टॉयलेट एक प्रेमकथा की तरह पत्नियों ने रखी शर्त, पुलिस पड़ी बीच में तो इस तरह बनी बात
आगरा के मलपुरा थाना क्षेत्र के एक गांव का मामला चार साल पहले हुई थी शादी। पतियाें से अपनी बात मनवाने को पत्नियों ने पुलिस में की थी शिकायत। सगी बहनाें की शादी हुई थी सगे भाइयों के साथ। आर्थिक दिक्कत होने पर डूडा से मिलेगा टॉयलेट के लिए अनुदान।
आगरा, अली अब्बास। चर्चित फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा की कहानी आगरा के एक गांव में भी दोहराई गई। बस कहानी की पटकथा में थोड़ा फेरबदल हो गया। शादी के बाद ससुराल पहुंची बहनों ने पाया कि घर में टॉयलेट नहीं है। वह पतियों से लगातार इसकी मांग करती रहीं। बात नहीं बनी तो वह पांच महीने पहले मायके आ गईं। पतियों से अपनी बात मनवाने के लिए पुलिस के पास पहुंच गईं। पत्नियों की शर्त पूरी होने का ठोस आश्वासन मिलने पर बात बनी।
सगी बहनाें की सगे भाइयों से शादी
मलपुरा थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली दो सगी बहनों की शादी चार साल पहले हुई थी। उनके पति भी आपस में सगे भाई हैं। घर छोटा होने के चलते ससुराल में शौचालय नहीं था। पत्नियों को शौचालय के लिए खेतों में जाना पड़ता था। उन्हें ये बात पसंद नहीं थी। पतियों तीन साल तक उनकी बात नहीं सुनी। वह आर्थिक कारणों का हवाला देकर पत्नियों की बात टाल देते। जिससे नाराज होकर पांच महीने पहले पत्नियां मायके आ गईं।
परिवार परामर्श केंद्र पर पहुंचा मामला
पति उन्हें लेने गए तो पत्नियों ने टॉयलेट बनवाने के बाद ही उनके साथ चलने की शर्त रख दी। पत्नियों ने एक महीने पहले पुलिस परिवार परामर्श केंद्र की शरण ली। रविवार को दंपती काउंसलिंग के लिए पहुंचे थे। पतियों का कहना था कि घर काफी छोटा है, दूसरे आर्थिक समस्या भी है।
जिस पर पत्नियों का कहना था कि छोटे घर में भी टॉयलेट बन सकता है। वह पतियों के साथ तभी जाएंगी, जब वह टॉयलेट बनवा लेंगे। परिवार परामर्श केंद्र प्रभारी कमर सुल्ताना के अनुसार काउंसलिंग के बाद पति एक महीने में टॉयलेट बनवाने को राजी हो गए। जिसके बाद पत्नियां पतियों के साथ विदा हो गईं।
इस तरह बनी बात
पतियों का कहना था कि वह फैक्ट्री में काम करते हैं। उनके पास एकमुश्त इतनी रकम नहीं है, जिससे कि वह पत्नियों के लिए टॉयलेट बनवा सकें। जिस पर पुलिस और काउंसलर ने पतियों की आर्थिक समस्या का समाधान किया।
उन्हें बताया कि नगर निगम में जिला विकास नगरीय अभिकरण डूडा से शौचालय बनाने के लिए आर्थिक मदद मिलती है। जिसके बाद काउंसलर ने डूडा के कर्मचारियों से बात की। दंपती की समस्या से अवगत कराया। डूडा ने शौचालय बनाने के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी करा पतियों को मदद का आश्वासन दिया। जिससे पतियों की आर्थिक समस्या दूर हो सकी।