यहां तो पानी छीनता है जवानी...जानिये कहां छाया है ये संकट
फीरोजाबाद जिले में एटा बार्डर के गांव झेल रहे फ्लोराइड युक्त पानी की मार। न तो सरकार आई मदद को न प्रशासन, चंदे के इंतजाम से मिला पानी।
एक नजर
- 50 गांवों के लोग कर रहे पानी की समस्या का सामना
- 35 गांव एटा से फीरोजाबाद में शामिल हुए थे वर्ष 2002 में
- 15 गांव टूंडला ब्लाक के पहले के हैं जहां पानी की है समस्या
फीरोजाबाद, डॉ. राहुल सिंघई। जीवन के लिए पानी सबसे जरूरी है। जिले के चार दर्जन से अधिक गांवों में यह पानी ही लोगों की जिंदगी बर्बाद कर रहा है। जवानी में ही दांत खराब हो रहे हैं तो पैरों की हड्डियां और जोड़ भी जवाब दे रहे हैं।
जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर टूंडला तहसील की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है रामगढ़ उम्मरगढ़। इसके सभी गांवों में फ्लोराइड युक्त पानी से इंसान से लेकर जानवर और जमीन सभी परेशान हैं। यहां केवल गेहूं और सरसों की फसल होती है, बाकी समय खेत खाली पड़े रहते हैं। यह हालत एटा बार्डर पर स्थित लगभग सभी गांवों की है।
उक्त गांवों में प्रशासन की लगवाई टीटीएसपी से भी खारा पानी आ रहा है। हैंडपंप सूख चुके हैं। नगला पार में जल निगम की लगाई टंकी से अन्य गांवों की आपूर्ति ठप है। एरई के ग्र्रामीणों ने चंदा कर गांव से दूर सबमर्सिबल लगवाया है। इससे गांव तक पानी लाया जाता है। ग्राम प्रधान धीरेंद्र कहते हैं कहीं कोई सुनवाई नहीं होती।
केस एक
एरई गांव निवासी 50 बसंत देख चुके सुरेशचंद्र के दांत 45 की उम्र में ही विदा हो लिए। वे नकली दांत हाथ में निकाल कहानी सुनाते हैं तो पता चलता है कि यहां तो पानी ही जवानी छीनता है।
केस दो
इसी गांव के रामवीर और तिलक ङ्क्षसह के दांत पानी की भेंट चढ़ चुके हैं। भंवर ङ्क्षसह (48) के पैर पानी की मार से तिरछे हो गए हैं।
ये गांव झेल रहे दर्द
एटा से फीरोजाबाद में शामिल हुए उम्मरगढ़-रामगढ़, ऐरई, नगला पार, बाघई, रजापुर, मिलक, गोथुआ, राजमल, चिलासिनी, कनवार, रजावली, जवाहरपुर, पहाड़पुर, गढ़ी हथी, फीरोजाबाद के पुराने गांव ङ्क्षसहपुर, नारखी, नारखी ताल्लुका, गढ़ी अफोह, गढ़ी ऐवरन, शेखूपुर, मंडनपुर, भैंसा, उत्तम गढ़ी, नगला सिकन्दर, गढ़ी पांडेय, नुनेर गढ़ी, लालगढ़ी, कायथा, भीकनपुर, रैमजा, रैमजा मिलिक, नगला बलू, गांगनी, कल्याण गढ़ी आदि।
जल शुद्धि के होंगे प्रयास
कई गांवों में फ्लोराइड टेस्ट कराया था। गोथुआ और कई गांवों में पॉजीटिव आया है। फिल्टरेशन के लिए भारत सरकार को लिखा है। बाकी के गांवों में टीम भेजकर पानी के सेंपल लिए जाएंगे। मैं खुद इन गांवों का निरीक्षण करुंगी। स्थानीय स्तर पर शुद्ध पानी के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
- नेहा जैन, मुख्य विकास अधिकारी
बस बदल गया हाकिम-दर्द वही का वही
वर्ष 2002 में एटा के कई गांव बंटवारे में फीरोजाबाद के खाते में आए थे। इनमें से 35 गांवों की कहानी अभी भी पुरानी है। यहां के ग्र्रामीण कहते हैं कि साहब बस हाकिम बदला, दर्द तो वही है। पानी के लिए दो गांवों में संघर्ष हुआ, मगर कोई सुनने नहीं आए। इसके बाद एक ने अपना रास्ता खुद बना लिया।
रामगढ़ उम्मरगढ़ ग्राम पंचायत के 22 गांव खारे पानी से जूझ रहे हैं। नगला पार गांव में जल निगम ने पानी की टंकी बनाई थी। इससे नगला पार और एरई पानी पाइप लाइन से जाता था। संकट गहराया तो पार वालों ने सप्लाई ठप कर दी। दोनों गांवों में संघर्ष हुआ। कोई उपाय नहीं निकाला। बाद में चंदा कर एरई गांव वालों ने दो किमी दूर मीठा पानी तलाशा और सबमर्सिबल लगवाकर गांव तक लाइन बिछाई।
सूखा कुआं- शोपीस बने हैंडपंप
एरई गांव के बाहर तालाब के पास मीठे पानी का स्रोत था। पहले एक फिर दर्जन भर हैंडपंप लग गए। बाद में हैंडपंप सूख गए। मीठा पानी देने वाला कुआं भी सूख गया।
ये कहते हैं ग्रामीण
हमारे गांव में तो सबसे ज्यादा दर्द पानी ही दे रहा है। खारा पानी पीने से शरीर के जोड़ों में दर्द रहता है। कोई सुनने वाला नहीं।
- आकाश कुमार, ग्रामीण
वोट लेते समय सभी पानी संकट से निजात दिलाने का वायदा करके गए, लेकिन कोई लौट कर नहीं आया। पानी को लेकर हुए झगड़ों के कई मुकदमे दर्ज हैं।
- प्रमोद कुमार, ग्रामीण
पशुओं को भी खारा पानी पीना पड़ रहा है। इससे वह भी बीमार हो रहे हैं। गांव में 40 की उम्र के बाद ही लोगों के दांत उखडऩे लगते हैं।
- रुकमपाल, ग्रामीण
अधिकारी व नेता कोई मदद करने नहीं आया। हमने अपने स्तर से ही पीने के पानी की व्यवस्था की है।
- आशा देवी, ग्रामीण