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'सरकार', ताजनगरी में थम सी गई विकास की रफ्तार, अधूरे हैं कई कार्य Agra News

ताजनगरी में तदर्थ रोक और यथा स्थिति के चलते नए उद्योग नहीं लगे और न ही नए बड़े प्रोजेक्ट शुरू हुए। यहां तक पीएम शहरी आवास योजना को ड्रॉप करना पड़ा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 12:59 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 08:42 PM (IST)
'सरकार', ताजनगरी में थम सी गई विकास की रफ्तार, अधूरे हैं कई कार्य Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। योगी सरकार को तीन साल होने वाले हैं। जिले में पूरे नौ विधायकों ने जीत हासिल की। उम्मीद थी कि आगरा सिर्फ नाम से नहीं बल्कि सरकार के काम से भी जाना जाएगा लेकिन विकास की रफ्तार थम सी गई है। तदर्थ रोक और यथा स्थिति के चलते नए उद्योग नहीं लगे और न ही नए बड़े प्रोजेक्ट शुरू हुए। यहां तक पीएम शहरी आवास योजना को ड्रॉप करना पड़ा। उसके साथ ही कई और भी प्रोजेक्ट का नक्शा रद हो गया। आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट अभी तक शुरू नहीं हुआ है। इससे हर दिन 1.25 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। पर्यटन को कुछ खास फायदा नहीं मिला है। आगरा से बड़े शहरों की एयर कनेक्टिविटी की बात चुनाव दौरान की गई, इसके बाद भी आगरा में सिविल एंक्लेव का कार्य पूरा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को आगरा आ रहे हैं। वह कोठी मीना बाजार मैदान में नागरिकता संशोधन कानून का भ्रम दूर करने के लिए हो रही भाजपा की रैली में शामिल होंगे। ऐसे में ताजनगरी वासियों को मुख्यमंत्री से ढेरों उम्मीद हैं।

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बटेश्वर के विकास को न मिल सकी रफ्तार

भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ बटेश्वर आए थे। विकास को धनराशि की घोषणा हुई पर जो विकास कार्य होने थे, वह अभी तक नहीं हुए।

टूट गया गरीबों का सपना

पीएम शहरी आवास योजना में एडीए ने एक भी आवास नहीं बनाया। वजह थी, पांच हजार वर्ग मीटर की। एडीए इससे अधिक के नक्शे पास नहीं कर सकता है। इसके चलते इस योजना को ड्रॉप कर दिया गया। गरीबों के आवास बुढ़ाना में एडीए की जमीन पर बनने थे।

आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट को क्लीयरेंस का इंतजार

इस प्रोजेक्ट को अब तक 275 करोड़ रुपये रिलीज हो चुके हैं। सिकंदरा से ताज पूर्वी गेट तक पहले कॉरिडोर के सभी स्टेशनों का सर्वे हो चुका है। प्रोजेक्ट पर कुल 8379 करोड़ रुपये खर्च होंगे। तीस किमी लंबा ट्रैक बिछाया जा रहा है। उप्र मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को अभी तक क्लीयरेंस नहीं मिली है।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की राह के नहीं दूर हुए रोड़े

एक हजार करोड़ से ताजगंज व उसके आसपास के नौ वार्डों को स्मार्ट तरीके से विकसित किया जा रहा है। फतेहाबाद रोड पर 105 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। नगर निगम स्थित स्मार्ट सिटी कार्यालय में सेंट्रल कमांड कंट्रोल सेंटर बन चुका है लेकिन दर्जनभर प्रोजेक्ट के कार्यों की रफ्तार धीमी है।

यमुना में गिर रहा सीवर

शहर में दर्जनभर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और 28 मुख्य पंपिंग स्टेशन हैं। इनकी देखभाल की जिम्मेदारी वीटेक वबाग के पास है। नगला बूढ़ी दयालबाग सहित अन्य एसटीपी रात में कई घंटे बंद रहते हैं। गंदा पानी सीधे यमुना नदी में गिरता है।

गड्ढों में तब्दील हुई अधिकांश रोड

एडीए, नगर निगम और लोक निर्माण विभाग की अधिकांश रोड छलनी हैं। गड््ढों में रोड तब्दील हो गई हैं। इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक जिन रोड की मरम्मत कराई गई थी। बारिश के बाद फिर से गड्ढे हो गए हैं।

कूड़ा कलेक्शन में 22.65 करोड़ का घोटाला

डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में पांच कंपनियों ने 22.65 करोड़ रुपये का घपला किया है। कंपनियों ने महज दस फीसद कूड़ा लिया और 36 करोड़ रुपये के बिल लगाए थे। जांच में जिन अफसरों को दोषी पाया गया अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अवैध निर्माण को रोकने में एडीए फेल

शहर में अवैध निर्माण की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। गोरखपुर के बाद आगरा में सबसे अधिक 27 हजार अवैध निर्माण हैं। शहर में 256 अवैध कॉलोनियां भी हैं।

तेजी से बढ़ा साइबर क्राइम

अब लूट के बजाय शातिर साइबर क्राइम करने में लगे हैं। वर्ष 2017 में आइटी एक्ट के 90 मुकदमे हुए थे। वर्ष 2018 में 65 और वर्ष 2019 में यह संख्या 129 पहुंच गई।

करार हुए, लेकिन नहीं आए निवेशक

उप्र में वर्ष 2018 में हुए इन्वेस्टर्स समिट में आगरा के लिए 27 हजार करोड़ रुपये के करार किए थे। इनमें से कोलकाता की इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने की बात समिट में कही थी, लेकिन वो बोगस निकली।

बस दावों में गांवों का विकास

गांवों के विकास की रफ्तार धीमी है। तालाबों के निर्माण का काम महज कागजों पर दिख रहा है। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, मेड़बंदी के दावे तो विभाग खूब करते हैं लेकिन हकीकत इसके विपरीत हैं। जलशक्ति अभियान की रैंकिंग में आगरा जिला मंडल में सबसे फिसड्डी रहा।

न बदला एसएन का हुलिया

पिछले साल मुख्यमंत्री ने सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया, लेकिन न तो पूरी तरह चिकित्सा शिक्षा की सूरत बदल सकी और न ही सेहत में सुधार हुआ। एसएन सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है।

पढ़ाई की गुणवत्ता पर नहीं ध्यान

शहर के परिषदीय स्कूलों में बच्चे जर्जर भवनों में पढऩे को मजबूर हैं। नगर क्षेत्र के अधिकांश स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। आगरा में करीब 2957 प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल हैं। नगर क्षेत्र में 166 स्कूल हैं। नगर क्षेत्र की बात करें तो इन स्कूलों में केवल 170 शिक्षक तैनात हैं। अधिकांश स्कूल एकल शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं।  


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