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आगरा में लाकडाउन उल्लंघन के 4512 मुकदमे वापस लेगी सरकार

कोरोना वायरस के संक्रमण काल के दौरान लाकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस होंगे। शासन ने मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया है। जनप्रतिनिधियों को नही मिलेगी राहत अपनाई जाएगी अलग प्रक्रिया। कोरोना संकमण को फैलने से रोकने के लिए पुलिस ने यह कदम उठाया था।

By Nirlosh KumarEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 04:13 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 04:13 PM (IST)
आगरा में लाकडाउन उल्लंघन के 4512 मुकदमे वापस लेगी सरकार
पुलिस ने आगरा में लाकडाउन उल्लंघन के 4512 मुकदमे दर्ज किए थे।

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस के संक्रमण काल के दौरान लाकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस होंगे। शासन ने मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया है। जिन मुकदमों में न्यायालय में आरोप-पत्र दाखिल हो चुका है, केवल वही वापस लिए जाएंगे। शासनादेश में पूर्व व वर्तमान सांसद, विधायक और एमएलसी पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात नहीं है, इनके लिए अलग से प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

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मार्च 2020 में संपूर्ण लाकडाउन व अप्रैल 2021 में कोविड प्रोटोकाल सख्ती से लागू होने के बाद पुलिस ने आगरा में लाकडाउन उल्लंघन के 4512 मुकदमे दर्ज किए थे। कोरोना संकमण को फैलने से रोकने के लिए पुलिस ने यह कदम उठाया था। महामारी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में आरोपियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस ने तब मुकदमे तो दर्ज किए थे, परंतु अधिकांश मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की थी। जिन लोगों पर मुकदमे दर्ज हुए थे, उन्हें आज तक समन भी नहीं मिले हैं। अब विस चुनाव का आगाज होने से पहले सरकार द्वारा लाकडाउन उल्लंघन के मुकदमे वापस लेने के फैसले से हजारों लोगों को राहत मिल जाएगी। प्रमुख सचिव प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की ओर से जारी शासनादेश में उल्लेख किया गया है कि गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इस संबंध में मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया था। उसमें कहा गया था कि कोविड-19 प्रोटोकाल के उल्लंघन में दर्ज मुकदमों की समीक्षा की जाए, जिससे सामान्य नागरिकों को अनावश्यक अदालती कार्यवाही का सामना न करना पड़े। पत्र में समीक्षा के बाद मुकदमे वापसी पर विचार का सुझाव दिया गया था, जिसे स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार ने यह प्रक्रिया आगे बढ़ाने का फैसला किया है। उच्च न्यायालय ने भी तीन माह में इन मुकदमों को खत्म करने संबंधी आदेश आठ अक्टूबर को पारित किया था। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि जिन मुकदमों में आरोप-पत्र दाखिल नहीं हुए हैं, उन्हें खत्म करने के आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं।


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