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Water Supply: दुरुस्त की जा रही आगरा के ग्रामीण इलाकों में ट्यूबवेलों से जलापूर्ति की व्यवस्था

ग्रामीण इलाकों में जलापूर्ति के लिए पूर्व में काफी मशक्कत की गई। कहीं पानी की टंकियां बनवाई गईं तो कहीं ट्यूबवेलों से जलापूर्ति की व्यवस्था की गई। मगर देखरेख के अभाव में ये व्यवस्थाएं चौपट होती गईं। भूमिगत पानी खारा होने के कारण पानी की टंकी बनवाई गई थी।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 11:25 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 11:25 AM (IST)
आगरा के ग्रामीण इलाकों में पेयजलापूर्ति को सुधारे जाने की कवायद हो रही है।

आगरा, जागरण संवाददाता। शहर में जहां घर-घर गंगाजल पहुंचाने की कवायद हो रही है वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को एक-एक बाल्टी पानी के लिए दो किमी की दौड़ लगानी पड़ रही है। एक-दो नहीं, एेसे कई गांव हैं। खेरागढ़, जगनेर, तांतपुर, बाह के कई गांवों के लोग सालों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। इन तमाम गांवों में पानी की समस्या के समाधान की कवायद शुरू हो गई है। इन गांवों की ट्यूबवेल पाइप लाइनों को दुरुस्त किया जा रहा है।

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ग्रामीण इलाकों में जलापूर्ति के लिए पूर्व में काफी मशक्कत की गई। कहीं पानी की टंकियां बनवाई गईं तो कहीं ट्यूबवेलों से जलापूर्ति की व्यवस्था की गई। मगर, देखरेख के अभाव में ये व्यवस्थाएं चौपट होती गईं। खेरागढ़ के रिठौर गांव को ही ले लीजिए। इस गांव के लोग पिछले लगभग दो दशक से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। भूमिगत पानी खारा होने के कारण गांव में पानी की टंकी बनवाई गई थी। जिसे गांव के बाहर लगे ट्यूबवेल के माध्यम से भरा जाता था। यह पानी की टंकी भी लगभग डेढ़ दशक से बंद है। ऐसे में ग्रामीणों के लिए रजवाहा किनारे लगे दो-तीन हैंडपंप ही सहारा बने हुए हैं। इनका पानी मीठा होने के कारण यहां सुबह-शाम काफी भीड़ लगती है। यह गांव से लगभग दो किमी दूर हैं। खेरागढ़ के ही पटवरगंज, काेलूआ, उदइया, बाह के गुड़ा आदि गांवों में पानी की समस्या बनी हुई है। बाह के बटेश्वर में लगे अधिकांश सरकारी हैंडपंप खराब हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति की व्यवस्था देख रहे जल निगम एक्ससीईएन आरपी शर्मा का कहना है कि 52 गांवों में पुराने जलापूर्ति सिस्टम को सुधारने का काम शुरू हो गया है। इनमें से अधिकांश ऐसे गांव हैं, जिनमें ट्यूबवेलों के माध्यम से जलापूर्ति होती थी। 


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