging: भिक्षावृत्ति के खिलाफ आगरा में तैयार हो रहा ब्लू प्रिंट, भनक लगते ही भिक्षुक हुए ठिकानों से गायब
Stop Beggingआगरा में भीख मांगने वाली महिलाओं और बच्चों ने अभियान की भनक लगते ही बदल दिए ठिकाने। मानव तस्करी निरोधक थाना संबंधित थानों की पुलिस सामाजिक संगठनों की मदद से रोकेगी भिक्षावृत्ति। लाइफ लाइन से अलग होकर शहर के अंदरूनी इलाकों में भीख मांगने वाले लोग।
आगरा, जागरण संवाददाता। शहर की लाइफ लाइन और प्रमुख चौराहों पर भीख मांगने वालों ने पुलिस के अभियान की भनक लगने के बाद से अपने ठिकाने बदल दिए हैं। वह एमजी रोड और चौराहों से हटकर अब शहर के अंदरूनी इलाकों में चले गए हैं। इससे आशंका है कि इस सामाजिक बुराई के पीछे कोई संगठित गिराेह या व्यक्ति काम ताे नहीं कर रहा है।
एसएसपी बबलू कुमार ने तीन दिन पहले मानव तस्करी निरोधक थाने समेत जिले के सभी थानाध्यक्षों के साथ बैठक की थी। इसमें शहर में भिक्षावृत्ति रोकने को अभियान चलाने के निर्देश दिए थे। भीख मांगने वाले बच्चों और महिलाओं को आश्रय गृह भेजने की कहा गया था। इससे कि वहां उनकी कांउसिलिंग करके इस सामाजिक बुराई से दूर किया जा सके। शहर की लाइफ लाइन एमजी रोड और प्रमुख चौराहों पर भीख मांगने वाली महिलाएं और बच्चे अक्सर दिख जाते हैं। जो गले में आगे एक थैला लटकाए रहते हैं। इनमें भीख में मिली रकम को रखते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता और बाल अधिकारों के लिए कार्य करने वाली संस्था महफूज के समन्वयक नरेश पारस ने पिछले दिनों एमजी रोड और शहर के प्रमुख चौराहों का सर्वे किया था। उन्होंने भिक्षावृत्ति करने वाले 45 बच्चों को चिन्हित किया था। इसकी सूची एसपी सिटी कार्यालय में को दी थी। इससे कि पुलिस भिक्षावृत्ति पर प्रभावी रोक लगा सके। सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसार पुलिस अभियान की भनक लगने के बाद से भीख मांगने वाले बच्चों आैर महिलाओं ने अपने ठिकाने बदल दिए हैं। भगवान टाकीज चौराहे के आसपास भिक्षावृत्ति करने वाले लोग अब दयालबाग रोड और नगला पदी की ओर चले गए हैं। उन्होंने वहां पर भीख मांगना शुरू कर दिया है।
इसी तरह हरीपर्वत चौराहे के आसपास यह काम करने वाली महिलाएं और बच्चे अब संजय प्लेस की ओर चले गए हैं। इससे कि पुलिस अभियान चलाने के दौरान उन्हें पकड़कर कहीं आश्रय गृह न भेज दे। इसी तरह से सेंट जोंस चौराहा, राजामंडी चौराहा, साईं की तकिया और प्रतापपुरा चौराहे पर भी भिक्षावृत्ति करने वालों ने ठिकाना बदल दिया है। इससे कि वह पुलिस द्वारा अभियान चलाने के दौरान उसकी नजरों में न आएं।
उन्हें यह सब सिखाने के पीछे कौन
भिक्षावृत्ति से जुड़े बच्चे और महिलाएं को यदि शक हो जाए कि कोई उनका फोटो खींच रहा है तो वह खिसक लेते हैं। अपना चेहरा छिपाने का प्रयास करते हैं। यहीं नहीं वह फोटो खींचने वाले से विवाद करने पहुंच जाते हैं। यह सब वह खुद ही प्रेरित होकर करते हैं। कहीं ऐसा तो इस सबके पीछे कोई गिराेह या व्यक़्ति हो, जो उन्हें इस सबके लिए प्रशिक्षण देता हो।