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40 साल में चार धाम समेत 200 तीर्थ स्थलों की यात्रा कर चुके थे सरयू नदी में अपनों को खाेने वाले अशाेक

पत्नी और बच्चों को साथ लेकर जाते थे। तीर्थ स्थलों की उनकी यात्राओं से कालोनी के लोग और दोस्त भी बखूबी वाकिफ हैं। इसलिए दोस्त या रिश्तेदारों को जब भी किसी तीर्थ स्थल पर जाना होता था। वहां जाने से पहले अशोक गोयल से जानकारी जरूर लेते थे।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 10 Jul 2021 04:32 PM (IST)Updated: Sat, 10 Jul 2021 04:32 PM (IST)
40 साल में चार धाम समेत 200 तीर्थ स्थलों की यात्रा कर चुके थे सरयू नदी में अपनों को खाेने वाले अशाेक
शास्त्रीपुरम स्थित अशाेक गोयल के निवास के बाहर एकत्र रिश्तेदार एवं पड़ोसी।

आगरा, जागरण संवाददाता। आढ़ती और दोने पत्तल के थोक व्यापारी अशोक गाेयल से देश का शायद ही कोई तीर्थ स्थल बचा हो, जहां वह नहीं गए हों। परिवार के लोगों रिश्तेदाराें ने बताया कि अशोक गोयल 40 साल से ज्यादा समय से यात्रा कर रहे हैं। केदारनाथ से रामेश्वरम और द्वारिकापुरी से लेकर जगन्नाथपुरी चारों धाम समेत करीब 200 तीर्थ स्थलों व कुल देवी- देवताओं की वह यात्रा कर चुके थे।

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अशोक के बेटे पदमेश ने बताया कि पिता साल में कई बार तीर्थ स्थलों के दर्शन करने जाते हैं। उनका यह सिलसिला 40 साल से भी पुराना है। वह शादी से पहले से ही तीर्थ स्थलों की लगातार यात्राएं करते रहे हैं। शादी और बच्चों के बाद भी उनका तीर्थ स्थलों की यात्रा का यह सिलसिला नहीं टूटा। वह परिवार को भी साथ लेकर जाते हैं। गुरुवार को परिवार के लोगों ने अयोध्या के लिए पांच दिन का कार्यक्रम बनाया था। दरअसल वह श्रीराम जन्म भूमि और उससे जुड़े सभी तीर्थ स्थलों को एक-एक करके देखना चाहते थे।

तीर्थ स्थलों की उनकी यात्राओं से कालोनी के लोग और दोस्त भी बखूबी वाकिफ हैं। इसलिए दोस्त या रिश्तेदारों को जब भी किसी तीर्थ स्थल पर जाना होता था। वहां जाने से पहले अशोक गोयल से जानकारी जरूर लेते थे।

गांव मोहम्मदपुर में कराया मंदिर का पुनरुद्धार

परिवार के लोगों ने बताया कि अशोक गाेयल ने मोहम्मदपुर में खाटू श्याम जी समेत कई मंदिरों का पुनरुद्धार कराया। जिसके चलते आसपास के लोग उन्हें परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं।

फोन पर ढांढस बंधाते रहे स्वजन और दोस्त

शास्त्रीपुरम में रहने वाले अशोक गाेयल के रिश्तेदारों और दोस्तों ने उन्हें फोन किया। बातचीत के दौरान वह रोने लगते। रिश्तेदार और दोस्त उन्हें फोन पर ही ढांढस बंधाते रहे।उन्हें रेस्क्यू में सकुशल निकाले गए परिवार के बाकी सदस्यों का ध्यान रखने की हिदायत देते रहे। 


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