UP Chunav 2022: मैनपुरी में सपा का विशेष चक्रव्यूह क्या करेगा अखिलेश की जीत पक्की? पढ़ें ये विशेष रिपोर्ट
UP Assembly Election 2022 भोगांव किशनी विधानसभा मे पुराने चेहरों पर भी खेला दांव। पिछड़ा और अनुसूचित जातियों का समर्थन पाने की है रणनीति। शाक्य और कठेरिया मतों का समीकरण अखिलेश यादव को करहल सीट पर भी बड़ा असर रखता है।
आगरा, दिलीप शर्मा। मैनपुरी जिले के करहल से सपा मुखिया अखिलेश यादव के चुनाव के चलते पार्टी बड़ी जीत को बिसात बिछाने में जुट गई है। शनिवार को पार्टी अखिलेश यादव के कहरल सीट से चुनाव लड़ने की अधिकृत घोषणा की। इसे साथ जिले की मैनपुरी, भोगांव और किशनी सीट पर प्रत्याशी घोषित कर समीकरण साधने की इस दिशा में कदम बढ़ा दिए। तीनों सीटों पर पुराने चेहरों को रिपीट किया है। मैनपुरी सीट पर तो खैर यादव प्रत्याशी है ही। परंतु किशनी और भोगांव सीट पर पुराने चेहरों को ही तरजीह देना रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। सपा को इससे जिले की सभी विधानसभाओं में शाक्य और कठेरिया मतों का समर्थन मिलने की उम्मीद है।
भोगांव सीट पर सपा ने बीते चुनाव लड़े पूर्व मंत्री आलोक कुमार शाक्य को फिर से प्रत्याशी बनाया है। आलोक शाक्य जिले में शाक्य समाज के बड़ा चेहरा रहे रामऔतार शाक्य के बेटे हैं। रामऔतार शाक्य भोगांव सीट पर 1991 में जनता पार्टी की टिकट पर विधायक बने थे। इसके बाद 1996 में उन्होंने सपा प्रत्याशी तौर पर विधानसभा चुनाव जीता था। फिर सपा ने उनके बेटे आलोक कुमार शाक्य पर दांव लगाया और वह लगातार तीन चुनाव जीते। बीते चुनाव में उनकी हार के चलते इस बार टिकट के लिए दावेदारों की लंबी कतार थी। कई बार टिकट कटने के कयास भी लग रहे थे। परंतु अब उनकी टिकट को बरकरार रखा गया है।
जिले की हर विधानसभा सीट पर शाक्य मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है। वहीं कठेरया समाज के मतदाताओं की भी हर विधानसभा में मौजूदगी है। किशनी से ब्रजेश कठेरिया को लड़ाने से सपा को यह समीकरण भी सधा हुआ दिख रहा है। अब अखिलेश के चुनाव लड़ने की स्थिति में जिले की हर सीट सपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न मानी जा रही है। ऐसे में पार्टी के रणनीतिकार समीकरण सिद्ध करने में कोई कमी छोड़ना नहीं चाहते।
कहरल को इसलिए अहम है शाक्य-कठेरिया समीकरण
शाक्य और कठेरिया मतों का समीकरण अखिलेश यादव को करहल सीट पर भी बड़ा असर रखता है। करीब साढ़े तीन लाख मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र में सवा लाख के लगभग यादव मतदाताओं के बाद सबसे ज्यादा संख्या शाक्य मतों की है, जो 35 हजार के करीब मानी जाती है। जबकि कठेरिया मतदाता 12 हजार के लगभग हैं।